Delhi-Meerut Corridor: देश का पहला सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर 82 किमी लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रॉजेक्ट (RRTS) कॉरिडोर बहुत तेजी से बन रहा है. जानिए इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी डिटेल.
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नई दिल्ली: Delhi-Meerut Corridor: दिल्ली से मेरठ जाने वाले वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर है. अब आपको राजधानी से आने -जाने में कठिनाई नहीं होगी, न ही आपको गाज़ियाबाद का लंबा रास्ता तय करना होगा. देश के पहले आरआरटीएस (Regional Rapid Transit System) सेमी हाईस्पीड ट्रेन (Delhi-Meerut Corridor) को लेकर जबरदस्त तैयारियां चल रही है.
दरअसल, देश का पहला सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर 82 किमी लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रॉजेक्ट (RRTS) कॉरिडोर बहुत तेजी से बन रहा है. इसके अंतर्गत 24 स्टेशन और दो डिपो आएंगे. आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट और हाइस्पीड ट्रेन की खासियत.
- अपनी तरह का यह पहला 'टू इन वन' प्रोजेक्ट है.
- इस पर हाईस्पीड रैपिड रेल के साथ ही मेरठ के कुछ हिस्से में मेट्रो ट्रेनें भी चलेंगी.
- दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक के रैपिड रेल कॉरिडोर पर कुल 24 स्टेशन होंगे.
- रैपिड ट्राजिंट सिस्टम कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां से लेकर मेरठ के बेगमपुरा तक बनेगा.
- इस ट्रैक पर ट्रेन 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलेंगी.
- दिल्ली से मेरठ की दूरी महज 60 मिनट में पूरी हो सकेगी.
- इस ट्रेन में प्रति घंटा एक तरफ से 60 हजार से 80 हजार लोग सफर कर सकेंगे.
- एक ट्रेन में 6 कोच होंगे, ट्रेन के कोच की संख्या बढ़ाकर 9 तक की जा सकेगी.
- इस ट्रेन के डिब्बे में बाहरी बॉडी स्टेनलेस स्टील की होगी.
- ये कोच एयरोडायनामिक और हल्के होंगे.
- प्रत्येक कोच में छह ऑटोमेटिक प्लग-इन प्रकार के चौड़े दरवाजे होंगे.
- इन कोच में पर्याप्त लेगरूम के साथ 2x2 बैठने की सुविधा होगी.
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- इस कॉरिडोर पर हर 5-10 मिनट के भीतर ट्रेन सर्विस उपलब्ध होगी.
- एक ट्रेन में 400 लोगों के बैठने की सुविधा उपलब्ध होगी.
- पूरी तरह एयर कंडिशंड इस ट्रेन में इकॉनमी के साथ-साथ बिजनस क्लास भी होगा.
- हर ट्रेन में एक कोच बिजनस क्लास का होगा और एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा.
- इसमें सीसीटीवी सर्विलांस, मोबाइल/लैपटॉप चार्जिंग पॉइंट्स, लगेज स्पेस जैसी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी.
- इसमें ऑनबोर्ड वाई-फाई के साथ-साथ आरामदायक यात्रा के लिए पोल्स और हेंडल होंगे.
इसके तहत सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मुरादनगर डिपो, मोदीनगर साउथ, मोदीनगर नॉर्थ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौराली मेट्रो, मेरठ नॉर्थ और मोदीपुरम स्टेशन शामिल हैं.
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देश के पहले इस प्रोजेक्ट की कई खासियत है. 82 किलोमीटर वाले इस रूट का 68 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर का हिस्सा अंडरग्राउंड होगा. यानी इस प्रोजेक्ट से आम लोगों को फायदा होगा. इसमें भीड़-भाड़ कम होने के साथ प्रदूषण भी कम होगा. और सबसे खास बात कि इससे दुर्घताओं में भी कमी आएगी. इस रूट का 80 परसेंट हिस्सा यूपी में पड़ेगा. इसके साथ ही लंबे सफर में समय की बचत से नए आर्थिक अवसर भी पैदा होंगे.
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. इस प्रोजेक्ट पर कुल 30,274 करोड़ रुपये खर्च का ब्योरा है जिसमें यूपी सरकार 6048 करोड़, दिल्ली सरकार 1180 करोड़ और केंद्र सरकार 5872 करोड़ रुपये देगी.