Iran Woman Strips Down Against Hijab: इजरायल के साथ युद्ध जैसे हालात से जूझते ईरान के में सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के कथित विरोध में इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय में एक छात्रा ने अपने अंडरवियर तक उतार फेंके. सोशल मीडिया पर वाकए का वीडियो वायरल होने के बाद महिला को गिरफ़्तार कर लिया गया.
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Iran Woman Protest Against Mandatory Hijab: मध्य पूर्व में एक बार फिर हिजाब के खिलाफ प्रोटेस्ट के कारण हंगामा बरपा है. ईरान के ड्रेस कोड के खिलाफ कथित विरोध में शनिवार को इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय परिसर में एक युवती ने अपने अंडरवियर उतार दिए. मामले का वीडियो वायरल होने के बाद उसे गिरफ़्तार कर लिया गया.
वायरल वीडियो में दिखा ईरान की मोरल पुलिस का 'अनैतिक' चेहरा
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और समाचार रिपोर्टों के मुताबिक, एक ईरानी विश्वविद्यालय में एक युवती ने कथित तौर पर ईरान के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के विरोध में अपने अंडरवियर उतार दिए. ईरानी स्टूडेंट मीडिया आउटलेट अमीर कबीर न्यूज़लेटर द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज की शुरुआत में युवती अपने अंडरवियर में विश्वविद्यालय परिसर के बाहर घूमती हुई दिखाई दे रही है. उसके बाद इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय में सुरक्षा गार्ड महिला को हिरासत में लेते हुए दिखाई दे रहे हैं.
दुनिया भर में निंदा-आलोचना के बाद ईरान में बहानेबाजी और लीपापोती
इसके बाद, हेंगाव अधिकार समूह, ईरानवायर और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे फ़ारसी-भाषा के समाचार प्लेटफ़ॉर्म द्वारा इस रिपोर्ट को दुनिया भर में प्रसारित किया गया. मामले के तूल पकड़ने के बाद विश्वविद्यालय के प्रवक्ता आमिर महज़ॉब ने माक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर पोस्ट एक बयान में कहा कि "पुलिस स्टेशन में जांच के दौरान... यह पाया गया कि वह महिला स्टूडेंट गंभीर मानसिक दबाव में थी और उसे मानसिक विकार था."
गिरफ्तार छात्रा को मोरल पुलिस कस्टडी में जमकर पीटे जाने का आरोप
कई मिलियन बार देखे जाने वाले इस वीडियो ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है. महिला की वर्तमान स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन डेली हमशहरी की रिपोर्ट के अनुसार, "एक जानकार स्रोत" ने संकेत दिया है कि आगे की जांच के बाद गिरफ्तार छात्रा को मानसिक अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है. हालांकि, अमीर कबीर न्यूज़लेटर ने आरोप लगाया कि गिरफ़्तारी के दौरान छात्रा को जमकर पीटा गया है.
सुरक्षा के साथ छात्रा को फौरन और बिना शर्त रिहा करने की जबरदस्त मांग
मानवाधिकार से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने छात्रा की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा, "ईरान के अधिकारियों को विश्वविद्यालय की छात्रा को फौरन और बिना शर्त रिहा करना चाहिए... उसकी रिहाई तक, अधिकारियों को उसे यातना देने से बचाना चाहिए और उसके परिवार और वकील तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए." कई मानवाधिकार समूहों ने ईरानी जेलों में महिलाओं के साथ कथित दुर्व्यवहार का दस्तावेजीकरण किया है और छात्रा की सुरक्षा की मांग की है.
'ईरान की मोरल पुलिस से परेशान यह छात्रा सच्चे प्रतिरोध का बहादुर चेहरा'
ईरान की सामाजिक कार्यकर्ता और संगीतकार एलिका ले बॉन ने एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "ईरान में, एक महिला जिसे हिजाब न पहनने के लिए 'मोरल पुलिस' द्वारा परेशान किया गया था, उसने अपने कपड़े उतार दिए और विरोध में सड़कों पर घूमी. उसके बाद से उसे IRGC बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और जबरन गायब कर दिया गया. यह छात्रा सच्चे प्रतिरोध का बहादुर चेहरा है."
