Sandeshkhali Explainer: क्या पश्चिम बंगाल की हिंसा के लिए DGP और थानेदार को लोकसभा बुलाया जा सकता है?
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Sandeshkhali Explainer: क्या पश्चिम बंगाल की हिंसा के लिए DGP और थानेदार को लोकसभा बुलाया जा सकता है?

Privilege Committee Lok Sabha: बीजेपी सांसद और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजुमदार पर लाठी चार्ज, प्रोटोकॉल के उल्लंघन और विशेषाधिकार हनन के मामले में अब प्रिविलेज कमेटी ने राज्य के कई अधिकारियों को लोकसभा में तलब किया है. संदेशखाली में क्या हो रहा है और क्या इस तरह राज्य के अधिकारियों को समन किया जा सकता है?

Sandeshkhali Explainer: क्या पश्चिम बंगाल की हिंसा के लिए DGP और थानेदार को लोकसभा बुलाया जा सकता है?

Bengal Sandeshkhali News: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली (Sandeshkhali Protest) कई दिनों से चर्चा में है. अब लोकसभा की प्रिविलेज कमेटी ने 19 फरवरी को सुबह 10.30 बजे पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और संबंधित जिले के डीएम, एसपी और थानाध्यक्ष को तलब किया है. टेंशन वाले इलाके संदेशखाली में कई महिला आयोग के दौरे हुए हैं, धारा 144 लगाई गई, प्रोटेस्ट होते रहे, झड़प भी हुई, हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और इसके साथ-साथ भाजपा और राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी TMC में टकराव बढ़ता गया. पूरा मामला एक छापेमारी से शुरू हुआ था. अब कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सरगर्मी बढ़ गई है. आइए घटनाक्रम को एक-एक कर समझते हैं. सबसे पहले यह जानते हैं कि क्या बंगाल हिंसा के लिए डीजीपी समेत दूसरे पुलिस अधिकारियों को लोकसभा की विशेषाधिकार समिति तलब कर सकती है?

लोकसभा कैसे पहुंचा मामला

हां, लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने बंगाल भाजपा अध्यक्ष और बालुरघाट से सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है. मजूमदार ने दुर्व्यवहार, क्रूरता और गंभीर चोट पहुंचाने का आरोप लगाते हुए विशेषाधिकार उल्लंघन की बात कही है. लोकसभा सचिवालय के नोटिस के अनुसार समिति ने मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना के डीएम शरद कुमार द्विवेदी, बशीरहाट के एसपी हुसैन मेहदी रहमान और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पार्थ घोष को 19 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है. संदेशखाली जाने से रोके जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की पुलिसकर्मियों के साथ झड़प में मजूमदार घायल हो गए थे. भाजपा के कार्यकर्ता TMC नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों द्वारा महिलाओं पर कथित अत्याचार को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

माननीय सांसद के पास विशेषाधिकार

संविधान ने संसद और उसके सदस्‍यों को व्‍यक्तिगत स्‍तर पर कई तरह के अधिकार दिए हैं. इसके पीछे मकसद यह है कि संसद और सांसदों को अपने कर्तव्‍यों का पालन करने में कोई अड़चन न आए. इन अधिकारों का मूल भाव संसद की गरिमा, स्‍वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा करना है. विशेषाधिकार हनन का मतलब ऐसी किसी कार्रवाई से है, जो संसद या उसके किसी सदस्‍य को अपना कर्तव्‍य निभाने से रोके. लोकसभा के स्‍पीकर 15 सदस्‍यों की विशेषाधिकार समिति का गठन करते हैं. यही कमिटी जांच करती है कि विशेषाधिकार हनन हुआ है या नहीं. 

जेल भेजने की भी पावर

भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार विशेषाधिकार समिति के पास क्यों गए? दरअसल, अगर किसी संसद सदस्‍य को लगता है कि उसे अपनी ड्यूटी करने से रोका जा रहा है तो वह विशेषाधिकार हनन का मामला उठा सकता है. विशेषाधिकार समिति किसी को दोषी पाती है तो वह सजा की सिफारिश कर सकती है. सजा के तौर पर समिति संबंधित व्‍यक्ति को तलब कर उसे चेतावनी दे सकती है या उसे जेल भी भेजा जा सकता है. आमतौर पर विशेषाधिकार के उल्लंघन पर क्षमायाचना को स्वीकार कर लिया जाता है. 

किसे-किसे बुला सकती है प्रिविलेज कमेटी

संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में संसद/राज्य विधानमंडलों के सदस्यों और उनके सदनों, सदस्यों तथा समितियों की शक्तियों, विशेषाधिकारों का उल्लेख है. यह प्रिविलेज कमेटी सांसदों के अलावा टॉप पुलिस अधिकारियों, कंपनी के प्रमुखों के साथ-साथ संबंधित व्यक्तियों को तलब कर सकती है. उसके पास किसी को बुलाने, कागजात या अन्य रिकॉर्ड मंगवाने, बयान लेने का अधिकार होता है. 

चार साल पहले लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष की शिकायत पर पटना और मोतिहारी के पुलिस अधिकारियों को भी तलब किया था. इससे पहले 2011 में सांसदों का मजाक उड़ाने के आरोप में किरण बेदी और ओम पुरी पर भी विशेषाधिकार हनन के आरोप लगे थे. इसके अलावा भी बीच-बीच में मामले आए हैं. 

2020 में SI से भी हुई थी पूछताछ

17वीं लोकसभा की विशेषाधिकारी समिति ने 11 अगस्त 2020 को तिरिनेलवेली (तमिलनाडु) के एसपी, पुलिस उपाधीक्षक, थाने के प्रभारी, एसआई और दूसरे पुलिसकर्मियों से पूछताछ की थी. तब तमिलनाडु के पुलिस अधिकारियों पर सांसद एच वसंत कुमार ने विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया था. तब पुलिस अधिकारियों ने माफी मांग ली थी. 

विशेषाधिकार के कुछ मामले यहां क्लिक कर पढ़िए

संदेशखाली में क्या हो रहा है?

उत्तर 24 परगना का संदेशखाली गांव एक महीने से राजनीतिक हंगामे का केंद्र बना है. तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप हैं. इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इसकी शुरुआत 5 जनवरी की सुबह उस समय हुई जब करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता शाहजहां शेख के संदेशखाली वाले घर पर छापेमारी की कार्रवाई की. 

इस दौरान शाहजहां के समर्थकों ने न केवल ईडी अधिकारियों को घर में घुसने से रोका बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम के सदस्यों के शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव से भागने तक मारपीट की. जिला परिषद सदस्य शाहजहां तब से फरार है. उसके करीबियों का दावा है कि इलाके पर उसका काफी हद तक नियंत्रण है. ईडी की घटना के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क पर उतरीं और आरोप लगाया कि शाहजहां और उसके आदमियों ने झींगे की खेती के लिए जबरन उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और कई सालों से यौन उत्पीड़न कर रहे हैं. मीडिया के सामने चेहरा छिपाकर कई महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई.

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