सेल को तीसरी तिमाही में 616 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ
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सेल को तीसरी तिमाही में 616 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ

सेल अध्यक्ष ने कहा – कंपनी वैल्यू एडेड स्टील उत्पादन बढ़ाने के साथ. बाज़ार की नई जरूरतों के मुताबिक उत्पादों के विकास पर ज़ोर दे रही है.

सेल को तीसरी तिमाही में 616 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ

नई दिल्ली: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर,2018) में 616 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ (कर पश्चात लाभ) दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 43 करोड़ था. कंपनी ने मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही के रुपया 554 करोड़ रुपये के मुक़ाबले भी 11% बेहतर मुनाफ़ा दर्ज किया है. सेल ने इस तीसरी तिमाही में कुल 15,660 करोड़ रुपया का कारोबार किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के कुल कारोबार 15,190 करोड़ रुपया के मुक़ाबले 3% अधिक है. कंपनी ने मौजूदा वित्त वर्ष की इस तीसरी तिमाही में 2653 करोड़ रुपए का EBITDA दर्ज किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 1560 करोड़ रुपए से 70% अधिक है.

वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुक़ाबले शुद्ध लाभ, कुल कारोबार और EBITDA के बेहतर आंकड़े दर्शाते हैं कि कंपनी ने उत्पादन और वित्तीय दोनों मोर्चों पर बेहतर निष्पादन किया है. यही नहीं कंपनी ने वित्त वर्ष 2018-19 की नौमाही (अप्रैल – दिसंबर 2018) में, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुक़ाबले शुद्ध लाभ, कुल कारोबार और EBITDA के मानकों पर अच्छा प्रदर्शन किया है, जो कंपनी के समग्र निष्पादन में नियमित और सतत वृद्दि की ओर संकेत करते हैं.

देश के सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी यह इस्पात उत्पादक कंपनी, अपने आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण के तहत स्थापित सभी नई इकाइयों और सुविधाओं की निर्धारित क्षमता को हासिल करने के लक्ष्य के साथ उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है. कंपनी के उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों से लागत कम करने में मदद मिलेगी, जो कंपनी के निष्पादन को और बेहतर करने में सहायक साबित होगी.

सेल ने वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में 43 लाख टन क्रूड स्टील का उत्पादन किया है, जो अब तक की किसी भी तिमाही का सर्वाधिक क्रूड स्टील उत्पादन है और यह वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही के 39 लाख टन के मुक़ाबले 10% अधिक है. मौजूदा वित्त वर्ष की इसी तीसरी तिमाही में सेल ने अब तक का सर्वाधिक तिमाही विक्रेय इस्पात उत्पादन 38 लाख टन दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 5% अधिक है.

मौजूदा वित्त वर्ष की इस तीसरी तिमाही में सेल ने तकनीकी आर्थिक मानकों में सुधार दर्ज किया किया है, जिसके चलते पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुक़ाबले ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता में 16% वृद्धि दर्ज की गई है जबकि मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही के मुक़ाबले कोक रेट और विशिष्ट ऊर्जा खपत में क्रमश: 3% और 2% की वृद्धि हुई है.

सेल अध्यक्ष श्री अनिल कुमार चौधरी ने कहा, “सरकार ने इस साल के अन्तरिम बज़ट में भी देश बुनियादी संरचनाओं और नागरिक सुविधाओं जैसे रेलवे, सड़क, फ्लाइवेयर, विमानन, जलमार्ग, शिक्षा, चिकित्सा, रक्षा, अन्तरिक्ष को अपना फोकस एरिया बनाए रखा है. इसके साथ ही लोगों के लिए घर के निर्माण को सुविधाजनक बनाने पर भी सरकार ने ध्यान दिया है. इससे घरेलू बाज़ार में इस्पात की खपत बढ़ने की पूरी संभावना है और हमें इस्पात खपत वाले सभी क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार रहने की ज़रूरत है.”

श्री चौधरी ने आगे कहा, “”हम मौजूदा इस्पात खपत वाले क्षेत्रों के साथ ही नए क्षेत्रों की ओर भी रुख कर रहे हैं, जिसके लिए हम वैल्यू एडेड स्टील के उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही बाज़ार की नई जरूरतों के मुताबिक उत्पादों के विकास पर ज़ोर दे रहे हैं. हमारा लक्ष्य ग्राहकों को उनकी आवश्यकता और सुविधानुसार उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है.” सेल अध्यक्ष ने इस्पात कीमतों में जारी उतार-चढ़ाव पर कहा, “”भारतीय इस्पात बाज़ार की कीमतें सस्ते आयात से प्रभावित ज़रूर हो रही हैं, इसके बावजूद उम्मीद है कि बढ़ते इनपुट लागत के चलते  आने वाले दिनों में इस्पात की कीमतों में सुधार होगा.”

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