Fateh Kadal: श्रीनगर का वो इलाका जो पत्थरबाजी के लिए था मशहूर, अब दिख रहे लोकतंत्र के रंग.. चुनाव प्रचार जारी
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Fateh Kadal: श्रीनगर का वो इलाका जो पत्थरबाजी के लिए था मशहूर, अब दिख रहे लोकतंत्र के रंग.. चुनाव प्रचार जारी

Kashmir News: कश्मीर घाटी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, पिछले तीन दशकों में पहली बार चुनाव प्रचार रैलियां उन इलाकों में की जा रही हैं, जिन्हें कभी अशांत और आतंकवादियों का गढ़ माना जाता था.

Fateh Kadal: श्रीनगर का वो इलाका जो पत्थरबाजी के लिए था मशहूर, अब दिख रहे लोकतंत्र के रंग.. चुनाव प्रचार जारी

Fateh Kadal Srinagar: पिछले कुछ सालों में जम्मू कश्मीर में काफी बदलाव हुआ है. इसकी बानगी देखने को मिल जाती है. श्रीनगर वही डाउनटाउन इलाका है, जो पत्थरबाजी और चुनाव बहिष्कार के लिए मशहूर था और आज सैकड़ों लोग रंगारंग चुनाव प्रचार और राजनीतिक नेताओं की रैलियों में शामिल हो रहे हैं. फतेहकदल का इलाका “शेर खास” जिसे नो-गो जोन माना जाता था और पिछले 30 सालों में वहां कोई भी मुख्यधारा का राजनीतिक नेता रैलियां करते नहीं देखा गया था.

असल में यहां पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती जो हर राजनीतिक रैली में कहती हैं कि कश्मीर सुरक्षित क्षेत्र नहीं है, फतेहकदल में रंगारंग रैली करने में सफल रहीं, न सिर्फ रैली बल्कि वह अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ प्रसिद्ध दरगाह “खानके मौउल्लाह” भी गईं. महबूबा इस बात से सहमत नहीं हैं कि यह शांति और समृद्धि का बदलाव है, उन्होंने कहा कि लोग उदास हैं और उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे जेल में हैं और अब वे अपने वोट से दिल्ली को जवाब देना चाहते हैं.

फिर भी क्या बोल गईं महबूबा..
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि हम यह क़ब्रिस्तान की खामोशी वाला अमन नहीं चाहिए, 2019 में जो हुआ है लोगों को वोट डाल के दिल्ली को बताना है जो आप ग़ैर क़ानूनी तौर छीना है वो वापिस करना हैं. महबूबा ने कहा सरकार पीडीपी और नेकां के लिए मुश्किले पेधा कर रही है मगर हेम उम्मीद हैं की वोटिंग अच्छी होगी.

पत्थरबाजी और चुनाव बहिष्कार के लिए मशहूर थे
कश्मीर घाटी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, पिछले तीन दशकों में पहली बार चुनाव प्रचार रैलियां उन इलाकों में की जा रही हैं, जिन्हें कभी अशांत और आतंकवादियों का गढ़ माना जाता था. क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद, फतेहकदल, डाउनटाउन के ईदगाह और ऐतिहासिक लाल चौक पर चुनाव प्रचार किया. यही इलाके कभी पत्थरबाजी और चुनाव बहिष्कार के लिए मशहूर थे. कश्मीर में हमेशा से ही मतदान प्रतिशत कम रहा है, लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह से बदल गई है.

ऐसा लगता है कि चुनावी रैलियों में लोगों की भागीदारी को देखते हुए पिछले सभी मतदान प्रतिशत टूट जाएंगे, क्योंकि लोग मतदान करने के लिए तैयार हैं और उनका कहना है कि अपने अधिकारों को पाने के लिए मतदान ही एकमात्र रास्ता है. भाषण सुनने आई साइरा ने कहा “वोट देने से यह लाभ हो सकता है हेम  तरकी मिल सकती है. मुझे लगता हैं बहुत बदलाव हुआ है लोग कहते हैं हम वोट डालेंगे वोट ज़ाया नहीं कारगे बहुत सारी चेंज आई है.”

बहुत बदलाव आ रहा है..
एक और समर्थक अशरफ़ ने कहा “हमारे डोवंटाउन में बहुत बदलाव आ रहा है युवा नेता आगे आये हैं. लगता हैं यह नेता युवाओं के लिए कुछ करेगे. चुनाव से ही मामला हल होगा हमारी आवाज़ आगे जाएगी. महबूबा मुफ्ती की रैली से पहले APNI पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने खानयार में दस्तगीर साहिब की दरगाह से श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में नौहट्टा की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद तक रोड शो किया. इस रैली में बड़ी संख्या में लोग और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए और इस बात पर सहमत भी हुए कि कश्मीर में बदलाव हो रहा है. 

भाजपा ने कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की नीतियों की प्रशंसा की है, खासकर अनुच्छेद 370 को हटाने की. उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह ने कश्मीर में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है और जो कदम उन्होंने उठे उसकी की वाजा से कश्मीर में शांति स्थापित हो पाई है. अल्ताफ ठाकुर (भाजपा जम्मू कश्मीर इकाई के प्रदेश प्रवक्ता) ने कहा “ यह जो आज यह राज्यनेता डाउंटाउन में खुल कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं यह केंद्र में बाजपा सरकार की नीतियों से मुमकिन हुआ है मोदी जी ने नया कश्मीर पेधा किया है अनुच्छेद 370 हटा कर” 

राजनीतिक दल शोपियां, पुलवामा और कुलगाम जैसे स्वेधनशील जिलों में भी रैलियां कर रहे हैं, जिन्हें कभी आतंकी संगठनों का गढ़ माना जाता था. श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार वाहिद पारा ने भी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले से श्रीनगर के लाल चौक स्थित घंटाघर तक रोडशो किया. उनके साथ सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ता थे और उनके और उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई नारेबाजी श्रीनगर के लाल चौक स्थित घंटाघर इलाके में गूंजती दिखी. 

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