टाटा समूह को झटका, NCLAT ने साइरस मिस्त्री की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाली का आदेश दिया
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टाटा समूह को झटका, NCLAT ने साइरस मिस्त्री की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाली का आदेश दिया

मिस्त्री ने इस मामले में अपीलेट ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था. ट्रिब्यूनल ने जुलाई में इस पर फैसला सुरक्षित रखा था.

फाइल फोटो...

नई दिल्‍ली : टाटा समूह (Tata Group) प्रबंधन को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण से बुधवार को बड़ा झटका मिला. न्यायाधिकरण (NCALT) ने टाटा समूह के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के हटाने को अवैध ठहरा दिया है. एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने का आदेश दिया है. इस तरह एनसीएलटी ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के प्रबंधन के फैसले को अवैध ठहराया है.

दरअसल, मिस्त्री ने इस मामले में अपीलेट ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था. ट्रिब्यूनल ने जुलाई में इस पर फैसला सुरक्षित रखा था. सायरस मिस्त्री अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिए गए थे. इसके दो माह बाद मिस्त्री की तरफ से उनके परिवार की दो इन्वेस्टमेंट कंपनियों- सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ में चुनौती दी थी. कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के तहत नहीं था. 

एनसीएलटी ने 9 जुलाई 2018 के फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के लिए सक्षम था. मिस्त्री को इसलिए हटाया गया, क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था.

4 साल में ही हटाए गए मिस्त्री
आपको बता दें, सायरस मिस्त्री को 30 साल के लिए टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उन्हें चार साल बाद ही पद से हटा दिया गया. सायरस मिस्त्री पर जानकारी लीक करने का आरोप था. साथ ही समूह का मुनाफा लगातार गिर रहा था. इसके लिए पहले भी कई बार सायरस मिस्त्री को बोर्ड की तरफ से तलब किया गया था. सायरस मिस्त्री के कार्यकाल में सिर्फ टीसीएस को छोड़कर सभी कंपनियां लगातार घाटे में थीं. टाटा मोटर्स और टाटा स्टील का मुनाफा लगातार तीन तिमाही में रिकॉर्ड गिरावट आई थी.

ये थी निकाले जाने की वजह
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा संस में 66 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट को समूह कंपनियों की ओर से मिलने वाले लाभांश में कमी आई थी, यही वजह थी कि मिस्त्री को अचानक बाहर कर दिया गया. मिस्त्री के बाद एक बार फिर रतन टाटा ने अंतरिम चेयरमैन के रूप में समूह की बागडोर संभाली. इसके बाद टीसीएस के प्रमुख रहे एन चंद्रशेखर को टाटा समूह की जिम्मेदारी सौंपी गई.

 

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