ब्रिटेन ले गया था यह बहुमूल्य हीरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वापस लाने का आदेश नहीं दे सकता
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ब्रिटेन ले गया था यह बहुमूल्य हीरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वापस लाने का आदेश नहीं दे सकता

याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की गई थी कि अगर केंद्र मामले में कूटनीतिक कदम उठाए तो देश की बहुमूल्य वस्तुओं को वापस लाया जा सकता है. 

कोर्ट ने  21 अप्रैल 2017 को दिए फैसले में कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने की मांग वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोहिनूर हीरे को अपने देश वापस लाने की मांग वाली याचिकाओं पर दिए अपने पुराने फैसले के खिलाफ दायर क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यूरेटिव याचिका में कोई मेरिट नहीं है. कोर्ट ने  21 अप्रैल 2017 को दिए फैसले में कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने की मांग वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था. सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई की जरूरत नहीं है, क्योंकि कोर्ट केंद्र सरकार से मिले जवाब से संतुष्ट है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की गई थी कि अगर केंद्र मामले में कूटनीतिक कदम उठाए तो देश की बहुमूल्य वस्तुओं को वापस लाया जा सकता है. केंद्र के इस कदम की निगरानी कोर्ट द्वारा करने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट की ओर से कहा गया कि वो सरकार की कूटनीतिक कोशिशों की निगरानी नहीं कर सकता है. 

भारत के बाद अब पाकिस्तान ने कोहिनूर हीरा पर जताया हक, कहा- हमारा है

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले में केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था कि आखिर कोहिनूर हीरे को वापस लाने को लेकर सरकार की ओर से क्या कोशिशें की जा रही हैं. कोहिनूर हीरे के मुद्दे पर 2016 में केंद्र की ओर से हलफनामा दाखिल कर कहा गया था कि जब महाराजा दिलीप सिंह नाबालिग थे, तब इसपर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा कर लिया गया था. ऐसे में  इस हीरे पर भारत का हक बनता है, जबकि दूसरी ओर कहा जाता है कि राजा ने इस हीरे को बतौर तोहफा दिया था.

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