Explainer: NSA पर हरियाणा पुलिस का यूटर्न, किसान नेताओं पर कार्रवाई वाला फैसला क्यों लिया वापस?
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Explainer: NSA पर हरियाणा पुलिस का यूटर्न, किसान नेताओं पर कार्रवाई वाला फैसला क्यों लिया वापस?

Kisan Andolan: किसान के प्रदर्शन का आज 11वां दिन है. इस बीच सरकार और किसानों के बीच चार दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन समाधान की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. इस बीच, हरियाणा पुलिस ने उपद्रवी किसानों पर NSA के तहत एक्शन लेने वाला फैसला वापस ले लिया है.

Explainer: NSA पर हरियाणा पुलिस का यूटर्न, किसान नेताओं पर कार्रवाई वाला फैसला क्यों लिया वापस?

Farmers Leaders NSA Case: पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर पसरा सन्नाटा मानो किसी बड़े तूफान के आहट से पहले की शांति है क्योंकि आज प्रदर्शनकारियों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ ब्लैक डे (Black Day) मनाने का ऐलान किया है. एमएसपी (MSP) को कानून के दायरे में लाने समेत कई मांगों के साथ प्रदर्शनकारी 13 फरवरी को ही दिल्ली कूच के लिए निकले थे लेकिन फिलहाल पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर सुरक्षाबलों का कड़ा पहरा लगा हुआ है. लेकिन, हरियाणा पुलिस ने यूटर्न ले लिया है. पहले बताया गया था कि हरियाणा पुलिस उपद्रवी किसान नेताओं पर NSA के तहत केस दर्ज करेगी. लेकिन अब ये फैसला वापस ले लिया गया है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों किया गया है.

हरियाणा पुलिस का यूटर्न

बता दें कि इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि हरियाणा पुलिस ने NSA पर यूटर्न ले लिया है. जान लें कि हरियाणा पुलिस ने बीकेयू (शहीद भगत सिंह) के नेता अमरजीत मोहदी (Amarjeet Mohdi) के घर के बाहर नोटिस चिपकाया था और कहा था कि अगर उन्हें किसी आंदोलन में हिस्सा लेना है तो इसके लिए पुलिस की परमिशन लेनी होगी. अगर ऐसा नहीं किया तो उनकी प्रॉपर्टी और बैंक अकाउंट सीज कर दिए जाएंगे. कई अन्य किसान नेताओं को भी ऐसी चेतावनी दी गई थी. लेकिन अब हरियाणा पुलिस ने NSA लगाने का फैसला वापस ले लिया है.

कानून के खिलवाड़ करने वालों की खैर नहीं

हरियाणा पुलिस का कहना है कि 13 फरवरी से किसान प्रदर्शनकारी शंभू बॉर्डर के बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस आकलन कर रही है कि कहीं सरकारी या प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान तो नहीं पहुंचाया गया है. अगर ऐसा हुआ है तो एक्शन लिया जाएगा. लेकिन NSA के तहत कार्रवाई वाली बात से हरियाणा पुलिस पीछे हट गई है. किसानों पर नरम पड़ने की वजह सामने नहीं आई है. फैसला क्यों वापस लिया गया, इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

क्यों NSA लगाने की थी तैयारी?

जानकारी के मुताबिक, कई किसान नेता कानून-व्यवस्था बिगाड़ने और हिंसा भड़काने में अहम रोल अदा कर रहे हैं. वो अपने भड़काऊ बयान के जरिए प्रोपेगेंडा चला रहे हैं. उनके भड़काऊ बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं. अपने बयानों में कई किसान नेता अधिकारियों और सरकार के खिलाफ उकसाने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. क्रिमिनल एक्टिविटीज को रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट 1980 (NSA) के सेक्शन 2 (3) के तहत कार्रवाई करने का फैसला किया था. पर अब ये वापस हो चुका है.

नई रणनीति को धार दे रहे किसान

गौरतलब है कि 10 दिनों से प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच चल रहे संघर्ष के बाद अब किसान नई रणनीति के साथ प्रदर्शन को धार दे रहे हैं. गुरुवार को चंडीगढ़ में किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक बुलाई गई जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए. आज किसान देशभर में ब्लैक डे मनाएंगे. 26 फरवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे. और 14 मार्च को किसानों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत करने का फैसला किया है.

क्या है किसानों का प्लान?

इसके अलावा किसान संयुक्त मोर्चा ने एक कमेटी का गठन भी किया है. ये 6 सदस्यों की कमेटी पिछले आंदोलन से जुड़े संगठनों को नए आंदोलन में साथ जोड़ने की कोशिश करेगी ताकि सरकार के सामने किसानों की एकजुटता का शक्ति प्रदर्शन किया जा सके. इस ऐलान को सरकार के दो दिन पुराने फैसले से जोड़कर भी देखा जा रहा है. जिसमें केंद्र सरकार ने गन्ना खरीद में 8 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलन से पीछे हट सकते हैं.

किसानों से नहीं बनी बात

जान लें कि सरकार किसानों के साथ 4 दौर की बैठक कर चुकी है. चौथी बैठक में सरकार ने सशर्त एमएसपी का प्रस्ताव भी दिया था जिसे किसानों ने खारिज कर दिया. सरकार ने किसानों को 5 साल के 5 फसलों पर MSP की गारंटी का प्रस्ताव दिया. किसान 23 फसलों पर MSP कानून की मांग पर अड़े हैं.

सरकार की तरफ से किसानों को पांचवें दौर की बैठक का न्योता दिया गया है लेकिन किसानों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है जबकि रणनीति 14 मार्च तक की तैयार हो चुकी है. किसान और सरकार के बीच टकराव की स्थिति ऐसे वक्त खड़ी हुई है जब गेहूं की फसल तैयार होने वाली है और आशंका जताई जा रही है कि आंदोलन से गेंहू की फसल प्रभावित हो सकती है.

किसानों के प्रदर्शन से भले ही खाद्य पर कोई संकट ना गहरा रहा हो लेकिन दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में लोगों को भारी जाम से दो चार होना पड़ रहा है और जिस तरह से किसानों ने हल्ला बोला है उससे लग रहा है कि लोगों को इस तरह की समस्याओं से लंबा जूझना पड़ेगा.

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