In Iran, a woman who was accosted by the “morality police” for not wearing hijab removes her clothing & roams the streets in defiance. She has since been arrested by IRGC forces and forcibly disappeared. This is the brave face of true resistance. pic.twitter.com/HhbbEGhKlf
— Elica Le Bon الیکا ل بن (@elicalebon) November 2, 2024
ईरान में 2022 से बड़े पैमाने पर हिजाब के खिलाफ महिलाओं का विरोध प्रदर्शन
इससे पहले, ईरान में 2022 में करीब-करीब पूरे देश में हिजाब के खिलाफ महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किए थे. क्योंकि तब ईरान में हिजाब पहनने से जुड़े सख्त नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार की गई ईरानी कुर्द महिला महसा अमिनी की मौत हो गई थी. पूरे ईरान में महिला प्रदर्शनकारियों ने अपने सिर के स्कार्फ़ हटाकर और कुछ मामलों में इसे जलाकर सरकारी अधिकारियों की अवहेलना की थी. विरोध प्रदर्शनों के कारण की गई सरकारी कार्रवाई में कथित तौर पर 551 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और हज़ारों को गिरफ़्तार किया गया था.
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों का सिलसिला, पूरे कपड़े उतार फेंकना नया तरीका
ईरानी हिजाब विरोध को समझने की कोशिश करने वाली वैश्विक संस्थाओं ने दावा किया कि साल 2022 से महिलाओं के नेतृत्व किए गए हिजाब के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कुछ हद तक अभूतपूर्व हैं. तब से ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों का एक सिलसिला चल रहा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी ध्यान आकर्षित किया है. हालांकि ईरान में हिजाब का विरोध और उससे जुड़े आंदोलनों में महिलाओं की भागीदारी नई बात नहीं है, लेकिन हालिया विरोध प्रदर्शन गंभीर चिंता का विषय है. क्योंकि ईरान में महिलाओं के नागरिक अधिकारों के लिए इस तरह पूरे कपड़े उतार फेंकना अनोखा प्रदर्शन है.
ईरान की मोरल पुलिस की हिरासत में 22 साल की महसा अमिनी मौत बनी चिंगारी
ईरान में हिजाब विरोध प्रदर्शन इस खुलासे के जवाब में शुरू हुआ था कि 22 साल की ईरानी महिला महसा अमिनी की देश की "मोरल पुलिस" की हिरासत में मौत हो गई थी. ईरानी सरकार की शाखा मोरल पुलिस देश भर में सख्त इस्लामी कानून या शरिया लागू करने के लिए ज़िम्मेदार है. अमिनी को मुस्लिम महिलाओं द्वारा अपने बालों को छिपाने के लिए सिर पर पहना जाने वाला कवर यानी हिजाब पहनने से इनकार करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था.
महसा अमिनी की मौत पर भी दिखा ईरान सरकार का दोहरा चेहरा, उठे कई सवाल
हालांकि, महसा अमिनी की मौत की सटीक वजह साफ नहीं हो पाई थी, लेकिन ईरान सरकार का कहना था कि राजधानी तेहरान के एक अस्पताल में कोमा में रहने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से अमीनी की मौत हो गई था. प्रदर्शनकारियों और आलोचकों का तर्क है कि पुलिस हिरासत में पिटाई और यातना के कारण वह कोमा में चली गईं, जहां उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी.
