US Presidential Election 2024: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है. इसे पूरा होने में कई महीने लग जाते हैं. आइए, अमेरिकी चुनाव प्रक्रियाओं के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करते हैं.
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United States Electoral College: अमेरिका में 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई हैं. पिछले दो दशकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से वापस बैलेट पेपर की ओर बढ़ रहा है. इस बार अमेरिकी चुनाव में, 95 फीसदी पंजीकृत मतदाता ऐसे क्षेत्राधिकारों में रहते हैं जहां हाथ से चिह्नित या ज्यादातर मतदाताओं के वोट देने के लिए बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है. इसे पूरा होने में कई महीने लग जाते हैं. आइए, जानते हैं कि अमेरिका अपना राष्ट्रपति कैसे चुनता है यानी वहां के लोग कैसे वोट डालते हैं और उन्हें कौन गिनता है. साथ ही यह भी जानते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर आयोजित अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को आखिर कौन पूरा कराता है?
अमेरिका में कैसे आयोजित किए जाते हैं राष्ट्रपति चुनाव?
माना जाता है कि अमेरिकी संघीय चुनाव आयोग (US Federal Election Commission) ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का आयोजन करता है. हालांकि यह पूरा सच नहीं है क्योंकि अमेरिकी संघीय चुनाव आयोग का अधिदेश (मैंडेट) संघीय अभियान वित्त कानूनों को लागू करना और उनका प्रशासन करना है. यह भारत के चुनाव आयोग की तरह वास्तव में चुनाव कराने तक विस्तारित नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका में अत्यधिक विकेंद्रीकृत चुनाव प्रणाली है.
अमेरिकी चुनाव में मतदान-मतगणना के लिए एक मानक नहीं
अमेरिकी संविधान संघीय कार्यालयों के चुनावों के लिए कुछ पैरामीटर निर्धारित करता है, लेकिन उसके ज्यादातर पहलुओं को राज्य कानूनों द्वारा विनियमित किया जाता है. अमेरिका में सभी चुनाव यानी संघीय, राज्य और स्थानीय वहां के अलग-अलग राज्यों द्वारा प्रशासित होते हैं, और कई पहलुओं को काउंटी या स्थानीय क्षेत्राधिकारों को सौंप दिया जाता है. इसका मतलब है कि अमेरिका में मतदाता अपने वोट कैसे डालते हैं और इन वोटों की गिनती कैसे की जाती है, इसके लिए कोई एक तयशुदा मानक नहीं है.
2024 के चुनावों में मतदाता किस तरह मतदान करेंगे?
अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने का दिन है, लेकिन कई राज्यों में प्रारंभिक मतदान जारी है. भारत के विपरीत, अमेरिका में मतदाता अपने निवास स्थान के आधार पर मतपत्रों या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर मतदान कर सकते हैं. वहां तीन प्राथमिक मतदान तंत्रों का उपयोग किया जाता है. हाथ से चिह्नित कागज के मतपत्र वर्तमान में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मतदान तंत्र हैं.
ज्यादातर राज्यों में केवल बैलेट पेपर से वोटिंग की इजाजत
अमेरिका में चुनाव प्रशासन पर नज़र रखने वाले फिलाडेल्फिया स्थित गैर-लाभकारी संगठन वेरिफाइड वोटिंग के अनुसार, 69.9 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता ऐसे क्षेत्राधिकारों में रहते हैं जहां अधिकांश मतदाता (विकलांग लोगों को छोड़कर) इस तंत्र का उपयोग करके मतदान करेंगे. ज्यादातर राज्य केवल हाथ से चिह्नित कागज के मतपत्रों (बैलेट पेपर) की इजाजत देते हैं.
क्या है बैलेट मार्किंग डिवाइस? क्यों और कैसे बढ़ी उपयोगिता
बैलेट मार्किंग डिवाइस (BMD) का उपयोग करके भरे गए कागज के मतपत्रों का उपयोग 25.1 प्रतिशत क्षेत्राधिकारों में सभी मतदाताओं द्वारा किया जाएगा. बीएमडी एक कम्प्यूटरीकृत प्रणाली है जो एक डिजिटल मतपत्र प्रदर्शित करती है और मतदाताओं को चयन करने की अनुमति देती है. फिर बाद में मतदाता की पसंद का एक कागजी रिकॉर्ड प्रिंट करती है. इस मुद्रित भौतिक मतपत्र का उपयोग चुनाव के बाद मतों की गणना करने के लिए किया जाता है.
हेल्प अमेरिका वोट एक्ट (HAVA) के पारित होने के बाद साल 2002 में बीएमडी को विकसित किया गया था, जिसके तहत सभी मतदान केंद्रों को विकलांग मतदाताओं को निजी तौर पर और स्वतंत्र रूप से मतदान करने का साधन प्रदान करना जरूरी था. इस प्रकार, बीएमडी में कई एक्सेसिबिलिटी सुविधाएं जैसे ब्रेल कीपैड, ऑडियो असिस्ट वाले हेडफ़ोन और रॉकर पैडल वगैरह शामिल हैं.
