RBI ने चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.8 प्रतिशत किया
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RBI ने चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.8 प्रतिशत किया

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत कर दिया. मानसून बेहतर रहने की संभावना समेत अनुकूल कारकों को ध्यान में रखते हुए महंगाई दर का अनुमान घटाया गया है.

RBI ने चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2.8 प्रतिशत किया

मुंबई : रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत कर दिया. मानसून बेहतर रहने की संभावना समेत अनुकूल कारकों को ध्यान में रखते हुए महंगाई दर का अनुमान घटाया गया है. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को भी कम कर 3.2-3.4 प्रतिशत कर दिया इसके साथ ही 2019- 20 की तीसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 3.9 प्रतिशत रखा गया है.

इससे पहले पिछले द्विमासिक मुद्रास्फीति में रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए 3.8 से 4.2 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था. आरबीआई ने कहा, 'आने वाले समय में कई कारक महंगाई के रास्ते को निर्धारित करेंगे. सर्वप्रथम, खाद्य महंगाई दर आश्चर्यजनक तरीके से नीचे की ओर बनी हुई है. इसका कारण कई जिंसों के दाम में कमी और अनाज की महंगाई दर में उल्लेखनीय नरमी है. न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई खाद्य समूहों में अत्यधिक आपूर्ति की स्थिति बनी हुई है.' केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रतिकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति के लिए अल्पकालीन परिदृश्य नरम बना हुआ है.

आरबीआई ने कहा, 'ये निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य के अनुकूल है.' ईंधन समूह में नरमी उम्मीद से कहीं अधिक है. जलावन की लकड़ी जैसे गांवों में खपत वाले जिंसों के दाम में भी हाल के महीनों में गिरावट आयी है जबकि पहले ये ऊंचे बने हुए थे.

आरबीआई ने कहा, 'इन चीजों को ध्यान में रखते हुए तथा 2019 में मानसून सामान्य रहने के अनुमान के साथ सीपीआई मुद्रास्फीति के अनुमान को 2018-19 की चौथी तिमाही में कम कर 2.8 प्रतिशत कर दिया गया है. साथ ही 2019-20 की पहली छमाही के लिये इसे 3.2 से 3.4 प्रतिशत, तथा अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिये 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. इसमें बढ़ने और घटने का जोखिम बराबर है.'

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