मनीषा कोइराला ने कैंसर के खिलाफ छेड़ी जंग, सुनाई इलाज के दौरान की आप बीती
Advertisement
trendingNow1487725

मनीषा कोइराला ने कैंसर के खिलाफ छेड़ी जंग, सुनाई इलाज के दौरान की आप बीती

मनीषा ने पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित अपनी पहली पुस्ताक 'हील्ड : हाउ कैंसर गिव मी ए न्यू लाइफ' का विमोचन किया

मनीषा कोइराला की किताब का हुआ विमोचन, फोटो साभार: INSTAGRAM@m_koirala

नई दिल्ली: कैंसर के खिलाफ अपनी जंग के बारे में लिखने से लेकर अपनी प्रेरक वार्ता के साथ कई जिंदगियों को प्रेरित करने वालीं और 'संजू' व 'लस्ट स्टोरीज' जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं नेपाल में जन्मीं अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने खुद को लेखन में व्यस्त कर लिया था. उनका कहना है कि कैंसर से उनकी लड़ाई ने उन्हें एक बेहतर कलाकार बनाया है. 

अभिनय के प्रति उनके दृष्टिकोण में आए बदलाव के बारे में पूछने पर 'बॉम्बे' की अभिनेत्री ने आईएएनएस को बताया, "मैं अब हर चीज को लेकर ज्यादा दिमाग लगा रही हूं. हां, मैंने जिंदगी का अनुभव लिया है और इस तरीके से मैं कह सकती हूं कि कैंसर से जंग जीतने से मैं एक बेहतर कलाकार बन गई हूं." 

fallback
मनीषा कोइराला, फोटो साभार: INSTAGRAM@m_koirala

उन्होंने कहा, "मैं जानती हूं कि इन दिनों, जब मैं कोई कहानी सुनती हूं या किरदार के बारे में पढ़ती हूं तो मैं उसकी गहराई में चली जाती हूं, मैं मेरे किरदार के दिमाग के साथ जुड़ने का प्रयास करती हूं और यह वही बारीकियां हैं, जिन्हें मैं तलाश रही थी."

fallback
मनीषा कोइराला की किताब का हुआ विमोचन, फोटो साभार: INSTAGRAM@m_koirala

मनीषा ने मंगलवार शाम को यहां पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित अपनी पहली पुस्ताक 'हील्ड : हाउ कैंसर गिव मी ए न्यू लाइफ' का विमोचन किया. इस दौरान यहां विधु विनोद चोपड़ा, महेश भट्ट, अनुपम खेर, गुलशन ग्रोवर, इम्तियाज अली, रेखा और केतन मेहता जैसी बॉलीवुड हस्तियां मौजूद रहीं.

47 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा, "अब, जब मैं कहानी की ओर देखती हूं तो मैं अपने किरदार की लंबाई नहीं देखती. अब सिर्फ मैं देखती हूं कि मेरा किरदार क्या कह रहा है. मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता कि मेरा किरदार केवल पांच दृश्य का ही क्यों न हो."

fallback
मनीषा कोइराला की किताब का हुआ विमोचन, फोटो साभार: INSTAGRAM@m_koirala

मनीषा 2012 में अंडाशय कैंसर से जंग जीत चुकी हैं.

उन्होंने कहा, "देखिए, कुछ ऐसे क्षण भी हैं, जिन्हें मैं दोबारा से याद करने के लिए गहराई में नहीं जाना चाहती क्योंकि आज भी जब मैं उनके बारे में सोचती हूं तो मैं सिहर जाती हूं. इसलिए जब मैं पुस्तक लिख रही थी तो मैं संघर्ष कर रही थी.. मैंने इस दौरान हाथ खड़े कर दिए ताकि मैं उन्हें याद करने से बच सकूं. हालांकि मेरे प्रकाशक बहुत ही सहयोगी थे और मैंने किताब पूरी की."

इनपुट आईएएनएस से 

बॉलीवुड की और खबरें पढ़ें

Trending news