अमेरिका में मतदान का भविष्य नहीं बन सका डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRE) सिस्टम को कभी अमेरिका में मतदान के भविष्य के रूप में देखा जाता था, लेकिन 2024 में, केवल 5 फीसदी मतदाता ऐसे क्षेत्राधिकार में रहते हैं जहां सभी मतदाता इस तंत्र का उपयोग करेंगे. डीआरई सिस्टम भारत में वोटिंग के लिए काम आने वाले ईलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की तरह है. इसमें वोट इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाले और संग्रहीत किए जाते हैं.
भारतीय ईवीएम के उलट, अमेरिका में कई अलग-अलग प्रकार के डीआरई
हालांकि, भारतीय ईवीएम के विपरीत, अमेरिका में कई अलग-अलग प्रकार के डीआरई हैं, जो विभिन्न प्रकार के इंटरफ़ेस (जैसे बटन और टचस्क्रीन) का उपयोग करते हैं और इस वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) प्रिंटर के साथ या उसके बिना आते हैं. 2024 में, लुइसियाना एकमात्र ऐसा राज्य है जहां 100 प्रतिशत मतदाता DRE (VVPAT के बिना) का उपयोग करके मतदान करेंगे. नेवादा दूसरा राज्य है, जहां DRE का व्यापक उपयोग होगा. वहां 95.4 प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं के पास केवल DRE तक पहुंच होगी, लेकिन VVPAT के साथ.
अमेरिका में मतदान की पसंदीदा पद्धति में क्या बदलाव आया है?
2000 तक, अमेरिका के सभी अधिकार क्षेत्रों में पेपर बैलेट का उपयोग किया जाता था. लेकिन फ्लोरिडा में एक बेहद कड़े मुकाबले, जिसमें रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने आखिरकार एक दर्दनाक री-काउंटिंग के बाद डेमोक्रेट अल गोर को 537 वोटों से हराया था के चलते मतदान सुधार पर बटन दबा दिया गया था.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पाम बीच काउंटी में इस्तेमाल किए गए "बटरफ्लाई बैलेट" को गलत तरीके से जोड़ा गया था, जिसके कारण कई मतदाताओं ने गलती से गलत उम्मीदवार को अपना वोट दे दिया. री-काउंटिंग यानी मतो की पुनर्गणना पूरी होने के बाद और बुश जूनियर के फ्लोरिडा चुनाव जीतने के बाद पाम बीच पोस्ट ने निष्कर्ष निकाला कि यह बैलेट डिज़ाइन था जिसके कारण आखिरकार गोर को राष्ट्रपति पद से हाथ धोना पड़ा.
हैकिंग और विदेशी हस्तक्षेप के चलते DRE पर भरोसा कम
एचएवीए (HAVA) ने मतदान उपकरणों में सुधार किया, जिसका मकसद आखिर में पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मतदान की ओर बढ़ना था. साल 2006 के मध्यावधि चुनावों तक, अमेरिका में 41.9 प्रतिशत अधिकार क्षेत्रों में केवल DRE सिस्टम की पेशकश की गई थी, और वे 60 प्रतिशत से अधिक अधिकार क्षेत्रों में उपलब्ध विकल्प थे. हालांकि, हैकिंग और विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चिंताओं ने साबित किया कि DRE कभी भी जनता का विश्वास हासिल करने में सक्षम नहीं थे.
साल 2008 के चुनाव के बाद से DRE को अपनाया जाना कम होने लगा. साल 2016 के चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के आरोपों और डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव ने कई अमेरिकियों को डीआरई (DRE) से दूर कर दिया.
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मतों की गिनती कैसे की जाती है?
हाथ से चिह्नित कागज़ के मतपत्र और बीएमडी (BMD) का इस्तेमाल करके भरे गए मतपत्र दोनों की गिनती ऑप्टिकल स्कैनर का उपयोग करके की जाती है, और फिर गिनती की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए कंप्यूटर द्वारा ग्राफिक्स (सारणीबद्ध) बनाकर बांटा जाता है. साल 2000 की तुलना में अब मतपत्र उत्पादन के लिए कहीं अधिक कठोर मानक को देखते हुए, यह प्रक्रिया काफी हद तक बिना किसी बाधा के चलती है.
राज्यों के सेल्फ-ऑडिट के बाद डेडलाइन पर जारी होंगे नतीजे
हालांकि, गिनती और सारणी पूरी होने के बाद, राज्यों के पास परिणामों का सेल्फ-ऑडिट करने के लिए अलग-अलग समय सीमा होती है. इसे मैन्युअल रूप से या फिर मशीन की मदद से पूरा किया जा सकता है. ज्यादातर राज्यों में पुनर्गणना का प्रावधान है. जीत के अंतर के आधार पर इसका आदेश दिया जा सकता है. आखिर में चुनाव अधिकारियों को एक विशिष्ट तारीख तक आधिकारिक यानी अंतिम वोट टैली दिखाते हुए तथाकथित प्रमाण पत्र जारी करना पड़ता है. इस वर्ष, इसकी अंतिम समय सीमा 11 दिसंबर है. यह चुनाव की तारीख 5 नवंबर से एक महीने से भी अधिक समय के बाद की डेडलाइन है.
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