अब ग्लोबल वॉर्मिंग पर लगेगा ब्रेक, कार्बन डाई ऑक्साइड से बनेगी बिजली
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अब ग्लोबल वॉर्मिंग पर लगेगा ब्रेक, कार्बन डाई ऑक्साइड से बनेगी बिजली

अगर कॉर्बन डाई ऑक्साइड से बिजली का उत्पादन शुरू हो जाता है तो ग्लोबल वॉर्मिग की गंभीर समस्या से राहत मिलेगी.

हवा में कॉर्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से तापमान में इजाफा होता है.

सियोल: वैज्ञानिकों ने एक नयी प्रणाली विकसित की है जो कार्बन डाई ऑक्साइड से बिजली और हाइड्रोजन ईंधन उत्पन्न कर सकता है. कार्बन डाई ऑक्साइड का वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी में मुख्य योगदान है. शोधकर्ताओं ने बताया कि हाइब्रिड एनए-कार्बन डाई ऑक्साइड लगातार विद्युत ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है. दक्षिण कोरिया में उलसान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूएनआईएसटी) के गुंटे किम ने बताया, ‘‘वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड सिक्वेसट्रेशन (सीसीयूएस) प्रौद्योगिकी का महती योगदान रहा है.’’ 

किम ने कहा, ‘‘उस प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण बात यह है कि रासायनिक रूप से स्थिर कार्बन डाई ऑक्साइड के अणुओं को अन्य पदार्थों में आसानी से परिवर्तित किया जा सकेगा. हमारी नयी प्रणाली ने कार्बन डाई ऑक्साइड की विघटन प्रणाली के साथ इस समस्या का समाधान कर दिया है.’’ 

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पिछली एक सदी से जारी वैश्विक तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वॉर्मिंग) का असर जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आया है. इससे मौसम के मिजाज में बदलाव से फसल चक्र पर असर के बाद जानवरों के साथ ही इंसानों के जीवन चक्र पर भी प्रभाव दिखने लगा है. प्रकृति के साथ इंसानी दखल की अधिकता के कारण 1970 के बाद मौसम चक्र में बदलाव की दर बढ़ी है. यह बदलाव भीषण गर्मी, कड़ाके की सर्दी, मूसलाधार बारिश और आंधी-तूफान की तीव्रता में इजाफे के रूप में दिखता है. यहीं से जलवायु परिवर्तन और ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ की चुनौती शुरू होती है.

(इनपुट-भाषा)

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