Godhra Movie Review: मनोज जोशी, रणवीर शौरी, हितु कनोडिया, देनिशा घुमरा जैसे स्टार्स से सजी गोधरा कांड पर बनी फिल्म ‘एक्सीडेंट और कॉन्सपिरेसी गोधरा’ ने थिएटर्स में दस्तक दे दी है. फिल्म के डायरेक्टर एम के शिवाक्ष हैं. चलिए बताते हैं फिल्म का रिव्यू.
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फिल्म निर्देशक: एम के शिवाक्ष
स्टार कास्ट: मनोज जोशी, रणवीर शौरी, हितु कनोडिया, देनिशा घुमरा आदि
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
स्टार रेटिंग: 3
पिछले साल अचानक से गोधरा कांड पर बन रहीं दो फिल्में चर्चा में आईं. एक विक्रांत मैसी और रिद्धि डोगरा की ‘द साबरमती रिपोर्ट’ और दूसरी ये ‘एक्सीडेंट और कॉन्सपिरेसी गोधरा’. दोनों को टाइटल्स से एक बात साफ लग रही है कि दोनों ही जांच रिपोर्ट्स आधारित होंगी और दोनों ही गुजरात दंगों से ज्यादा गोधरा कांड यानी साबरमती ट्रेन को जलाने की घटना पर आधारित होंगी. ऐसे में ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के कुछ सींस दोबारा शूट किए जा रहे हैं, वहीं गोधरा 19 को रिलीज हो गई है. बॉक्स ऑफिस पर इस मूवी का अंजाम जो हो लेकिन इतना तय है कि ये मूवी पहली बार गोधरा स्टेशन पर घटी उस घटना को आम लोगों की आंखों के सामने जीवंत करने जा रही है, जो भारतीय राजनीति को लम्बे समय तक प्रभावित करती रही और आगे भी करती रहेगी.
एक बात साफ लग रही थी कि फिल्म का बजट जरूर कम था, लेकिन फिल्म को लेकर निर्माता निर्देशक काफी आश्वस्त थे कि वो अपनी बात रखने में कामयाब होंगे. ऐसे में चूंकि फिल्म का टाइटल ही है एक्सीडेंट या कॉन्सपिरेसी, सो आखिर में निर्देशक को एक को चुनना ही होगा, सो उस पर एकतरफा होने के आरोप भी लगेंगे. वाबजूद इसके शुरूआत से ही फिल्म को इस तरह रचा गया कि क्लाइमेक्स से पहले तक दर्शकों को इसमें हिंदू पक्ष की भी बहुत गलतियां नजर आएंगी.
‘एक्सीडेंट और कॉन्सपिरेसी गोधरा’ की कहानी (Story OF Accident or Conspiracy: Godhra)
कहानी रची गई है गोधरा कांड की जांच करने वाले नानावटी मेहता आयोग की सुनवाई के बहाने, कुछ कुछ वैसे ही जैसे ‘ताशकंद फाइल्स’ में हुआ था, लेकिन वो लोग आपस में चर्चा कर रहे थे. ‘कश्मीर फाइल्स’ के कृष्णा की तरह एक किरदार भी बनाया गया जो इस टॉपिक पर रिसर्च करना चाहता है, लेकिन गोधरा कांड की हकीकत नहीं जानता, सो दूसरे पक्ष से ही प्रभावित रहता है. आयोग के सामने महमूद कुरैशी (रणवीर शौरी) गोधरा कांड को एक्सीडेंट साबित करने की कोशिश कर रहे वकील हैं तो इसे सोची समझी साजिश साबित कर रहे हैं वकील रवीन्द्र पांड्या (मनोज जोशी). शुरूआत में ही महमूद कुरैशी दो गवाहों के जरिए सनसनी फैला देते हैं.
एक गवाह स्टेशन का ही चाय वेंडर है, जो बताता है कि कैसे कारसेवकों ने चाय के पैसे नहीं दिए और मांगने पर बदतमीजी की, धमकियां दीं. तो दूसरी गवाह एक लड़की थी, जिसने आयोग को बताया कि कैसे प्लेटफॉर्म पर कारसेवकों ने उससे बदतमीजी और छेड़खानी की. बाद में बगल के कोच में सफर कर रही एक तीसरी गवाह लाकर भी चौंका दिया, उसने दावा किया कि उसको कारसेवकों वाले कोच S-6 में किसी ज्वलनशील पदार्थ की बदबू आ रही थी. जिससे महमूद कुरैशी ने दावा किया कि वो कैरोसिन हो सकती है, जिसको स्टोव के साथ कारसेवक ले जा रहे थे, आग उसी से लगी होगी. दूसरे वकील रवीन्द्र पांड्या का इन गवाहों के सामने कुछ भी ना पूछ पाना, ये संदेश देता है कि गोधरा कांड इतना आसान नहीं था.
