PS1 Review: इस फिल्म से कनेक्ट कर पाना मुश्किल, जाना चाहें तो पहले समझ लें थोड़ी हिस्ट्री
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PS1 Review: इस फिल्म से कनेक्ट कर पाना मुश्किल, जाना चाहें तो पहले समझ लें थोड़ी हिस्ट्री

Ponniyin Selvan Part 1: इस फिल्म में हिंदी दर्शकों के लिए जानने की जरूरी बात है कि कुछेक दृश्यों में ऐश्वर्या राय बच्चन बहुत खूबसूरत दिखी हैं. बाकी कथा-पटकथा को समझने में आपको अपनी ओर से काफी परिश्रम करना पड़ेगा, उसके बाद भी पैसा वसूल जैसा मजा नहीं आएगा.

 

PS1 Review: इस फिल्म से कनेक्ट कर पाना मुश्किल, जाना चाहें तो पहले समझ लें थोड़ी हिस्ट्री

Aishwarya Rai New Film: निर्देशक मणि रत्नम की पोन्नियिन सेल्वन पार्ट 1 के हिंदी डब संस्करण की सबसे बड़ी समस्या है, इसका दर्शकों से कनेक्ट. फिल्म इसी नाम के ऐतिहासिक उपन्यास पर आधारित है, लेकिन इसके देश-काल और किरदारों से दक्षिण के बाहर दर्शक जुड़ पाएं, कठिन है. ऐसा नहीं कि इस कहानी को समझा नहीं जा सकता, मगर समस्या है स्क्रिप्ट. लेखकों ने इसे कुछ इस तरह से लिखा है, मानो जिन दर्शकों के लिए वे फिल्म बना रहे हैं, उन्हें इतिहास का सारा ज्ञान है. नतीजा यह कि फिल्म देखते हुए इसकी कहानी और ऐतिहासिक घटनाक्रम को जानने में आपको अपनी ओर से काफी कोशिश करना पड़ती है. बीच-बीच में अचानक नए किरदार आते हैं और घटनाक्रम घूमता है, तो पुराने सिरे खो जाते हैं. अब तक आप कहानी के बारे में सबकुछ जान-समझ सकें, तब तक अंत आ जाता है और पता चलता है कि बाकी बातें अगले हिस्से में दिखाई जाएंगी.

समझ लें कहानी को
पोन्नियिन सेल्वन तमिल इतिहास में 10वीं-11वीं सदी के चोल वंश के राजा सुंदर, उनके दो पुत्रों, एक पुत्री और राजमहल के अंदर रचे जाने वाले षड्यंत्रों की कहानी है. राजा सुंदर (प्रकाश राज) के दो पुत्र आदित्य कलीकरन (छियान विक्रम) और अरुलमोरी वर्मन (जयम रवि) राज्य के उत्तर और दक्षिण में साम्राज्य विस्तार के लिए निकले हैं. राजा सुंदर बीमार हो जाते हैं और राज्य का खजांची पर्बतेश्वर तमाम मंत्रियों-सेनापतियों को साथ लेकर, सुंदर के भतीजे को राजगद्दी पर बैठाने का षड्यंत्र रचता है. जबकि उम्रदराज पर्बतेश्वर की अत्यंत रूपवती युवा पत्नी नंदिनी (ऐश्वर्या राय बच्चन) इस षड्यंत्र को धार देती है. राजा सुंदर की बेटी कुंदवई (तृषा कृष्णन) इन्हें विफल करने का प्रयास करते हुए, दोनों भाइयों को वापस बुलाने के संदेश भेजती है. क्या भाई लौटेंगेॽ षड्यंत्रकारियों को कहां तक सलफता मिलेगीॽ आदित्य और अरुलमोरी की जिंदगियों की क्या कहानियां हैंॽ ऐसे कुछ सवालों की जवाब इस हिस्से में मिलेंगे तो कुछ को पार्ट 2 के लिए छोड़ दिया गया है.

