Share Price में हेराफेरी! SEBI ने 85 कंपनियों को शेयर मार्केट से ट्रेडिंग पर लगाया बैन, जानिए पूरा मामला
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Share Price में हेराफेरी! SEBI ने 85 कंपनियों को शेयर मार्केट से ट्रेडिंग पर लगाया बैन, जानिए पूरा मामला

SEBI Ban: सेबी ने पाया कि 83 में से 77 संस्थाएं, 1059 संस्थाओं/आवंटियों की ओर से बनावटी रूप से बढ़ा-चढ़ाकर या हेरफेर किए गए मूल्य पर शेयरों की बिक्री के प्रतिपक्ष थे, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ.

 

Share Price में हेराफेरी! SEBI ने 85 कंपनियों को शेयर मार्केट से ट्रेडिंग पर लगाया बैन, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली: SEBI Ban: शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए जरूरी खबर है. मार्केट रेगुलेटर SEBI ने Sunrise Asian Ltd समेत 85 एंटिटीज पर शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन सभी पर कंपनी के शेयर प्राइस में हेराफेरी करने के चलते 1 साल का बैन लगाया गया है. 

  1. 85 एंटिटीज पर शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध
  2. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने लगाया 1 साल का प्रतिबंध
  3. शेयर प्राइस में हेराफेरी करने के चलते बैन लगाया

SEBI की सख्ती

सेबी ने अपने आदेश में Sunrise Asian और उसके पांच डायरेक्टर्स को को कैपिटल मार्केट से एक साल के लिए और 79 इकाइयों को छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया. सेबी ने प्रधान आयकर निदेशक (जांच), कोलकाता से मिले एक संदर्भ के आधार पर 16 अक्टूबर, 2012 से 30 सितंबर, 2015 की अवधि के लिए सनराइज एशियन के शेयरों की जांच की थी.

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जांच में सेबी को क्या मिला

अपनी जांच में, सेबी ने पाया कि विलय की योजना के तहत शेयरों के आवंटन के मुताबिक, सनराइज एशियन और उसके तत्कालीन डायरेक्टर्स ने एक व्यवस्था तैयार की थी, जिसके तहत 83 संबंधित संस्थाओं ने जांच अवधि के दौरान ट्रेडिंग के चार पैच में शेयरों की कीमत में हेरफेर किया था, जिससे धोखाधड़ीपूर्ण और अनुचित व्यापार व्यवहार (PFUTP) मानदंडों का उल्लंघन हुआ है. सेबी ने पाया कि 83 में से 77 संस्थाएं, 1059 संस्थाओं/आवंटियों की ओर से बनावटी रूप से बढ़ा-चढ़ाकर या हेरफेर किए गए मूल्य पर शेयरों की बिक्री के प्रतिपक्ष थे, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ.

इस कंपनी को 3 साल के लिए किया बैन

सेबी ने शुक्रवार को एक अलग आदेश में कोरल हब लिमिटेड (Coral Hub Ltd) को कैपिटल मार्केट से तीन साल के लिए और छह लोगों को 2-3 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. ये सभी लोग रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन के समय या तो कंपनी के डायरेक्टर रहे या कोरल हब लिमिटेड की ऑडिट कमेटी का हिस्सा रहे हैं. सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि इन कंपनियों ने साल 2008-09 और 2009-10 के दौरान झूठे, भ्रामक, बढ़ा-चढ़ाकर वित्तीय नतीजे पेश किए.

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