Saira से पहले भी हुआ था Dilip Kumar को प्यार, नहीं हो सकी थी शादी
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Saira से पहले भी हुआ था Dilip Kumar को प्यार, नहीं हो सकी थी शादी

दिलीप कुमार (Dilip Kumar) आज 98 साल के हो गए हैं. दिलीप कुमार के जीवन से जुड़े कई अनसुने किस्से हैं. हम आपको आज बताएंगे इन किस्सों के बारे में...

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: 98 साल के दिलीप कुमार (Dilip Kumar) उर्फ युसूफ खान को आज हम किसी और नाम से नहीं जानते, पर जिस दिन बॉम्बे टॉकीज की मालकिन ने उनके सामने नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था, दिलीप कुमार सोच में पड़ गए थे कि उनके लिए सबसे सही नाम क्या होगा? देविका रानी ने वामन, उदय, वासुदेव और दिलीप, ये चार नाम सुझाए थे. दिलीप कुमार नये नाम को ले कर उतने एक्साइटेड नहीं थे, जितने यह सुनकर कि देविका को उनमें कोई बात नजर आ रही है और वे उसे 1250 रुपये की सेलरी में एक्टिंग की नौकरी देना चाह रही हैं. दिलीप कुमार बेहद खुश थे कि एक साल में वे इतने सारे पैसे कमाएंगे, यानी महीने के सौ रुपये से ज्यादा. 

दिलीप को लगा था शॉक
चालीस के दशक में इतने पैसे काफी होते थे ठीक से जिंदगी गुजारने के लिए. जब वे अपने लॉन्ज वापस आए तो उन्हें देविका रानी से मिलवाने वाले डॉ. मसानी ने पूछा कि तुम हर महीने बारह सौ पचास रुपये का क्या करोगे? दिलीप (Dilip Kumar) साहब चौंक गए… जब मसानी ने उन्हें बताया कि यह उनकी साल की नहीं मासिक आमदनी है तो दिलीप साहब लगभग बेहोश हो गए. इस नशे में उन्हें चार दिन नींद नहीं आई कि वे इतने सारे पैसे कमाने जा रहे हैं. उन्हें डर भी लगा कि क्या ये इतनी बड़ी सेलरी लेने लायक हैं?

देविका रानी को भी पसंद था यही नाम
अब बात करते हैं नाम की. दिलीप कुमार (Dilip Kumar) को वासुदेव नाम अच्छा लगा. उन्होंने तय किया कि वे अपना स्क्रीन नाम वासुदेव रखेंगे. जब देविका रानी ने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने लिए कौन सा नाम तय किया है तो पता नहीं कैसे दिलीप साहब के मुंह से दिलीप कुमार निकल गया. देविका रानी ने तुरंत इस नाम पर ठप्पा लगाते हुए कहा, हां, मुझे भी यह नाम सबसे अच्छा लगा. बस, इसके बाद से यूसुफ खान दिलीप कुमार बन गए. हालांकि अपने नए नाम की आदत होने में उन्हें कई दिन लग गए.

कच्ची उम्र की आशिकी
दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने 44 साल की उम्र में सायरा बानो से शादी की, यह बात सबको पता है. पर इससे पहले उन्होंने डूब कर आशिकी की थी अपनी को स्टार कामिनी कौशल से. दिलीप साहब और कामिनी कौशल ने 1948 से ले कर 1950 तक चार फिल्में शहीद, नदिया के पार, शबनम और आरजू की. उस दौरान दिलीप साहब कामिनी कौशल पर पूरी तरह लट्टू थे. उनकी आशिकी की खबर देविका रानी को भी थी. लेकिन इस इश्क के विरोध में आ खड़े हुए कामिनी के भाई. कामिनी दरअसल पहले से शादीशुदा थीं. अपनी दीदी के गुजर जाने के बाद अपने जीजाजी से उन्होंने शादी कर ली थी, फिर फिल्मों में काम करने आईं. दिलीप साहब को इस बात से बेहद धक्का लगा कि कामिनी ने भी उनसे यही कहा कि वे उन्हें भूल जाएं, वे अपने परिवार से दुश्मनी मोल ले कर उनसे शादी नहीं कर पाएंगी. इसके बाद सालों तक दिलीप कुमार के मन को कोई नहीं भाया. टूटे दिल का दर्द उनकी कई फिल्मों में नजर भी आया और उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा.

खाना गर्म न हो तो हो जाते थे गर्म
दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की शुरू से आदत थी कि वे चाय हो या खाना, खूब गर्म खाते थे. आलम यह होता था कि अगर चाय जरा सी ठंडी पड़ गई, वे प्याला सरका देते. उसी तरह प्लेट में रखी सब्जी से जब तक धुआं ना निकले, वे खाते ही नहीं थे. उनकी इस आदत से परेशान उनकी बेगम सायरा ने कहा था, जब दिलीप साहब की गाड़ी घर में एंटर होती, उसी समय खानसामे से कहती, अब सब्जी में छौंक लगाओ. उनकी टेबल पर खाना सीधे गैसे से निकल कर परोसा जाता था. यही नहीं, सायरा मजाक में यह भी कहती थीं कि उन्हें खाने में क्या परोसा जा रहा है इसकी फिक्र नहीं है. अगर उनकी प्लेट में जलता अंगारा रख दें तो खुश हो कर खा लेंगे.

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