Hindutva Politics: राज्यों में फिर 'हिंदुत्व के पथ' पर भाजपा, क्या योगी से आगे निकल पाएंगे हिमंत या मोहन यादव?
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Hindutva Politics: राज्यों में फिर 'हिंदुत्व के पथ' पर भाजपा, क्या योगी से आगे निकल पाएंगे हिमंत या मोहन यादव?

Hindutva Icon In BJP: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद भाजपा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व की राजनीति का बड़ा चेहरा माना जा रहा था. हालांकि, इस पॉलिटिकल पिच पर योगी के सामने अब भाजपा के दो और मुख्यमंत्रियों का नाम मजबूती से उभरने लगा है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्‍व सरमा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी उनके नक्शे कदम पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

Hindutva Politics: राज्यों में फिर 'हिंदुत्व के पथ' पर भाजपा, क्या योगी से आगे निकल पाएंगे हिमंत या मोहन यादव?

Who Is Hindu Hriday Samrat: 'बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे' आगरा में योगी आदित्यनाथ के इस भाषण ने सुर्खियां बटोरनी शुरू की ही थी कि असम विधानसभा में हिमंत बिस्व सरमा का 'मिया मुस्लिम' बयान चर्चा में आ गया. इन दोनों नेताओं के बीच मध्य प्रदेश में जन्माष्टमी पर मोहन यादव ने कहा कि भारत में जो रहना चाहते हैं, उन्हें हिंदू , भगवान राम और कृष्ण की जय कहना होगा. इसके बाद माना जा रहा है कि राज्यों में भाजपा एक बार फिर हिंदुत्व की राजनीति पर तेजी से लौट रही है.

लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद भाजपा आजमा रही टेस्टेड फॉर्मूला

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे मनमाफिक नहीं आने पर भाजपा में एक बार फिर अपने पुराने और ओके-टेस्टेड फॉर्मूले यानी हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति की कवायद साफ देखी जा रही है. भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में हिंदुत्व की राजनीति का चेहरा बनने की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू करवाकर इस कंपीटिशन में जोरदार एंट्री ली, लेकिन फिर वह ठंडे पड़ गए. वहीं, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गोवा समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की स्पीड फिलहाल स्लो है.

एनडीए की सरकार वाले राज्यों में फिलहाल नहीं बन रहा माहौल

भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार वाले राज्य महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने हिंदुत्व पर फोकस बढ़ाया, लेकिन शिवसेना उद्धव ठाकरे ने वहां उनको लगातार घेरती दिख रही है. बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को फिलहाल इस मुद्दे पर शांत रखा है. लेकिन, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्‍व सरमा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव काफी तेजी से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शे कदम पर आगे निकलने की कोशिश में लगातार एक्टिव दिख रहे हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निगाहों में ऊंचा चढ़ने की भी कोशिश

उत्तर प्रदेश में दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के रवैए को लेकर भाजपा की आंतरिक राजनीति में उथल-पुथल के बाद दिख रही शांति के पीछे भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व को लेकर आक्रामक अंदाज को ही बड़ा कारण बताया जाता है. वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बयान और फैसले हिंदुत्व के मामले में योगी आदित्यनाथ से आगे निकलते दिख रहे हैं. इस प्रतिस्पर्धा को पार्टी और जनता के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निगाहों में ऊंचा चढने की कोशिश भी माना जा रहा है. भाजपा के इन तीनों दिग्गजों के हिंदुत्व से जुड़े बड़े फैसलों पर एक नजर डालते हैं.

योगी आदित्यनाथ ने दिखाया पुराना फायरब्रांड हिंदू संन्यासी का रूप

हिंदुत्व के फायरब्रांड लीडर योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपना रुख नरम किया था, लेकिन पिछले कुछ समय से उन्होंने अचानक फिर से अपना पुराना और परिचित स्टायल अपना लिया है. आगरा में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का हवाला देते हुए हिंदुओं से एकजुट और सावधान रहने कहा. जुलाई महीने के आखिर में उनकी सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन कर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और ज्यादा सख्त बना दिया गया. साथ ही लव जिहाद को खत्म करने पर जोर दिया गया.

सावन महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडर को अपनी पहचान बताने और अपना नाम लिखने का आदेश देकर देश भर में सुर्खियां हासिल की. अयोध्या में नाबालिग से रेप मामले में सपा सांसद के करीबी आरोपी के मुसलमान होने पर भी काफी चर्चा हुई. सीएम योगी ने खुद इस मामले पर बयान दिया और लोगों ने बुलडोजर कार्रवाई होते भी देखा. भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले को लेकर भी उन्होंने प्रतिबद्धता जाहिर की.

