History: अकबर अपने सेनापति बहलोल खां पर बहुत फक्र महसूस करता था. कई लड़ाईयों को जीतकर बहलोल खां ने मुगल शासक का भरोसा जीता था. एक भारतीय शासक ने अकबर के इसी नाज को अपनी तलवार से दो हिस्सों में काट दिया था.
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Maharana Pratap And Akbar History: भारत के महान सम्राट महाराणा प्रताप और बादशाह अकबर के बीच हल्दी घाटी में जो जंग छिड़ी थी, उसके किस्से आज भी बड़ी दिलचस्पी से सुने-सुनाए जाते हैं. महाराणा प्रताप का खात्मा करने के लिए मुगल बादशाह ने हर संभव कोशिश कर डाली थी. ऐसा ही एक किस्सा है जब अकबर ने अपने सेनापति बहलोल खां को यह जिम्मेदारी सौंपी. अकबर ने सेनापति को महाराणा प्रताप का सिर काटकर लाने के लिए कहा था.
वह अकबर का सबसे खास हुआ करता था, जिस पर अकबर को बहुत यकीन था, लेकिन युद्ध के मैदान में जो उसके साथ हुआ वह किस्सा सुन आज भी उस भयानक मंजर की कल्पना मात्र से रोंगते खड़े हो जाते हैं.
बहुत जालिम था बहलोल खां
कहा जाता था कि बहलोल खां को कभी कोई जंग में नहीं हार सका था, तभी तो अकबर बहलोल पर पूरी तरह से भरोसा करता था. उसके बारे में यह भी कहा जाता था कि वह बहुत बेरहम था. अकबर का सेनापति इतना जालिम था कि दुश्मनों को बड़ी दर्दनाक मौत देता था. उसकी हैवानियत ऐसी थी कि उसे दुधमुहे बच्चे पर भी तरस नहीं आता था, लेकिन जब बहलोल महाराणा प्रताप के सामने गया तो टिक नहीं पाया. कहा जाता है कि बहलोल का कद 7.8 फीट था, लेकिन महान शासक के सामने युद्ध में उसका हाल बेहाल हो गया.
महाराणा ने बहलोल को दी थी भयानक मौत
महाराणा प्रताप ने 1583 में मेवाड़ को स्वतंत्र कराने के लिए अभियान छेड़ दिया था और उन्होंने सेना को दो भागों में बांटकर युद्ध का डंका बजा दिया. एक टुकड़ी का नेतृत्व खुद प्रताप कर रहे थे तो दूसरी टुकड़ी के सरदार उनके बेटे अमर सिंह थे. महाराणा प्रताप की सेना में 3,000 और मुगलों फौज में 5000 सैनिक थे.
युद्ध के मैदान में जब बहलोल खां और महाराणा प्रताप का आमना- सामना हुआ तो अकबर का सेनापति ज्यादा देर उनके सामने नहीं टिक पाया. महाराणा ने अपनी तलवार से किए एक ही वार में बहलोल को उसके घोड़े समेत चीर कर रख दिया था, बहलोल वहीं दो टुकड़ों में जमीन पर गिर गया. प्रताप की शौर्य गाथा के ये किस्से आज भी भारतीय बड़े गर्व से पढ़ते-सुनते हैं. ये वही दिन था जब मुगल साम्राज्य को अपने अजेय होने की गलतफहमी टूटी थी.