शिया मुस्लिम बहुल ईरान में 1979 में बड़ा बदलाव, मजहबी सत्ता- मनमाना अधिकार
ऐतिहासिक तथ्यों को देखें तो साल 1979 में शिया मुस्लिम बहुल ईरान ने एक बड़े बदलाव का सामना किया था, जिसमें देश में पश्चिमी हस्तक्षेप के विरोध द्वारा समर्थित इस्लामी धार्मिक नेताओं को अपनी सरकार के प्रमुख के रूप में स्थापित किया गया. ईरानी धर्मतंत्र (एक मजहबी सरकार) एक सत्तावादी शासन है जिसका नेतृत्व सर्वोच्च नेता की अध्यक्षता में मजहब के बुजुर्गों की एक परिषद करती है. सर्वोच्च नेता के पास ईरान की सेना के साथ-साथ नागरिक सरकार पर भी अंतिम अधिकार होता है.
साल 1989 से लगातार ईरान की सत्ता में बने हुए हैं मौजूदा सर्वोच्च नेता अली खामेनेई
ईरान के संविधान के तहत, एक विधायिका, एक न्यायालय प्रणाली और एक राष्ट्रपति है, लेकिन सर्वोच्च नेता उन सभी सरकारी निकायों को दरकिनार कर देता है और देश के अधिकांश नेतृत्व को नियुक्त करने के लिए जिम्मेदार होता है. सर्वोच्च नेता आजीवन पद पर बने रहते हैं. मौजूदा सर्वोच्च नेता अली खामेनेई 1989 से लगातार ईरान की सत्ता में बने हुए हैं. ईरान की संस्कृति प्राचीन फारस से जुड़ी है और आज भी यह मध्य पूर्व के सबसे ताकतवर देशों में से एक है.
ईरान में मजहबी शासन और धर्मनिरपेक्ष हितों के बीच टकराव, सुधार की बढ़ी मांग
ईरान के कई पड़ोसी देशों बहुसंख्यक मजहब सुन्नी इस्लाम है, जबकि ईरान का प्रमुख मजहब शिया इस्लाम है, जो मुसलमानों का एक अलग संप्रदाय है. हालांकि, यहां मजहबी शासन और धर्मनिरपेक्ष (गैर-धार्मिक) हितों के बीच टकराव और देश में सुधार की इच्छा ने अशांति और राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है, लेकिन कई कारणों से मजहबी शिया इस्लामी सरकार अपना रूतबा बनाए रखने में कामयाब रही है.
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ईरान में हिजाब विरोधी महिलाओं के प्रदर्शन पर अमेरिका की क्या रही है प्रतिक्रिया
ईरान में हिजाब का विरोध लगातार फैल रहा है और आकार में बढ़ रहा है. ईरान में अब यह एक आम दृश्य है कि महिलाएं अपने हिजाब जला रही हैं, सड़कों पर नाच रही हैं, महिलाओं की आजादी और सर्वोच्च नेता की मौत की मांग कर रही हैं. हालांकि, ईरान की सरकार इस पर लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही है. हिजाब विरोध आंदोलनों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों, समर्थन करने वाले कलाकारों और फुटबॉलरों को भी जेल में डाल दिया जाता है. साल 2022 से ही सैकड़ों ईरानी महिलाओं को सड़कों पर पीटा गया और गिरफ्तार किया गया. इस सरकारी दमन में अब तक सैकड़ों महिलाओं की मौत हो चुकी है. जबकि, सरकार इससे अलग दावा करती दिखती है.
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ईरान में 2009 में हुआ था अशांति का आखिरी बड़ा दौर, फिर बाइडेन ने कसी मुश्कें
ईरान में अशांति का आखिरी बड़ा दौर 2009 में हुआ था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रशासन, जिसके उपराष्ट्रपति जो बाइडेन अब राष्ट्रपति हैं, तब विरोध प्रदर्शनों का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने में हिचकिचा रहा था. हालांकि, मौजूदा बाइडेन प्रशासन ने राष्ट्रपति के द्वारा संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण के बाद ईरान में महिलाओं के हिजाब विरोधी आंदोलनों को अपना समर्थन स्पष्ट कर दिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान की मोरल पुलिस के सदस्यों पर प्रतिबंध लगा दिए.
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