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नई दिल्ली. अगर आपके पास डीजल से चलने वाली गाड़ी है, तो आपके लिए अच्छी खबर है. अब आप घर बैठे डीजल मंगा सकते हैं. दरअसल, सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने डीजल की डोरस्टेप डिलीवरी (Doorstep Delivery Of Diesel) के लिए हमसफर इंडिया (Humsafar India) के साथ हाथ मिलाया है. इसके बाद गाड़ी में तेल खत्म हो जाने पर आपको पेट्रोल पंप पर जाने की जरूरत नहीं है. आइए इस सर्विस के बारे में सबकुछ बताते हैं.
बता दें, जेरीकैन में डोरस्टेप डीजल डिलीवरी (Doorstep Diesel Delivery Benefits) की सुविधा दी जा रही है, जिसका टाइटल सफर 20 (Safar20) है. आपको बता दें कि डोरस्टेप डिलीवरी की सुविधा 20 लीटर से कम डीजल की मांग करने वाले ग्राहकों के लिए है. इससे छोटे उद्योगों, मॉल, अस्पतालों, बैंकों, निर्माण स्थलों, किसानों, मोबाइल टावरों, शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ छोटे उद्योगों को फायदा मिलेगा. आपको बता दें कि डोरस्टेप डीजल की थोक सप्लाई कुछ समय पहले ही शुरू हो चुकी है.
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दिल्ली के स्टार्टअप हमसफर इंडिया का मोबाइल ऐप है "फ्यूल हमसफर". फ्यूल हमसफर ऐप से फिलहाल पंजाब के पटियाला और नए जिले मलेरकोटला में 20 लीटर के जेरी कैन में डीजल की डिलीवरी शुरू कर दी है. कंपनी ने फिलहाल ये सर्विस उन ग्राहकों के लिए है शुरू की है, जिन्हें एक बार में ज्यादा से ज्यादा 20 लीटर तक डीजल चाहिए. कंपनी के भी ये सुविधा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, केरल, गुजरात, गोवा और नोएडा, दिल्ली, फरीदाबाद और गाजियाबाद सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शुरू कर चुकी है.
इसके साथ ही BPCL ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी इस 20 लीटर जेरीकैन सेवा को लॉन्च करने की योजना बनाई है. दरअसल इन राज्यों में ज्यादातर रिजॉर्ट, होटल, उद्योग और फार्म पहाड़ी पर दूरदराज के इलाकों में हैं और पंप की कमी है. ऐसे में मोटरसाइकिल पर दी जाने वाली यह सेवा इन राज्यों में पर्यटकों के लिए बहुत मददगार साबित होगी. डोरस्टेप डीजल डिलीवरी से ऐसी लोकल समस्यां कम होंगी. यह थोक उपभोक्ताओं को कानूनी तरीके से डीजल उपलब्ध कराएगी.
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चालू वित्त वर्ष में सरकार का निजीकरण और विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा है. इस साल विनिवेश की लिस्ट में BPCL का नाम सबसे ऊपर है और यह देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी कंपनी है. आपको बता दें कि इसमें सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी 52.98 फीसदी है और अब इसमें सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने वाली है.