Explainer: दिमाग में सूजन, तेज बुखार और मौत...क्या है चांदीपुरा वायरस, जो बच्चों के लिए बन रहा काल?
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Explainer: दिमाग में सूजन, तेज बुखार और मौत...क्या है चांदीपुरा वायरस, जो बच्चों के लिए बन रहा काल?

Chandipura Virus Prevention: गुजरात के 4 जिलों में फिलहाल 9 मामले चांदीपुरा वायरस के दर्ज किए गए हैं. गुजरात में अन्य राज्यों से आए लोगों में तीन मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है. इसका पहला मामला साल 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था. 

Explainer: दिमाग में सूजन, तेज बुखार और मौत...क्या है चांदीपुरा वायरस, जो बच्चों के लिए बन रहा काल?

Chandipura Virus: गुजरात और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. सोमवार को गुजरात के हिम्मतनगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से छह बच्चों की मौत हो गई. जबकि राजस्थान में दो बच्चों में लक्षण मिले थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है.  

वायरस के प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है. गुजरात के 4 जिलों में फिलहाल 9 मामले चांदीपुरा वायरस के दर्ज किए गए हैं. गुजरात में अन्य राज्यों से आए लोगों में तीन मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है. इसका पहला मामला साल 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था. उसके बाद गुजरात में भी यह संक्रमण पाया गया था. 

1965 में आया था पहला केस

सबसे पहले 1965 के अप्रैल से जून के बीच नागपुर में यह वायरस सामने आया था, जिसमें सबसे पहले लोगों को बुखार चढ़ता है. यह वायरस रैबडोविरिडे फैमिली के वेसिकुलोवायरस जीनस का मेंबर है, जो मच्छरों, टिक्स और सैंडफ़्लाइज (Sandflies) के जरिए फैलता है और इसकी चपेट में 9 महीने से लेकर 14 साल तक के बच्चे आते हैं. इसका ज्यादातर प्रकोप ग्रामीण इलाकों में देखा गया है. 

साल 1967 में पुणे वायरस रिसर्च सेंटर के प्रवीण एन भट्ट और एफएम रॉड्रिक्स ने रिसर्च पेपर पेश किया था. चांदीपुरा वायरस को अर्बोवायरस (आर्थ्रोपोडा वैक्टर के जरिए फैलने वाला वायरस) के तौर पर क्लासीफाई किया गया है, जो भारत के लिए नया है. 

भट्ट और रॉड्रिग्स के मुताबिक, इस वायरस को उन कुछ स्तनधारी वायरसों में से एक माना जाता है जो वायरल संक्रमण के परिणामस्वरूप मेजबान कोशिका में संरचनात्मक परिवर्तन करते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि यह वायरस शिशुओं और वयस्क चूहों के लिए घातक है.

साल 2016 में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में छपे एक रिव्यू आर्टिकल के मुताबिक, साल 2003-04 के बीच मध्य भारत में इस वायरस के प्रकोप के कारण कुल 322 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से 183 आंध्र प्रदेश, 115 महाराष्ट्र और 24 मौतें गुजरात में हुईं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश और गुजरात में मृत्यु दर क्रमशः 56 से 75 प्रतिशत थी.

पेपर में कहा गया था कि अधिकतर मरीजों की मौत मरीजों में लक्षण शुरू होने के 24 घंटे के भीतर ही हो गई थी. साल 2006 में वारंगल जिले (अब तेलंगाना) और महाराष्ट्र में इसका प्रकोप सामने आया था. भारत के अलावा ये नाइजीरिया, सेनेगल और श्रीलंका में भी कहर मचा चुका है. 

क्या हैं इसके लक्षण?

  • इस वायरस का कहर आमतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलता है. यह रोग मक्खी, मच्छर के काटने से होता है.

  • 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह वायरस पाया जाता है.

  • चांदीपुरा वायरस में अक्सर अचानक तेज बुखार आना, उसके बाद दौरे पड़ना, दस्त, दिमाग में सूजन, उल्टी का होना शामिल है, जो मौत का कारण बन सकता है.

  • बताया गया है कि इस वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं. ऐसे में यह वायरस शिशुओं और वयस्क के लिए घातक है.

  • गुजरात में अब तक कुल 4,487 घरों में 18,646 लोगों की जांच की जा चुकी है. वायरस पर कंट्रोल के लिए कुल 2093 घरों में कीटनाशकों का छिड़काव भी किया गया है.

मंत्री ने क्या कहा?

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगर बच्चों में हाई फीवर, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाएं. गुजरात में अब तक 12 मामले पाए गए हैं, जिसमें 6 मरीजों का इलाज चल रहा है और 6 की मौत हो गई है. उन्होंने कहा कि चांदीपुरा वायरस के लिए सैंपल्स पुणे भेजे जाते हैं, जिसकी रिपोर्ट 12 से 15 दिन में आती है. अब तक चांदीपुरा वायरस से 6 मरीजों की मौत की खबर आ चुकी है. पुणे से सैंपल के नतीजे आने के बाद ही कहा जा सकेगा कि ये मरीज चांदीपुरा वायरस से संक्रमित थे या नहीं.

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