इस कहानी को रचा गया है स्टेशन मास्टर देशपांडे (हितु कनौडिया) के परिवार से, जिनकी पत्नी देवकी (देनिशा घुमरा) और बेटा भी साबरमती ट्रेन में अयोध्या से वापस आ रहे थे, और वो खुद उस दिन छुट्टी पर थे. इस कांड के बाद वो रेलवे की नौकरी छोड़कर किसी कॉलेज में पढ़ाने लगते हैं और वहां एक छात्र उनसे गुजरात दंगों पर रिसर्च करने की अनुमति मांगता है, कहानी तब शुरू होती है.
लेकिन गोधरा मूवी की कहानी बिना मीडिया के पूरा नहीं हो सकती, कैसे शुरूआत में ही रवीन्द्र पांड्या एक सीन के जरिए एक मशहूर लेडी टीवी एंकर पर गुजरात दंगों की पक्षपाती रिपोर्टिंग के लिए निशाना साधते हैं, वो कुछ मीडिया वालों की उस वक्त की भूमिका दिखाने के लिए काफी है. आखिर में कैसे एक एक करके रवीन्द्र पांड्य कुरैशी की एक एक बात का तोड़ निकालते हैं, उसे देखना दिलचस्प था. लेकिन क्लाइमेक्स में ट्रेन में 59 लोगों को जिंदा जलते देखना भयावह था, और वो भी तब आपको पता चले कि इस आग की भेंट 27 महिला और 10 बच्चे भी चढ़ गए थे.
‘एक्सीडेंट और कॉन्सपिरेसी गोधरा’ का रिव्यू
हालांकि इस फिल्म की अहमियत केवल इसी बात में है कि लोग सवा दो घंटे में जान सकें कि हुआ क्या था और कैसे इस कांड की साजिश हुई या एक्सीडेंट था. आज भी देश भर में गोधरा ट्रेन में मरे एक भी व्यक्ति का नाम तक नहीं पता होगा. ऐसे में ये मूवी इस भयावह घटना को सहेजने का एक क्रिएटिव दस्तावेज है, जो अब इतिहास में शामिल हो गया है.
हालांकि बजट कम और छोटे स्टार्स होने के चलते मूवी उस स्केल पर नहीं जा पाएगी, लेकिन इसका बनना जरूरी था.
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कुछ सवाल भी उठे कि जब देवकी को गोधरा पर ही उतरना था, तो वो उतरी क्यों नहीं? इस मूवी से लगा कि पिछले स्टेशंस पर जहां वो बार बार गोधरा का पूछ रही थी, गोधरा आने पर उतरी क्यों नहीं. जबकि असिस्टेंट स्टेशन मास्टर अपनी गवाही में बता चुका था कि उन्मादी भीड़ ने किसी को स्टेशन पर उतरने ही नहीं दिया था, और ये गवाही फिल्म में शामिल नहीं. किसी पुलिस वाले का अयोध्या का उदाहरण देना भी एकतरफा लगता है.
‘एक्सीडेंट और कॉन्सपिरेसी गोधरा’ का म्यूजिक
मूवी में तीन गीत हैं, जिनमें वी रैक्स के संगीत में दो भजन हैं, दोनों ही अच्छे बन पड़े हैं, एक कैलाश खेर की आवाज में है मंगलम, मंगलम तो दूसरा दिव्य कुमार व वैशाली माडे की आवाज में है सिया राम. एक गाना पोपोन की आवाज में भी है आज तारा तारा. जो इतनी गंभीर किस्म की मूवी में ऐसी सिचुएशन में पिरोए गए हैं कि आपको राहत देते हैं. आपको इस मूवी में गुजरात दंगों के वो दो किरदार भी शुरू में दिखेंगे जो उन दिनों एक मैगजीन में छपकर देश भर में प्रसिद्ध हो गए थे.