 'खाता कहीं और का बजाता कहीं और का' नहीं चलेगा, मोहन की दो टूक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जन्माष्टमी पर एक कार्यक्रम में जोर देकर कहा कि भारत में जो रहना चाहते हैं, उन्हें भगवान राम और कृष्ण की जय कहना होगा. इस देश के नागरिक अपने-अपने धर्मों के पालन के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन देशभक्त रहें. उन्होंने साफ कहा कि 'खाता कहीं और का बजाता कहीं और का' नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि देश हिंदू और मुसलमानों के बीच अंतर नहीं करता, यहीं पर रहीम और रसखान का जन्म हुआ था. इससे पहले मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में भगवान राम और कृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों को विकसित करने के साथ ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सात मंदिरों को जोड़े जाने का एक्शन प्लान भी बनाया है.  

खुले में मांस और लाउडस्पीकर बैन, इंदौर-छतरपुर में बुलडोजर

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद खुले में मांस की बिक्री और लाउडस्पीकर पर पाबंदी के साथ मोहन यादव ने एक्शन का आगाज किया था. विपक्ष की ओर से सांप्रदायिकता के आरोपों के बावजूद इंदौर और छतरपुर समेत कई जगहों पर लॉ एंड ऑर्डर को सख्त करने के मकसद से अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन को तेज कर दिया. मध्य प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों की धार्मिक शिक्षा देने पर भी रोक लगाया जा रहा है. वहीं, संघ के विचारकों और प्रमुख पदाधिकारियों की किताबें भी राज्य के सिलेबस में जोड़ा गया है.

पूर्वोत्तर में हिंदुत्व की पिच पर हिमंत बिस्व सरमा की लगातार बैटिंग

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तरह पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा भी लगातार हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग करते दिख रहे हैं.  असम विधानसभा में उनके हालिया मिया मुस्लिम बयान के खिलाफ एकजुट विपक्ष ने एफआईआर तक करवा दिया. नागांव के धींग इलाके में 14 साल की नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले पर तीखी बहस के दौरान उन्होंने साफ कहा, मैं असम पर मियां मुस्लिमों को कब्जा करने नहीं दूंगा.

मिया मुस्लिम बयान और ममता बनर्जी पर लगातार हमलावर रुख

कांग्रेस से भाजपा में आए हिमंत बिस्व सरमा शुरू से हार्डकोर हिंदुत्व के मुद्दे पर फैसले और बयानों के लिए मशहूर हैं. मुस्लिमों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या से डेमोग्राफी बिगड़ने का मुद्दा हो या बांग्लादेशी घुसपैठ, चाइल्ड मैरिज हो या चार शादी का मामला, सीएए का मुद्दा हो या एनआरसी उनकी मुखरता को विपक्ष मुस्लिमों के खिलाफ साबित करने की कोशिश करता रहता है. इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के आईसीसी चेयरमैन बनने पर ममता बनर्जी के तंज पर फौरन कड़े पलटवार से भी हिमंत ने अपनी सियासी तेजी की मिसाल पेश की है.

बाढ़ जिहाद, लैंड जिहाद, उर्वरक जिहाद और लव जिहाद का आरोप

हाल ही में उन्होंने असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि असम के एक बंगाली-मुस्लिम महबुबुल हक के स्वामित्व वाले फाउंडेशन द्वारा वनों और पहाड़ियों की कटाई के चलते गुवाहाटी को अचानक बाढ़ का सामना करना पड़ा. इससे पहले सरमा बंगाली-मुस्लिम किसानों पर उर्वरक जिहाद, लैंड जिहाद और लव जिहाद का भी आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने इन सबों के खिलाफ कड़े कानून बनाने की तैयारी भी शुरू की है.

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विपक्ष की जातिगत राजनीति की काट करने के लिए हिंदुत्व का इस्तेमाल

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में देश में जाति की राजनीति को हिंदुत्व के जरिए मात देकर शानदार जीत हासिल करने वाली भाजपा सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास जैसे नारे के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी सीटें कम होती देख चुकी है. राजनीति के जानकारों के मुताबिक, केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बावजूद शुरुआती सौ दिनों में ही कई फैसले को लेकर बैकफुट जाने के बाद भाजपा को कोर मुद्दे की याद लाजिमी है.

दूसरी ओर कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन की जाति को मुद्दा बनाने की कोशिशों का मुकाबला भी हिंदुत्व के फॉर्मूले से ही किया जा सकता है. वहीं, भाजपा को तमाम कोशिशों के बावजूद मुस्लिम वोट नहीं मिलने को भी हिंदुत्व के पथ पर वापसी के बड़े कारण के तौर पर देखा जा रहा है.

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