2 जून 1995, लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था? मायावती ने 29 साल बाद फिर क्यों किया याद
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2 जून 1995, लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था? मायावती ने 29 साल बाद फिर क्यों किया याद

Lucknow Guest House Kand: आखिर 2 जून 1995 को लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था, जिसका दर्द 29 साल बाद भी बसपा प्रमुख मायावती नहीं भूल पाई हैं. उन्होंने एक साथ समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधा है. 

2 जून 1995, लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था? मायावती ने 29 साल बाद फिर क्यों किया याद

2 June 1995, Lucknow Guest House Assault: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने साल 1995 में लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउ में हुई घटना को याद किया है. इस घटना का हवाला देते हुए मायावती एक साथ समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधा है. इसके साथ ही मायावती न आरोप लगाया है कि जब गेस्ट हाउस में उन पर सपा ने जानलेवा हमला कराया था, तब केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपना दायित्व नहीं निभाया था. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर 2 जून 1995 को लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था, जिसका दर्द 29 साल बाद भी मायावती नहीं भूल पाई हैं.

2 जून 1995 को सरकारी गेस्ट हाउस में क्या हुआ था?

उत्तर प्रदेश में 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने जीत दर्ज की और सरकार गठन के बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. 1 जून 1995 को पार्टी की बैठक के बाद मुलायम सिंह यादव ने ऐलान कर दिया कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता चुनावों के लिए तैयार रहें. रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने भी सपा पर अपने मतदाताओं को हड़पने का आरोप लगाया और गठबंधन समाप्त करने का फैसला कर दिया.

इसके अगले 2 जून 1995 को मायावती अपनी पार्टी के विधायकों के साथ लखनऊ के गेस्ट हाउस में मीटिंग कर रही थीं. उसी समय सपा के कुछ विधायक और कार्यकर्ता गेस्ट हाउस पहुंचकर तोड़-फोड़ करनी शुरू कर दी. इस दौरान बसपा के कई विधायकों को चोट लगी और सपा कार्यकर्ताओं ने बीएसपी विधायकों को बंधक बना लिया. घटना से घबराकर मायावती ने भी खुद को गेस्ट हाउस के एक कमरे में बंद कर लिया था. इस दौरान तत्कालीन बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने गेस्ट हाउस पहुंचकर मायावती को सपा कार्यकर्ताओं से बचाया था.

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29 साल बाद मायावती को याद आई गेस्ट हाउस

बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा, 'सपा ने दो जून 1995 को बसपा द्वारा समर्थन वापसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था, जिस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती? केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी अपना दायित्व नहीं निभाया था.' मायावती ने अपने खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक विधायक की 'आपत्तिजनक टिप्‍पणियों' पर समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव की नाराजगी पर आभार जताने के तीसरे दिन सोमवार को 'यू टर्न' लेते हुए सपा और कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया.

अखिलेश यादव ने मायावती के खिलाफ भाजपा विधायक राजेश चौधरी की 'आपत्तिजनक टिप्‍पणियों' पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा था कि सार्वजनिक रूप से दिए गए इस बयानके लिए विधायक पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए. मायावती ने इस पर शनिवार को अखिलेश के प्रति आभार जताया. उन्होंने भाजपा विधायक पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो इसमें भाजपा के षड्यंत्र से इनकार नहीं किया जा सकता.

सोमवार को बसपा प्रमुख ने ‘यू टर्न’ लेते हुए सोशल मीडिया मंच 'एक्‍स' पर अपने एक पोस्ट में कहा, 'सपा ने दो जून 1995 को बसपा द्वारा समर्थन वापसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था, जिस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती? केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था.' अपने सिलसिलेवार पोस्‍ट में मायावती ने कहा, 'तब कांशीराम ने अपनी बीमारी की गम्भीर हालत में रात को इनके गृह मंत्री के साने नाराजगी जताई थी और विपक्ष ने भी संसद को घेरा, तब जाकर कांग्रेस सरकार हरकत में आई थी.'

मायावती ने अगले पोस्ट में दावा किया , 'क्योंकि केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीयत खराब थी, जो अनहोनी के बाद उप्र में राष्ट्रपति शासन लगाकर, पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी। उसका यह षड्यंत्र बसपा ने नाकाम कर दिया था. मायावती ने कहा, 'तब सपा के आपराधिक तत्वों से भाजपा सहित विपक्ष ने मानवता के नाते मुझे बचाकर अपना दायित्व निभाया था, जिसकी कांग्रेस को बीच-बीच में तकलीफ होती रहती है.'

2019 में फिर हुआ था सपा-बसपा का गठबंधन

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं. बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पहल पर, 1993 के विधानसभा चुनाव से पूर्व दोनों दलों के बीच समझौता हुआ था. जून 1995 में लखनऊ के सरकारी अतिथि गृह में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों के बाद यह समझौता टूट गया था. बसपा ने समर्थन वापसी की घोषणा कर दी थी, जिससे मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई और फिर गिर गई. तब बसपा ने मायावती पर सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा हमला किए जाने का आरोप लगाया थाय

फिर 2019 में लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच समझौता हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश की 80 सीट में 10 सीट पर बसपा और पांच सीट पर सपा जीती थी. लेकिन, चुनाव परिणाम आने के बाद 2019 में ही यह समझौता टूट गया था. मायावती के प्रति अखिलेश की नरमी के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे थे. इस बीच आरक्षण और जातीय जनगणना के मामले पर वह सपा और कांग्रेस पर आक्रामक रहीं लेकिन सोमवार को अचानक 'गेस्ट हाउस कांड' की याद दिलाते हुए सपा और कांग्रेस पर उनके आक्रामक रुख ने कुछ और संकेत दिए हैं.
(इनपुट- न्यूज़ एजेसी भाषा)

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