Samastipur Crime News: समस्तीपुर की रहने वाली युवती ने वर्तमान में पदस्थापित STF के डीएसपी अमन कुमार पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया है.
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Samastipur: बिहार में सुशासन राज में नीतीश सरकार ने महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी है. सरकार का दावा है कि वह ना तो किसी को बचाती है और ना ही किसी को फसाती है. लेकिन रौशनी (काल्पनिक नाम) ने सुशासन के नुमाइंदे पर ही शारीरिक सबंध बनाने का आरोप लगते हुए पुलिस न्याय की मांग की है.
दरअसल, समस्तीपुर की रहने वाली युवती रौशनी (काल्पनिक नाम) ने वर्तमान में पदस्थापित STF के डीएसपी अमन कुमार पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया है. युवती का कहना है कि उसके परिजनों ने 2018 में गर्दनीबाग इलाके के रहने वाले एक युवक से युवती की शादी तय की थी लेकिन वह शादी 3 दिनों के अंदर ही टूट गई. जिसके बाद युवती ने यह मामला महिला थाने में दर्ज करवाया. थाने में मामला तो दर्ज हो गया लेकिन उस पर कोई कार्रवाही नहीं हुई. इसके बाद पीड़िता अपनी शिकायत लेकर पुलिस मुख्यालय पहुंची.
महिला ने बताया कि 'पुलिस मुख्यालय में मुझे सर्वजीत नाम का एक व्यक्ति मिला जिसे मैं पहले से नहीं जानती थी. सर्वजीत ने मुझे एसटीएफ में तैनात डीएसपी अमन कुमार से यह कहकर मिलवाया कि आपको सिर्फ यही न्याय दिलवा सकते हैं. न्याय के नाम पर डीएसपी ने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और व्हाट्सएप पर घूमने की चैटिंग और अश्लील वीडियो भेजने लगे. घटना के 2 वर्ष (2020 जनवरी) बीत जाने के बाद डीएसपी अमन कुमार मुझे न्याय सम्बंधित मामले में एसएसपी कार्यालय ले जाने के बहाने इको पार्क ले गया. जहां उसने मेरे साथ गंदी हरकत की और विरोध करने पर जबरन गार्ड रूम में शारिरिक संबध बनाया. वहीं जब इस घटनाक्रम की जानकारी मैंने सर्वजीत को दी तो वह उल्टा मुझे ही डराने धमकाने लगा.'
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पीड़िता के मुताबिक, पीड़िता ने सर्वजीत को आपबीती की ऑडियो भी सुनाई लेकिन ऑडियो सुनते ही सर्वजीत ने अमन कुमार को बचाने के लिए सरकार से कोर्ट तक को जेब मे रखने की बात कहते हुए धमकी दी और अपने काम से काम रखने को कहा. इतना ही नहीं बल्कि परिवार तक की हत्या करने की धमकी दी.
पीड़िता का कहना है कि उसने न्याय के लिए आयोग से लेकर पुलिस के तमाम आला अधिकारियों तक को पत्र लिखा लेकिन आज तक ना तो डीएसपी पर कोई कार्रवाही हुई और ना ही पूर्व केस का मामला सुलझा. जिसके बाद पीड़िता ने पुलिस मुख्यालय पहुंचकर एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार को लिखित में आवेदन दिया.
महिला की शिकायत पर एडीजी मुख्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि 'साक्ष्य के आधार पर दोषी कोई भी हो बख्शा नही जाएगा चाहे पुलिसवाला ही क्यों न हो.'
अब सवाल यह उठता है कि क्या जांच के दौरान दोषी पाए जाने वाले सरकारी मुलाजिम और सहयोगी पर कार्रवाई होती है या फिर पीड़िता रौशनी इसी तरह न्याय के लिए भटकती रहती हैं.