JEE Success Story: इंजीनियरिंग करने वाले ज्यादातर युवा आईआईटी से पढ़ना चाहते हैं. इसके लिए जेईई मेंस और फिर एडवांस्ड में क्वालिफाई करना जरूरी है, लेकिन कुछ युवा इसमें सफल के बावजूद अपनी सीट छोड़ देते हैं.
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Mohammad Sahil Akhtar Success Story: मैथ्स से 12वीं पास करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स देश के टॉप संस्थान से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखते हैं. इसके लिए उनकी पहली पसंद आईआईटी कॉलेज होते हैं. आईआईटी में दाखिले के लिए जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड की परीक्षा में क्वालिफाई करना जरूरी है.
इसमें सफलता पाने के लिए स्टूडेंट्स दिन-रात एक कर देते हैं. कुछ सीटों के लिए लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं. ऐसे में कॉम्पीटिशन बेहद टफ होता है, लेकिन कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो जेईई मेंस और जेईई एडवांस्ड पास करके भी आईआईटी में दाखिला नहीं लेते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं...
बेहतर अवसरों की तलाश
हम बता कर रहे हैं मोहम्मद साहिल अख्तर (Mohammad Sahil Akhtar) की, जिन्होंने जेईई एडवांस्ड 2023 की परीक्षा में ने 99 रैंक हासिल की थी, लेकिन साहिल ने आईआईटी की सीट छोड़ी दी, क्योंकि उन्हें इससे भी बेहतर अपॉर्चुनिटी की तलाश थी. साहिल ने आईआईटी छोड़कर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) को चुना.
साहिल के मुताबिक आईआईटी के बजाय एमआईटी को चुनने के पीछे का कारण है एमआईटी में रिसर्च के ज्यादा अवसर और फ्लेक्सिबल करिकुलम है. साहिल करते हैं कि आमतौर पर आईआईटी में सबसे डिमांडिंग ब्रांच कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है. मेरे पेरेंट्स ने भी साहिल को आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लेने के बारे में विचार करने का कहा था.
ओलंपियाड में भी लिया था हिस्सा
कोलकाता के रहने वाले मोहम्मद साहिल अख्तर ने दिल्ली पब्लिक स्कूल रूबी पार्क से स्कूल एजुकेशन पूरा किया है. साहिल जॉर्जिया में IOAA ओलंपियाड में भी हिस्सा ले चुके हैं. इसी दौरान फैसला किया कि आईआईटी के अलावा भी कई बेहतर ऑप्शन हैं.
साहिल स्टैंडर्ड प्रवेश परीक्षा (SAT) में भी शामिल हुए थे, लेकिन SAT स्कोर से ज्यादा MIT में एडमिशन संस्थान की प्रवेश समिति के साहिल के आवेदन के मूल्यांकन पर आधारित था. इसमें उनके ओवरऑल एकेडमिक रिकॉर्ड, एकेडमिक अचीवमेंट, एक्स्ट्रा एक्टिविटी और स्कूल टीचर्स के अनुशंसा पत्र शामिल थे. साहिल अपना एक यूट्यूब चैनल भी चलाते है.