क्या भीगी-भीगी फरवरी, मार्च में 40 डिग्री का संकेत है? डराने वाला है मौसम का हाल
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क्या भीगी-भीगी फरवरी, मार्च में 40 डिग्री का संकेत है? डराने वाला है मौसम का हाल

Global Warming Effect: पिछले साल मार्च में भीषण गर्मी पड़ने लगी थी और तापमान 40 डिग्री के करीब पहुंच गया था. अब इस साल भी ऐसे ही हालत बन रहे हैं और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है.

क्या भीगी-भीगी फरवरी, मार्च में 40 डिग्री का संकेत है? डराने वाला है मौसम का हाल

Climate Change and El Nino Effect: फरवरी का महीना, सर्दी का मौसम, बारिश और कोहरा... फिर भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का न्यूनतम तापमान करीब 12 डिग्री... फरवरी के महीने में ऐसा मौसम डराने वाला है. तो क्या इस साल भी मार्च में ही भीषण गर्मी शुरू हो जाएगी? क्या ग्लोबल वॉर्मिंग और अल नीनो की वजह से इस साल भी रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ेगी. बता दें कि पिछले साल भी मार्च में भीषण गर्मी पड़ने लगी थी और तापमान 40 डिग्री के करीब पहुंच गया था.

फरवरी में ही डराने वाला है मौसम का हाल?

दरअसल, पिछले साल हर महीने तापमान के नए रिकॉर्ड बने और दिसंबर तक लोग ठंड का इंतजार करते रहे. पहाड़ों पर बर्फबारी नहीं हुई और घूमने जाने वालों को निराशा हाथ लगी. जनवरी के दूसरे सप्ताह में कड़ाके की ठंड का अहसास होना शुरू हुआ. फरवरी शुरू होते ही कई राज्यों में बारिश शुरू हो गई और लगा कि सर्दी अब ज्यादा सताएगी. लेकिन, हुआ बिल्कुल इसके उल्टा और बारिश के बाद तापमान बढ़ गया.

4 फरवरी को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 11.9

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार (4 फरवरी) को हल्की बारिश हुई. साथ ही पूरे दिन बादल छाया रहा और सूरज के दर्शन भी नहीं हुए.  इसके बावजूद न्यूनतम तापमान बढ़कर 11.9 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जो इस मौसम के औसत से 3 डिग्री अधिक है. इस दौरान कुछ इलाकों में सुबह के समय कोहरा भी रहा, लेकिन फिर भी ठंडक कम हो गई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अधिकतम तापमान भी 20 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया.

मौसम क्यों हो रहा इतना ज्यादा गर्म?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही इस साल कम सर्दी पड़ने की भविष्यवाणी कर दी थी. दिसंबर 2023 में IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युजंय महापात्र ने बताया था कि ठंड कम पड़ेगी. दिसंबर से लेकर फरवरी तक देश के अधिकतर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है. बता दें कि इसकी वजह प्रशांत महासागर में भूमध्यरेखा के आसपास अल-नीनो का मजबूत होना है.

अल-नीनो की वजह से भारत ही नहीं इसकी वजह से पूरी दुनिया के मौसम में बदलाव आया है. इस वजह से मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और अरब सागर में समुद्री सतह का तापमान बढ़ गया है. इस वजह से पूरी धरती का तापमान बढ़ रहा है. पिछले साल दिसंबर में दुबई में आयोजित COP28 Climate Summit में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक डराने वाली रिपोर्ट पेश की थी. जिसके अनुसार, साल 2023 मानव इतिहास का सबसे गर्म साल रहा. इसकी वजह अल-नीनो है और यह इस साल भी गर्मी बढ़ाएगा.

इस साल पड़ने वाली है भयंकर गर्मी

तो इस साल भयंकर गर्मी झेलने को तैयार हो जाइए, क्योंकि आने वाले दिनों में तापमान तेजी से बढ़ सकता है. इसको लेकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी चेतावनी दी थी और कहा था कि इस साल अल नीनो की वजह से रिकॉर्ड तोड़ने वाले 2023 की तुलना में अधिक गर्मी पड़ सकती है. इसके साथ ही यूएन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन में भारी कटौती की अपील भी की थी. यूएन ने यह भी कहा था कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अल नीनो जैसी मौसमी घटनाओं के कारण सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है.

क्या है अल-नीनो और यह कैसे डालता है असर?

अल नीनो एक तरह की मौसम संबंधी घटना है. सामान्य तौर पर अल-नीनो हर दो से सात साल में होता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने सब बदल दिया है और जलवायु परिवर्तन के चलते इसकी अवधि बढ़ने लगी है. अल-नीनो की स्थिति मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है. समुद्र का तापमान बढ़ने से मौसम गर्म होने लगता है और ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है. कुछ इलाकों में सूखे के हालात भी बनने लगते हैं.

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