अजमेर कांड: कुल 18 आरोपी.. 12 की चार्जशीट, एक अभी भी फरार, 32 साल में क्या-क्या हुआ?
Advertisement
trendingNow12392509

अजमेर कांड: कुल 18 आरोपी.. 12 की चार्जशीट, एक अभी भी फरार, 32 साल में क्या-क्या हुआ?

Ajmer Court: पांच आरोपी नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी, सईद जमीर हुसैन और एक अन्य नसीम उर्फ टार्जन को दोषी मानते हुए मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

अजमेर कांड: कुल 18 आरोपी.. 12 की चार्जशीट, एक अभी भी फरार, 32 साल में क्या-क्या हुआ?

Blackmailing Case Of Ajmer: अजमेर की एक विशेष अदालत ने 1992 के बहुचर्चित ब्लैकमेल व यौन शोषण कांड में छह शेष और आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. दोषियों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस बहुचर्चित कांड में अजमेर शहर की 100 से अधिक लड़कियों का यौन शोषण किया गया था. अभियोजन पक्ष के वकील वीरेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की सुनवाई पॉक्सो अदालत में हो रही थी. न्यायाधीश रंजन सिंह ने छह आरोपियों को अपराध में शामिल होने का दोषी ठहराया और फैसला सुनाया. 

मामले में कुल 18 आरोपी

असल में साल 1992 के इस कुख्यात मामले में आठ दोषियों को 1998 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, एक को 2007 में यही सजा दी गई थी और छह को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. सिंह ने बताया कि एक आरोपी ने 1994 में आत्महत्या कर ली थी और एक आरोपी अब भी फरार है. इस मामले में कुल 18 आरोपी थे. 

पहला आरोप पत्र 12 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया था. इनमें से एक आरोपी नसीम उर्फ टार्जन 1994 में फरार हो गया था. जहूर चिश्ती को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) का दोषी पाया गया और उसका मामला दूसरी अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया. फारूक चिश्ती का मुकदमा अलग से चला क्योंकि वह ‘सिजोफ्रेनिया’ (इस बीमारी में मरीज़ की ठीक से सोचने, महसूस करने, और बर्ताव करने की क्षमता पर असर पड़ता है) का मरीज बन गया था और एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली थी.

शेष आठ दोषियों को 1998 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और फारूक चिश्ती को 2007 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वकील ने कहा कि छह लोगों- नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी, सईद जमीर हुसैन और अलमास के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल किया गया. अलमास फरार है. इनमें से पांच आरोपी नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी, सईद जमीर हुसैन और एक अन्य नसीम उर्फ टार्जन को दोषी मानते हुए मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

मामले में जिन अन्य दोषियों को पहले सजा दी गई थी, या वे तो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं या अदालतों द्वारा बरी कर दिए गए हैं. वकील ने कहा कि इन छह के लिए अलग से सुनवाई हुई क्योंकि पहला आरोप पत्र दाखिल करने के समय इनके खिलाफ जांच लंबित थी. मामले में 11 से 20 साल की उम्र की पीड़ित लड़कियां अजमेर के एक मशहूर निजी स्कूल में पढ़ती थीं. उन्हें एक फार्म हाउस में बुलाया गया, जहां उनके साथ दुष्‍कर्म किया गया. 

उन्होंने कहा कि अदालत ने नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद ज़मीर हुसैन सहित प्रत्येक दोषी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. एक दोषी इकबाल भाटी को अदालत में पेश होने के लिए एम्बुलेंस में दिल्ली से अजमेर लाया गया था. agency input

Trending news