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नई दिल्लीः भारत में सिनेमा निर्माण का दौरा उन्नीसवीं सदी के शुरुआत से प्रारंभ हुआ. शुरुआती दौर में महिलाओं के अभिनय को बेहद सीमित दायरे में रख कर फिल्माया जाता था. मगर समय बदलने के साथ धीरे-धीरे नायिकाओं ने अपने बेजोड़ अभिनय से आधे पर्दे पर अपना राज जमा लिया. नायिकाएं बदलाव के इस दौर में खतरनाक स्टंट के चलन से भी दूर नहीं रहीं.
ऑस्ट्रेलिया की मैरी एन इवांस कैसे बनीं भारत की पहली स्टंट वुमेन ?
भारतीय सिनेमा में नायिकाओं द्वारा स्टंट करने के चलन की नींव साल 1930 में आस्ट्रेलिया मूल की भारतीय मैरी एन इवांस ने रखी, जो आगे चल कर ‘फीयरलेस नादिया’ के नाम से जानी गर्इं. यह थीं – भारत की पहली महिला स्टंटवूमन. ब्रिटिश सेना के स्वयंसेवक स्कॉट्समैन हर्ब्रेट इवांस और मार्गरेट के घर 8 जनवरी 1908 में बेटी का जन्म हुआ. जिसका नाम उन्होंने मैरी एन इवांस रखा. भारत आने से पहले वे आस्ट्रेलिया में रहते थे. पांच साल की उम्र में साल 1913 में मैरी अपने पिता के साथ पहली बार बंबई आई थीं.
जवानी में किए स्टंट अब अमिताभ को कर रहे परेशान
साल 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उसके पिता की आकास्मिक मृत्यु हो गई. मां के साथ उन्हें पेशावर में शरण लेनी पड़ी. वहां मैरी ने घुड़सवारी, शिकार, मछली पकड़ना और शूटिंग करना सीखा. साल 1928 में वह फिर अपनी मां के साथ भारत आर्इं और उन्होंने मैडम एस्ट्रोवा से बैले डांस सीखा. एक अर्मेनियाई ज्योतिषी ने मैरी के सफल भविष्य की बात कही थी. साथ ही उन्होंने बताया था कि अगर वह अंग्रेजी के अक्षर ‘एन’ से कोई भी नाम रखती हैं, तो उसे सफलता जरूर मिलेगी। इसके बाद मैरी ने अपना नाम ‘नादिया’ रखा.
सर्कस में काम करके की करियर की शुरुआत
साल 1930 में नादिया ने ज़ोरको सर्कस से अपने करियर की शुरुआत की और भारत के अलग-अलग शहरों का भ्रमण किया. विदेशी गोरी रंगत, सुनहरे बाल और नीली आंखों वाली नादिया को भारतीय सिनेमा में लाने से पहले निर्देशक जमशेद की यह चिंता लगातार बनी रही कि कहीं ऐसा न हो भारतीय दर्शक विदेशी व्यक्त्वि वाली इस नायिका को पसंद न करें, लेकिन सिनेमा में महिलाओं के प्रस्तुतिकरण और दर्शकों के मन में नायिकाओं की बनी एक तस्वीर को बदलने के लिए खतरनाक स्टंट करने वाली नादिया उन्हें बिल्कुल सटीक नायिका लगीं.
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भारतीय सिनेमा में ‘फीयरलेस नादिया’ का उदय
जमशेद ने फिल्म जे.बी.एच. में नादिया को नायिका के तौर पर चुना. यह नादिया की सबसे पहली फिल्म थी. इस फिल्म का निर्देशन जमशेद वादिया ने किया. इसके बाद उन्होंने ‘देश दीपक’, ‘नूर-ए-यमन’ और ‘खिलाड़ी’ जैसी सफल फिल्मों में अपने बेजोड़ अभिनय और खतरनाक स्टंट से अलग पहचान बनाई. ‘हंटरवाली’ नादिया की सबसे सफल फिल्म रही. उन्होंने पचास से भी अधिक फिल्मों में काम किया. 1960 के दशक में उन्होंने निर्माता-निर्देशक होमी वाडिया से शादी कर ली और फिल्मों से संन्यास ले लिया.
अपने स्टंट्स से आज भी लोगों के जहन में जिंदा है नादिया
9 जनवरी 1996 को नादिया ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया| पर नादिया ने अपने अभिनय और व्यक्तित्व से भारतीय इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए महिलाओं के लिए अभिनय-क्षेत्र में अवसरों के नए द्वार खोल दिये| इससे पहले महिलाओं के सन्दर्भ में अभिनय को सम्मानजनक पेशा नहीं माना जाता था| इसके बावजूद, धीरे-धीरे हिंदी-सिनेमा में महिला कलाकारों ने अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया पर नादिया ने अपने बेजोड़ अभिनय एवं निर्भीक स्टंट के माध्यम से महिला कलाकारों के लिए पुरुषों द्वारा बनाये अभिनय के दायरे को खत्म करते हुए उनकी बराबरी में लाकर खड़ा कर दिया.
300 मीटर ऊंचाई पर पतली रस्सी पर स्टंट
जिसका असर आज भी हम हिंदी सिनेमा में महिला कलाकारों के खतरनाक स्टंट वाले में सीन में देख सकते है. जिन्हें देखने के बाद जहन में नादिया के लिए यह बात अक्सर आती है कि यूँ तो वह बरसों पहले दुनिया से रुखसत हो गयी, मगर यादों में आज भी जिंदा है.’