अंतिम संस्कार का ये बड़ा अजीब रिवाज है! यहां लोग शव की राख का पीते हैं सूप, आखिर क्यों निभाई जाती है ये परंपरा?
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अंतिम संस्कार का ये बड़ा अजीब रिवाज है! यहां लोग शव की राख का पीते हैं सूप, आखिर क्यों निभाई जाती है ये परंपरा?

Yanomami Tribe: दुनिया के हर देश में अलग-अलग परंपराएं होती हैं. खासतौर पर जो अलग-अलग जनजातियां होती हैं, उनके रीति-रिवाज और परंपराएं बहुत अजीब होते हैं, जिनके बारे में सुनकर आम इंसान हैरान रह जाए. आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बता रहे हैं...

अंतिम संस्कार का ये बड़ा अजीब रिवाज है! यहां लोग शव की राख का पीते हैं सूप, आखिर क्यों निभाई जाती है ये परंपरा?

Soup From Ashes Of Dead: यह धरती बहुत बड़ी है, यहां के हर हिस्से में एक अलग दुनिया बसती है. हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां अभी भी बहुत सारी संस्कृतियों, धर्मों, जनजातियों और रीति-रिवाजों के बारे में जानना बाकी है. हालांकि, हर चीज को पसंद करना लगभग असंभव है, क्योंकि कुछ परंपराएं लोगों को आकर्षक लग सकती हैं, जबकि कुछ तो बेहद विचित्र हैं. फिर भी वे लोगों का ध्यान खींचने के लिहाज से बेहद  दिलचस्प हैं. ऐसी ही एक परंपरा है, जिसे साउथ अमेरिका की यानोमामी जनजाति मानती आ रही है. यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि यहां मृतकों के शवों की राख का सूप बनाकर पिया जाता है. आखिर क्यों निभाई जाती है ये परंपरा? आइए जानते हैं... 

सबसे अलग है अंतिम संस्कार का रिवाज 
दक्षिण अमेरिका की यामोनामी ट्राइब की अंतिम संस्कार की बड़ी अजीब परंपरा है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस जनजाति के पास नरभक्षण के समान एक अजीब दफन अनुष्ठान है, जिसे एंडोकैनिबलिज्म कहा जाता है. एंडोकैनिबलिज्म एक ही समुदाय, जनजाति के मृत व्यक्ति का मांस खाने की प्रथा है. इस जनजाति का मानना ​​है कि मृतकों की दिवंगत आत्मा तभी ठीक से आराम कर सकती है, जब शरीर को जीवित रिश्तेदारों द्वारा जला दिया गया हो और खाया गया हो. 

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शवों की राख का सूप
यानोमामी जनजाति, जिसे यानम या सेनेमा के नाम से भी जाना जाता है, जो वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं. यहां के लोगों के रिवाज वेस्टर्न कल्चर से बिल्कुल नहीं मिलता है. सभ्यता के विकास में यानोमानी जनजाति अब भी बहुत पीछे है. यानोमानी जनजाति में किसी की मौत होने पर शव को पत्तों और दूसरी चीजों से ढक दिया जाता है. फिर 30 से 40 दिन बाद वह शव को जला दिया जाता है. 

पीते हैं शव की राख का सूप 
बताया जाता है कि यानोमामी जनजाति के लोग मृतक के शरीर को जलाते हैं और उनके चेहरे को जले हुए शरीर से जमी मैल (त्वचा पर गंदगी की एक परत) से रंग देते हैं. वे किसी रिश्तेदार के खोने पर शोक मनाने के लिए गाते और रोते हैं. दफनाने के अगले चरण में वे जले हुए शव केअवशेषों को इकट्ठा कर उन्हें राख के साथ मिलाकर पाउडर में बदल देते हैं. इसके बाद इसे केले में मिलाकर सूप तैयार किया जाता है. फिर यह स्थानीय व्यंजन हर किसी को खाने के लिए पेश किया जाता है. 

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दुश्मन से लिया जाता है बदला  
रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि अगर कोई दुश्मन इनके किसी रिश्तेदार या गांव के सदस्य को मार देता है, तो केवल महिलाओं को राख खाने की अनुमति है. इसके बाद जिस दिन हत्या होती है उसी रात ग्रामीणों को दुश्मन के इलाके पर हमला करके बदला लेना होता है.

हालांकि, इस अजीब परंपरा के अलावा यानोमामी जनजाति में कई खूबिया भी हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जनजाति के पास विशाल वनस्पति ज्ञान है. ये अपने भोजन, इलाज, घर निर्माण और खूबसूरत कलाकृतियां बनाने लिए लगभग 500 तरह के पौधों का इस्तेमाल करना जानते हैं.

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