EPF ESIC News: सैलरी लिमिट का मतलब यह है कि इसके बाद EPF और ESIC में योगदान अनिवार्य हो जाता है. कर्मचारियों का योगदान वेतन से काटकर EPFO और ESIC में जमा किया जाता है और नियोक्ता को भी इतना ही योगदान देना पड़ता है.
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Govt on Salary Limit: देश के करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के लिए अच्छी खबर है. मोदी सरकार कर्मचारियों के लिए सोशल सिक्योरिटी कवर को बढ़ाने के प्रयास में मासिक सैलरी लिमिट को दोगुना करने की योजना बना रही है. वर्तमान में कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड (EPF) स्कीम में आने के लिए जरूरी सैलरी लिमिट 15000 रुपये प्रति महीना है. जिसे अब बढ़ाकर 30000 रुपये प्रति माह किया जा सकता है.
अभी तक EPFO के तहत वेतन सीमा 15000 रुपये प्रति महीना और ESIC के तहत यह लिमिट 21000 रुपये प्रति महीना है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन दोनों योजनाओं की सीमाओं को 30,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने की योजना है. इस कदम से लगभग 1 करोड़ से अधिक कर्मचारी सोशल सिक्योरिटी के दायरे में आ जाएंगे.
फरवरी में अंतिम फैसला
इसके अलावा ESIC के तहत वेतन सीमा को भी EPF के समान करने की योजना बनाई जा रही है. शनिवार को EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में वेतन सीमा बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया. एक सूत्र ने बताया कि अंतिम निर्णय फरवरी की बैठक में लिया जाएगा, लेकिन अधिकांश सदस्य और श्रम मंत्रालय इस सैलरी लिमिट को दोगुना करने के पक्ष में हैं.
सैलरी लिमिट का मतलब यह है कि इसके बाद EPF और ESIC में योगदान अनिवार्य हो जाता है. कर्मचारियों का योगदान वेतन से काटकर EPFO और ESIC में जमा किया जाता है और नियोक्ता को भी इतना ही योगदान देना पड़ता है.
कर्मचारियों को क्या होगा फायदा?
EPF के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12% का योगदान करते हैं. 30000 रुपये लिमिट होने के बाद यह योगदान बढ़कर 3600 रुपये प्रति महीना हो जाएगा. इसका फायदा यह होगा कि कर्मचारियों की रिटायरमेंट के समय एकमुश्त राशि और पेंशन में वृद्धि होगी.
Trade Union Coordination Centre (TUCC) का कहना है कि दिल्ली जैसे महानगरों में हाउसकीपिंग, ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड आदि का मासिक वेतन 20,000 रुपये के करीब है, इसलिए सैलरी लिमिट बढ़ानी जरूरी है ताकि उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सके.