Vanvaas Movie Review: नाना पाटेकर के फैन हैं तो चले जाइए वनवास
Advertisement
trendingNow12567357

Vanvaas Movie Review: नाना पाटेकर के फैन हैं तो चले जाइए वनवास

नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर रंधावा, राजपाल यादव, अश्विनी कालेस्कर, राजेश शर्मा , स्नेहिल दीक्षित आदि स्टार्स से सजी फिल्म वनवास का पढ़िए रिव्यू.

वनवास रिव्यू

निर्देशक: अनिल शर्मा 
स्टार कास्ट: नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर रंधावा, राजपाल यादव, अश्विनी कालेस्कर, राजेश शर्मा , स्नेहिल दीक्षित आदि 
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में 
क्रिटिक रेटिंग : 3

अपने मारक डॉयलॉग्स और ग़ुस्से के लिए मशहूर नाना पाटेकर का रोमांटिक रूप आपको इस मूवी में देखने को मिलेगा. कविताएँ पढ़ने वाला प्रेमी, केवल उसी की बातों में खोये रहने वाला आशिक़. फ़िल्म निर्देशक अनिल शर्मा की ‘ग़दर2’ में जहां लड़ाई अमीषा को वापस लाने की थी, ‘वनवास’ में यही लड़ाई है नाना पाटेकर को घर पहुँचाने की, जिसे लड़ेंगे अनिल शर्मा के बेटे और ग़दर में सनी-अमीषा के फ़िल्मी बेटे उत्कर्ष शर्मा.

फिल्म की कहानी
कहानी है दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) की, जो अपने तीन बेटों, बहुओं और उनके बच्चों के साथ किसी पहाड़ी शहर में बने शानदार बंगले में रहता है. बंगले का नाम स्वर्गीय पत्नी विमला के नाम पर है ‘विमला सदन’.  दीपक अपनी पत्नी की मौत के बाद इतना दुखी है कि हर वक़्त उसी की यादों में खोया रहता है और उसे डिमेन्शिया की बीमारी भी है, कुछ कुछ भूल जाने की. 

बेटों को लगता है कि कहीं बँगले को पिता किसी NGO को ना दे दें, वो उसे बहाने से वाराणसी ले जाते हैं और उसे घाट पर छोड़कर चुपचाप वहाँ से खिसक आते हैं. हालाँकि ऐसे में दीपक पर मोबाइल का ना होना अखरता है. दीपक की मुलाक़ात वहाँ वीरू वॉलंटियर (उत्कर्ष) से होती है, जो राजपाल यादव के साथ मिलकर छोटी मोटी चोरियाँ करता है. अनाथ वीरू मीना (सिमरत) पर जान छिड़कता है. 

आगे की कहानी बहुत छोटी है, अपना नाम पता भूल चुके दीपक को वापस उसके घर पहुँचाना है, लेकिन ये एक लंबी इमोशनल जर्नी बन जाती है. दीपक की पत्नी विमला की यादों की, उनके प्रेम के परवान चढ़ने की और बेटों के बचपन की.  ‘स्वर्ग’ और ‘बाग़वान’ जैसी कहानी में नया है कुछ तो नाना पाटेकर की एंट्री. नाना के जबरा फ़ैन्स के लिए उनका ये रूप एकदम अलग होगा. नाना जब जब इस मूवी में दिखते हैं, उस सीन में अपना जादू छोड़ते चले जाते हैं.

एक्टिंग कैसी है
‘ग़दर 2’ के बाद सिमरत इस मूवी में भी ताजा झोंके जैसा एहसास देती हैं और उत्कर्ष हमेशा की तरह इस मूवी में भी कॉन्फिडेंस से लबालब हैं. लेकिन एक नये लड़के में इतना कॉन्फिडेंस ही तो लोगों को अखरता आया है, ऐसा लगता है कि जो सीन वो कर रहे हैं,  बाक़ी हीरो भी तो ऐसे ही करते आए हैं. इस मूवी में तो उनके दाढ़ी वाले लुक के साथ भी एक गड़बड़ हुई है, कई बार वो चिराग़ पासवान लगे हैं. ये उनके लिए नेगेटिव जा सकता है. हालाँकि इस बात से इनकार नहीं कि उत्कर्ष में क्षमताएँ बहुत हैं.

ये चीज थी समझ से परे
कहानी भले ही पुरानी जैसी लगे लेकिन अनिल शर्मा ने शिमला, पालमपुर, डलहौज़ी और वाराणसी जैसे लोकेशंस पर फ़िल्माकर और नाना पाटेकर को एक नये अंदाज में पेश कर ताजगी लाने की भरपूर कोशिश की है. राजेश शर्मा, अश्विनी और राजपाल यादव जैसे चेहरे अपने पुराने जैसे रोल्स में हैं. मिथुन का संगीत और सईद क़ादरी के गीत जरूर उतना असर नहीं  छोड़ते.  लेकिन इमोशंस का प्रवाह इस मूवी में अनिल शर्मा ने चरम पर ले जाने की कोशिश की है. अपनी संस्कृति के प्रति उनका लगाव इस मूवी में भी दिखा है. हालाँकि कार्ल मार्क्स वाला डायलॉग और नाना का पुलिस के ‘सर्व धर्म सद्भाव’ पर कमेंट समझ से परे था.

'वनवास' का ट्रेलर

एक कमी रह गई
ऐसे में इस फ़िल्म की कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि नाना पाटेकर के नाम पर थिएटर्स में इसे कितने लोग देखने आते हैं. लेकिन इतना तय है कि जब भी OTT पर आएगी लोग इसे पसंद करेंगे, हाँ फ़िल्म को आराम से 20 मिनट तो कम किया ही जा सकता था.

Trending news