40 के बाद पुरुषों को सेहत पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी, डॉक्टर ने बताया इन 5 कैंसर का बढ़ जाता है खतरा
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40 के बाद पुरुषों को सेहत पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी, डॉक्टर ने बताया इन 5 कैंसर का बढ़ जाता है खतरा

Common Cancer In Men: पुरुषों में 40 की उम्र के बाद कुछ तरह के कैंसर का जोखिम दूसरों की तुलना में ज्यादा होता है. ऐसे में यदि आप भी इस एज कैटेगरी में आते हैं तो यह लेख आपके सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. यहां हम आपको एक्सपर्ट द्वारा बताए कॉमन कैंसर और इससे बचने के उपायों को आपके साथ शेयर कर रहे हैं.

 

40 के बाद पुरुषों को सेहत पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी, डॉक्टर ने बताया इन 5 कैंसर का बढ़ जाता है खतरा

उम्र बढ़ने के साथ पुरुष कई तरह के कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. खासतौर पर 40 की उम्र में आते ही बीमारियों का जोखिम लगातार बढ़ने लगता है. इसमें कैंसर की जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं. ऐसे में पुरुषों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि उनके आयु वर्ग में कौन से कैंसर सबसे आम है, कैंसर से कैसे बचा जा सकता है और जल्दी पता लगाने का क्या महत्व है?

इन सभी सवालों के जवाब आप एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत, में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के अध्यक्ष, डॉ. दिनेश सिंह से इस लेख में जान सकते हैं. डॉक्टर ने 40 के बाद पुरुषों में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर के बारे में बताते हुए यह सलाह दी कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली और कैंसर के लक्षणों के बारे में पता रहना बहुत जरूरी है. 

40 से अधिक उम्र के पुरुषों में पाए जाने वाले आम कैंसर-

प्रोस्टेट कैंसर

पुरुषों में, खासकर 50 से अधिक उम्र के लोगों में होने वाला सबसे आम कैंसर प्रोस्टेट कैंसर है. प्रोस्टेट ग्रंथि एकमात्र अंग है जहां यह सबसे पहले दिखाई देता है और आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है, इसलिए जल्दी पता लगाना आवश्यक है. प्रोस्टेट कैंसर की जांच की प्रक्रिया में आम तौर पर डिजिटल रेक्टल परीक्षा (DRE) और प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) के लिए रक्त परीक्षण का इस्तेमाल किया जाता है. 40 से अधिक उम्र के पुरुषों को अपने डॉक्टर से इन जांचों के फायदे और नुकसान के बारे में बात करनी चाहिए, खासकर अगर परिवार में इस बीमारी का इतिहास रहा हो.

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फेफड़ों का कैंसर

दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है फेफड़ों का कैंसर. हालांकि धूम्रपान इसका मुख्य जोखिम कारक है, लेकिन कुछ रसायनों के संपर्क में आने और धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने से भी गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों का कैंसर हो सकता है. उच्च जोखिम वाले रोगियों, खासकर लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों में जल्दी पहचान के लिए लो-डोज सीटी स्कैन की सलाह दी जाती है. नियमित जांच जरूरी है क्योंकि शुरुआती स्टेज में फेफड़ों का कैंसर ज्यादा लाइलाज नहीं होता है.

कोलोरेक्टल कैंसर

40 से अधिक उम्र के पुरुषों में अक्सर कोलोरेक्टल कैंसर का पता चलता है, जो कोलन या मलाशय को प्रभावित करता है. अक्सर यह कैंसर शुरुआत में सौम्य पॉलीप्स के रूप में होता है जो बाद में कैंसर में बदल जाते हैं. कोलोनोस्कोपी और अन्य नियमित जांच द्वारा इन पॉलीप्स का पता लगाकर उन्हें कैंसर बनने से पहले ही निकाला जा सकता है. अगर परिवार में कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास है, तो पुरुषों को 45 साल की उम्र से या उससे पहले से ही बार-बार जांच करवाना शुरू कर देना चाहिए.

ब्लैडर कैंसर

मूत्राशय कैंसर आमतौर पर 40 से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है और यह पुरुषों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा पाया जाता है. औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आना और धूम्रपान इसके जोखिम कारक हैं. पेशाब करने में दर्द, बार-बार पेशाब आना और पेशाब में खून आना इसके लक्षण हो सकते हैं. जल्दी पता लगाने में सिस्टोस्कोपी और पेशाब की जांच मदद कर सकती है, इसलिए इन लक्षणों का अनुभव होने पर पुरुषों को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

मेलेनोमा

मेलेनोमा के रूप में जाना जाने वाला गंभीर प्रकार का त्वचा कैंसर टैनिंग बेड और लंबे समय तक धूप के संपर्क से जुड़ा हुआ है. 40 साल से अधिक उम्र के पुरुषों को साल में एक बार त्वचा विशेषज्ञ को देखना चाहिए ताकि उनकी त्वचा में बदलावों की जांच की जा सके, जिसमें नए तिलों की उपस्थिति या पहले से मौजूद लोगों में संशोधन शामिल हैं. जल्दी पहचानने से मेलेनोमा उपचार से अनुकूल परिणाम की संभावना बहुत बढ़ सकती है.

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