Knowledge Railway Track Science: रेलवे ट्रैक बनाते समय विज्ञान और इंजीनियरिंग का इस्तेमाल होता है. यहां जानें पटरी से जुड़े सवालों के जवाब.
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नई दिल्ली: Knowledge Railway Track Stones: ट्रेन में सफर करते हुए आपने कई बार रेलवे ट्रैक के बीच रखे छोटे-छोटे पत्थरों को देखा होगा. आपने अक्सर सोचा होगा कि ये पत्थर वहां क्यों होते हैं? और आखिर बारिश के मौसम में भी ये पटरियां डूबती क्यों नहीं हैं? रेलवे की पटरियों से जुड़े इन सभी सवालों के जवाब आप यहां जान सकेंगे.
पटरी के नीचे लगे होते हैं स्लीपर
पटरी के बीच मौजूद पत्थरों के बीच एक गहरा विज्ञान और इंजीनियरिंग छिपी हुई है. पटरी के बीच रखे उन पत्थरों को आप करीब से देखेंगे तो उन्हें कई लेयर के साथ तैयार किया जाता है. पटरी के नीचे लंबी-लंबी प्लेट्स में उन्हें रखा होता है, जिन्हें स्लीपर कहा जाता है.
उन प्लेट्स के नीचे छोटे-छोटे नुकीले पत्थरों को रखा जाता है, इन्हें ब्लास्टर कहते हैं. उनके नीचे भी मिट्टी की दो लेयर होती हैं, जिस कारण ट्रैक जमीन से थोड़ा ऊंचाई पर नजर आता है. पटरी पर ट्रेन के चलने के दौरान पत्थर, स्लीपर और ब्लास्टर का कॉम्बिनेशन ट्रेन के भार को संभालता है.
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क्या काम करते हैं पत्थर?
पटरी के बीच मौजूद ये पत्थर वैसे तो बहुत छोटे होते हैं. लेकिन इंजीनियरिंग की मदद से इन्हें इस तरह से सेट किया जाता है, जिनसे वे ट्रेन के कंपन को सह पाते हैं और पटरी को फैलने से रोक देते हैं. नुकीले पत्थरों की जगह अगर गोल पत्थरों का यूज़ करेंगे तो कंपन्न नहीं रुकेगी और पटरी फैल भी सकती है.
बारिश में भी नहीं डूबता ट्रैक
पटरी को फैलने से रोकने के साथ ही इन पत्थरों की लेयर की मदद से ट्रैक के आसपास पौधे भी नहीं लगते हैं. पत्थरों की मदद से ट्रैक को जमीन से उठाकर बनाया जाता है, इसी कारण बारिश के मौसम में भी उस पर पानी नहीं भरता और ट्रैक ज्यों का त्यों बना रहता है.
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