दिसंबर का तीसरा हफ्ता आपके लिए भारी हो सकता है. दिसंबर में एक बार फिर से महंगाई का झटका लग सकता है. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. पीने का पानी से लेकर कोल्ड ड्रिंक्स पहले से महंगे हो सकते हैं.
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GST on Product: दिसंबर का तीसरा हफ्ता आपके लिए भारी हो सकता है. दिसंबर में एक बार फिर से महंगाई का झटका लग सकता है. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. पीने का पानी से लेकर कोल्ड ड्रिंक्स पहले से महंगे हो सकते हैं. 21 दिसंबर को तंबाकू, सिगरेट से लेकर पीने के पानी, कोल्ड ड्रिंक्स की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर फैसला लिया जा सकता है. दरअसल 21 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है.
21 दिसंबर को होगा फैसला
कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट और तंबाकू जैसे प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं. मंत्री-समूह ने ऐसे हानिकारक प्रोडक्ट्स पर टैक्स दायरे को बढ़ाने की सलाह दी है. जीएसटी काउसिंल को मंत्रियों के समूह की ओर से ऐसे उत्पादों पर जीएसटी दर को मौजूदा 28 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव मिला है. मंत्री-समूह जीएसटी परिषद को कुल 148 वस्तुओं पर कर दरों में बदलाव का प्रस्ताव भेजा है. 21 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इसपर फैसला लिया जाएगा.
35% टैक्स लगाने पर सहमति
सिगरेट, तंबाकू और तंबाकू से बने उत्पादों के अलावा एयरेटेड पेय पदार्थों (कोल्ड ड्रिंक) पर 35 फीसदी की विशेष दर लगाने पर सहमति जताई है. इसके अलावा जीओएम ने 1500 रुपये तक की लागत वाले रेडीमेड कपड़ों पर पांच फीसदी1500 रुपये से 10,000 रुपये के कपड़ों पर 18 फीसदी और 10000 रुपये से अधिक लागत वाले कपड़ों पर 28 फीसदी टैक्स लगानी की बात कही है. जीएसटी दरों में बढ़ोतरी का मतलब है सरकारी खजाने में पैसा आना. मंत्री समूह की रिपोर्ट पर 21 दिसंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा किए जाने की उम्मीद है. परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी और इसमें राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे. जीएसटी दर में बदलाव पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद ही लेगी.
सस्ती हो सकती हैं ये चीजें
21 दिसंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में 5 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म लाइफ इश्योरेंस प्रीमियम के जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं 20 लीटर की पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर बॉटल, साइकिल, नोटबुक पर टैक्स घटाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया गया है.
वर्तमान में, जीएसटी एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब हैं. इस बीच जीएसटी मुआवजा उपकर पर गठित जीओएम ने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए जीएसटी परिषद से लगभग छह महीने का और समय दिये जाने की मांग करने का फैसला किया है. समूह को 31 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपनी थी. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में इस जीओएम का गठन किया गया था. इसमें असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के सदस्य शामिल हैं.