Who Is This Punjabi Singer: कुछ समय पहले ओटीटी पर पंजाबी सिंगर 'अमर सिंह चमकीला' पर आधारित एक फिल्म आई थी, जिसमें उनकी पुरानी यादों को समेट कर दर्शकों के सामने रखा गया था, लेकिन एक और ऐसे ही पंजाबी सिंगर हैं, जिनकी सारी 'किताबें', 'गजलें' और रिकॉर्ड्स मिटा दिए गए थे, लेकिन फिर भी उनके गाने आप सभी ने इन हिट फिल्मों में सुने हैं.
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Punjabi Singer Shiv Kumar Batalvi: ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कुछ महीने पहले फिल्म निर्माता-निर्देशक इम्तियाज अली ने दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा के साथ एक पंजाबी सिंगर 'अमर सिंह चमकीला' की जिंदगी पर आधारित एक फिल्म रिलीज की थी. जिसमें उनकी जर्नी की शुरुआत और उनके अंत की काहीन दर्शकों के सामने पेश की गई थी, लेकिन वे पहले ऐसे सिंगर नहीं है, जिनकी कहानी कहीं गुम हो कर रह गई थी.
आज भी ऐसे कई सिंगर्स है, जिनके बारे में या तो हम जानते नहीं या फिर उनको भुला चुके हैं. उन्हीं में से एक कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं. ये एक ऐसे सिंगर हैं जिनकी सारी 'किताबों', 'गजलों' और रिकॉर्ड्स मिटा दिए गया था, लेकिन बावजूद इसके उनके कई गानों आप कई हिट फिल्मों में सुन चुके हैं. पंजाबी सिंगर और साहित्य में जब भी मोहब्बत और गम की बात होती है तो उसमें सबसे पहला नाम इसी सिंगर का आता है.
कौन थे शिव कुमार बटालवी?
इन सिंगर का नम है शिव कुमार बटालवी. पंजाबी भाषा के विख्यात कवि और सिंगर शिव कुमार बटालवी रोमांटिक कविताओं औ गजलों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते थे. उनकी कविताओं में प्यार का दर्द, जुदाई और प्रेमी के अंदर बसा दर्द साफ छलकता था. उनको 'बिरहा का सुल्तान' भी कहा जाता था. कहा जाता है कि जब भी कोई उनसे उनका हाल-चाल पूछता है तो वे खुद को आशिक बताते थे और कहते थे, 'फकीरों का हाल क्या पूछते हो'?
कविताओं-गजलों में देते थे जवाब
वो हाल चाल पूछने पर अक्सर कहा करते थे, 'हम तो नदियों से बिछड़े पानी की तरह हैं. हम आंसुओं से निकले हैं और हमारा दिल जलता है'. बटालवी सवाल करने पर अपने जवाब या तो कविताओं के जरिए देते थे या गजलों के जरिए और उनके जवाब पूछने वाले के दिलों में बस जाया करते थे. शिव कुमार बटालवी का जन्म 23 जुलाई, 1936 को पाकिस्तान के पंजाब के शकरगढ़ तहसील के गांव बड़ा पिंड लोहटिया में हुआ था.
प्यार में दर्द पाए सिंगर थे बटालवी
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उनका परिवार गुरदासपुर जिले के बटाला में बस गया था. उनके बारे में बताया जाता है कि बटालवी एक प्रेमी थे, जो नाकामी की वजह से इस तरह की कविताएं और गजलें लिखा करते थे, जिनमें विरह और दर्द का भाव हुआ करता था. बताया जाता है कि शिव कुमार को पंजाबी की ही एक विख्यात लेखिका गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी की बेटी से प्यार हो गया था, लेकिन दोनों का मिलन हो नहीं पाया और वो इस दर्द में डूबते चले गए.
मिल चुका है साहित्य अकादमी सम्मान
बताया जाता है कि दोनों के प्यार के बीच जातिभेद की दीवार आ गई थी. प्यार में नाकामी ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया था. प्यार में टूटन की पीड़ा उनकी कविता में झलकती थी. बटालवी का पहला कविता संग्रह 'पीड़ां दा परागा' साल 1960 में प्रकाशित हुआ था. इसके बाद ‘लूणा’ आया, जिसको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हालांकि, महज 36 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था.
जला दी थी उनकी किताबें और रिकॉर्ड्स
आज के दौर के सबसे मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास ने एक टीवी शो में बातचीत के दौरान ये खुलासा किया था, 'शिव कुमार बटालवी ने अपने दौर में बहुत विरोध झेला. बदनामी झेली. उनकी डायरियां, कविताएं, गजलें जला दी गईं. ये बहुत ही शर्म की बात है कि पंजाब आकाशवाणी पर उनकी जो रिकॉर्डिंग्स हुई थीं, उन सभी को डिलीट करवा दिया गया. बटालवी विरोध के गम को झेल नहीं पाए. वो हमारी यादों के पहले बदनाम शायरों में से एक हैं'.
हिंदी सिनेमा में सुन चुके हैं उनके गाने
बता दें, शिव कुमार बटालवी की कई रचनाओं का इस्तेमाल हिंदी फिल्मों में किया गया है. बटालवी की कुछ बेहतरीन कविताएं, जिनको आप हिंदी फिल्मों में सुन चुके हैं. 'मैंनू विदा करो', 'इक कुड़ी जिहदा नाम मोहब्बत', 'की पुछदे हो हाल' हैं. इतना ही नहीं, उनकी कविताओं को दीदार सिंह परदेसी, सुरिंदर कौर, नुसरत फतेह अली खान, हंस राज हंस और महेंद्र कपूर जैसे कई लोगों अलग-अलग अंदाज में पेश कर चुके हैं.