कोरोना का दिखा GDP पर भारी असर, पहली तिमाही में आई 23.9% की गिरावट
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कोरोना का दिखा GDP पर भारी असर, पहली तिमाही में आई 23.9% की गिरावट

कोरोना महामारी के चलते पहली तिमाही में हुए लॉकडाउन की वजह से इसका असर देश की जीडीपी पर भी देखने को मिला है. 

फाइल फोटो

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के चलते पहली तिमाही में हुए लॉकडाउन की वजह से इसका असर देश की जीडीपी पर भी देखने को मिला है. सोमवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगने के चलते इस चालू वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट रही. 

  1. आलोच्य तिमाही में 23.9 फीसदी का संकुचन रहा
  2. पिछले साल में 5.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज
  3.  25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ लगाया था

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्थिर मूल्य (2011-12) के आधार पर चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये था.

इस प्रकार जीडीपी में आलोच्य तिमाही में 23.9 फीसदी का संकुचन रहा जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं, वर्तमान मूल्य पर 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 38.08 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल इसी तिमाही में 49.18 लाख करोड़ रुपये था जोकि 22.6 फीसदी के संकुचन को दर्शाता है.

इस वजह से आई गिरावट
सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था. इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की. ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है। इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 फीसदी की गिरावट आई थी.

अप्रैल से जून वाली तिमाही में पूरा देश लॉकडाउन में रहा था और उस दौरान अधिकतर बड़ी आर्थिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहीं. इसलिए GDP में गिरावट का यह रुझान उम्मीदों के अनुरूप ही है.

राजकोषीय घाटे में हुई वृद्धि
केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल- जुलाई) में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है. महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के दौरान राजकोषीय घाटा इसके वार्षिक अनुमान की तुलना में 103.1 फीसदी यानी 8,21,349 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. एक साल पहले इन्हीं चार माह की अवधि में यह वार्षिक बजट अनुमान का 77.8 प्रतिशत रहा था. सरकार का राजकोषीय घाटा उसके कुल खर्च और राजस्व के बीच का अंतर होता है. पिछले साल अक्ट्रबर में यह वार्षिक लक्ष्य से ऊपर निकल गया था.

(इनपुट--भाषा व अन्य एजेंसियां)

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