IRDAI: सूत्रों का दावा है अलग-अलग लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों और एलआईसी (LIC) की तरफ से किये गए आग्रह के बाद इरडाई (IRDAI) सरेंडर प्राइस को रीजनेबल बनाने की कोशिश कर रही है.
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Insurance Company Proposal: पहले लोगों के बीच इंश्योरेंस को लेकर जागरूकता नहीं थी. लेकिन आज के दौर में अधिकतर लोग खुद को और अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाइफ इंश्योरेंस कराते हैं. लेकिन पॉलिसी होल्डर को नुकसान तब होता है जब वह किसी कारणवश पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले सरेंडर करता है. इस स्थिति में उसे बीमा कंपनी की तरफ से कम पैसा दिया जाता है. लेकिन अब इसको लेकर इंश्योरेंस रेग्युलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) की तरफ से नया नियम बनाने की तैयारी चल रही है.
दिसंबर में इसको लेकर की गई थी चर्चा
नया नियम लागू होने के बाद पॉलिसी सरेंडर करने पर आपको पहले के मुकाबले ज्यादा सरेंडर वैल्यू मिल सकती है. इरडाई (IRDAI) की तरफ से इसी महीने यह फैसला किया जा सकता है. रेग्युलेटर ने दिसंबर में इस पर चर्चा पत्र जारी किया था. इसमें बीमा कंपनियों की तरफ से पॉलिसीहोल्डर को दिये जाने वाली सरेंडर वैल्यू को बढ़ाने का प्रस्ताव था. इसमें कंपनियों की तरफ से ली जाने वाली सरेंडर वैल्यू घटाने का प्रस्ताव दिया गया था. इसके तहत इरडाई का इरादा पॉलिसीहोल्डर को ज्यादा फायदा देना था.
मार्जिन पर 5 प्रतिशत तक का असर पड़ेगा!
अगर बीमा कंपनियों की सरेंडर फीस को घटाया जाता है तो इंश्योरेंस कंपनियों के मार्जिन पर 5 प्रतिशत तक का असर पड़ेगा. इसके बाद पॉलिसीहोल्डर को मिलने वाली राशि दोगुनी हो सकती है. सूत्रों का दावा है अलग-अलग लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों और एलआईसी (LIC) की तरफ से किये गए आग्रह के बाद इरडाई (IRDAI) सरेंडर प्राइस को रीजनेबल बनाने की कोशिश कर रही है. सूत्रों का दावा है कि इरडाई इसको लेकर दो अलग-अलग पहलुओं पर विचार कर रहा है.
बीमा कंपनियों के लिए अच्छा फैसला
इरडाई (IRDAI) सरेंडर वैल्यू की गणना उसी तरह कर सकता है, जिस तरह पांच साल पहले सरेंडर की गई पॉलिसी की कैलकुलेशन की जाती थी. भले ही इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि कुछ भी हो. ज्यादा सरेंडर वैल्यू पांच साल से ज्यादा वाली पॉलिसी को मिल सकती है. यह इंश्योरेंस कंपनियों के लिए एक बड़ा कदम होगा. इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से सुझाव दिया गया कि लंबी और छोटी अवधि की इंश्योरेंस के लिए नियम अलग-अलग होने चाहिए.