धीमी रफ्तार, पुरानी कॉमेडी
हिंदी के दर्शकों के लिए पोन्नियिन सेल्वन पार्ट 1 की समस्या न केवल देश-काल है, बल्कि फिल्म की कथा-पटकथा भी है. पटकथा में लंबे समय तक किरदार स्पष्ट नहीं होते और दर्शक को उनके साथ उलझना पड़ता है. कहानी की रफ्तार बहुत धीमी है और बीच-बीच में आने वाले गाने मुश्किलें पैदा करते हैं. इस ऐतिहासिक कहानी में मणि रत्नम और उनके राइटरों की टीम ने हल्के-फुल्के कॉमेडी सीन पैदा किए हैं, मगर फिल्म के मिजाज से बिल्कुल बाहर नजर आते हैं. कई जगहों पर कॉमेडी बहुत पुरानी मालूम पड़ती है. कई ऐक्शन और कॉमेडी दृश्यों को जरूरत से ज्यादा लंबा खींचा गया है.

मुद्दे की बात है हाशिये पर
फिल्म का जो एक महत्वपूर्ण ट्रेक, जिसका प्रचार किया गया या जिसकी काफी बातें हुई, वह है आदित्य कलीकरन और नंदिनी की प्रेम कहानी. पोन्नियिन सेल्वन में यह हिस्सा बेहद निराश करता है. दोनों की किशोरावस्था का प्रेम न तो फिल्म में ढंग से उभरता है और न ही उनकी नफरत असर पैदा करती है. यह सब बहुत तेजी से समेट दिया गया है. आदित्य और नंदिनी की कहानी लगभग हाशिये पर है. राजा सुंदर के परिवार में अंदरूनी रिश्तों की बुनावट भी सतही तौर पर दिखाई गई है. पूरा फोकस राजमहल के विरुद्ध मंत्रियों-सेनापतियों के षड्यंत्रकारियों तथा राजपुत्रों की जान लेने की कोशिश करने वाले दुश्मनों पर है. अतः फिल्म इमोशन की कम और एक्शन की बात ज्यादा करती है. मगर यह एक्शन असर नहीं पैदा करता. हिंदी डब के संवाद भी ऐसे नहीं है कि वह किरदारों में वजन पैदा करें. कई जगह पर बात बहुत हल्की हो जाती है. पार्ट 1 जिन उलझनों के साथ बढ़ते हुए जहां खत्म होता है, वहां पार्ट 2 के लिए खास उत्सुकता पैदा नहीं होती.

जो जरूरी बात है
कुल मिलाकर पोन्नियिन सेल्वन ऐसी फिल्म है, जिसे देखने से पहले आपको चोल राजवंश के इतिहास की थोड़ी-बहुत जानकारी होनी चाहिए. इसमें दिखाए गए किरदारों का पता होना चाहिए. अन्यथा आप उलझे रहेंगे. फिल्म का गीत-संगीत इसकी कहानी में बाधा है. जबकि इसमें ए.आर. रहमान जैसा नाम शामिल है. फिल्म का कैमरावर्क अच्छा है मगर वीएफएक्स थोड़ा ओवर मालूम पड़ता है. मणि रत्नम की फिल्म देखते हुए आश्चर्य होता है कि बिना वीएफएक्स के मानवीय संवेदनाओं का शानदार सिनेमा बनाने वाले निर्देशक तकनीक पर कितने ज्यादा आश्रित हो गए हैं. सिनेमा के लिए सबसे जरूरी है अच्छी कहानी और अच्छा लेखन. तकनीक उसे खूबसूरती से पर्दे पर उतारने का माध्मयम मात्र है. उससे अधिक कुछ नहीं.

निर्देशकः मणि रत्नम
सितारेः छियान विक्रम, कार्ति, ऐश्वर्य राय बच्चन, जयम रवि, तृषा कृष्णन, प्रकाश राज
रेटिंग **

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