Diwali Owl Demand: सालभर का त्योहार दिवाली हर किसी के लिए खास होता है. देवी लक्ष्मी की पूजा कर लोग उनसे सुख-शांति, धन-धान्य मांगते हैं. कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के खुश होने से घर में धन-संपत्ति भरा रहता है. लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग हर संभव कोशिश करते हैं.
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Diwali Owl Demand: सालभर का त्योहार दिवाली हर किसी के लिए खास होता है. देवी लक्ष्मी की पूजा कर लोग उनसे सुख-शांति, धन-धान्य मांगते हैं. कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के खुश होने से घर में धन-संपत्ति भरा रहता है. लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग हर संभव कोशिश करते हैं. सालों से दिवाली को लेकर कई मान्यताएं को कई अंधविश्वास भी है. माता लक्ष्मी की सवारी माने जाने वाले उल्लू की पूजा की जाती है. वहीं कई जगहों पर अंधविश्वास के चलते उल्लू की बलि भी दी जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार उल्लू देवी लक्ष्मी के वाहन के रूप में समृद्धि एवं सौभाग्य का सूचक है. दिवाली के मौके पर उल्लू की डिमांड बढ़ जाती है. इसका अवैध व्यापार होने लगता है.
साल 2018 में वाइल्ड लाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क Traffic की स्टडी के मुताबिक दिवाली के मौके पर उल्लू का शिकार और अवैध कारोबार बढ़ जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि उल्लू की सटीक जनघणना नहीं की गई है, इसलिए इसका सही ढंग से अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि कितने उल्लूओं की तस्करी की जाती है या उन्हें मार दिया जाता है.
उल्लूओं की हाई डिमांड
उल्लू की बली देने की प्रथा, उसके शिकार की परंपरा के चलते दिवाली के मौके पर उसकी डिमांड बढ़ जाती है. कई जगहों पर तो उल्लू के आंख का काजल लगाने की प्रथा प्रचलित है. इन सब वजहों से दिवाली के मौके पर उल्लूओं की तस्करी, उसका डिमांड बढ़ जाता है.
10 हजार से 50 हजार तक कीमत
दिवाली से एक महीने पहले एक उल्लू की कीमत 10 हजार रुपये से बढ़कर 50 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक रॉक आउल या ईगल आउल की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. अवैध शिकार और तस्करी के जरिए उसका कारोबार किया जाता है. आपको बता दें कि उल्लूओं को वन्य जीवल संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सरंक्षित पक्षी घोषित किया गया है. इसके शिकार पर सजा का प्रादृवधान है. इसलिए अंधविश्वास में न पड़े और पक्षियों को सुरक्षित रखने की कोशिश करें.