Electric Vehicles: आजकल इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटी और इलेक्ट्रिक बसों का जमाना है. नॉर्वे ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के क्षेत्र में ऐसा अद्भुत काम किया है कि पूरी दुनिया उसे सराह रही है.
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Electric Vehicles: आजकल इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटी और इलेक्ट्रिक बसों का जमाना है. नॉर्वे ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के क्षेत्र में ऐसा अद्भुत काम किया है कि पूरी दुनिया उसे सराह रही है. नॉर्वे, जो यूरोप का एक छोटा सा देश है, अपनी जनसंख्या के हिसाब से देखने पर सिर्फ 60 लाख लोगों का है, जबकि दिल्ली की आबादी लगभग 3 करोड़ है. इस छोटे से देश ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर एक ऐसा परिवर्तन किया है कि पेट्रोल कारों की संख्या अब इसके मुकाबले कम हो गई है.
नॉर्वे में वर्तमान में लगभग 28 लाख प्राइवेट कारें रजिस्टर हैं, जिनमें से 7 लाख 54 हजार 303 इलेक्ट्रिक कारें हैं, जबकि पेट्रोल कारों की संख्या लगभग 7 लाख 53 हजार 905 है. हाल ही में अगस्त में, नए बेचे गए वाहनों में 94.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारें थीं. इस तेजी से इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री यह दिखाती है कि देश ने पेट्रोल कारों को पीछे छोड़ दिया है, हालांकि अभी भी 10 लाख से ज्यादा डीजल कारें मौजूद हैं, लेकिन उनकी संख्या तेजी से घट रही है.
नॉर्वे ने प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल का निर्यात कर अच्छा खासा धन अर्जित किया है. इस धन का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने में किया जा रहा है. नॉर्वे की सरकार का लक्ष्य है कि वे 2025 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर शिफ्ट हो जाएं. इसके लिए उन्होंने कई उपाय किए हैं, जैसे कि कारों की कीमत पर 25 प्रतिशत छूट, चार्जिंग स्टेशनों पर 20 प्रतिशत टैक्स छूट और पुरानी कारों के स्क्रैप करने पर इंसेंटिव देना.
नॉर्वे की यह पहल न केवल वहां के नागरिकों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक मिसाल भी है कि कैसे एक छोटे से देश ने अपनी नीतियों से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ तेजी से बढ़ने का रास्ता प्रशस्त किया है. International Energy Agency के अनुसार, 2023 में नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 93 प्रतिशत थी, जबकि आइसलैंड में यह 71 प्रतिशत थी. स्वीडन और फिनलैंड में क्रमशः 60 प्रतिशत और 54 प्रतिशत हिस्सेदारी है. चीन में भी 38 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि भारत में यह आंकड़ा 2 प्रतिशत है, जो अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
इस प्रकार, नॉर्वे का ईवी क्रांति का सफर न केवल उस देश के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक बनता जा रहा है. आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का है, और इस दिशा में नॉर्वे ने एक ठोस कदम उठाया है, जो अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण पेश कर रहा है.