अभी तक बातचीत के जरिए ही एंग्जायटी की समस्या को समझा जाता था. पर, इंडियाना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल में खून के जांच के जरिये बेचैनी का पता लगाने में सफलता हासिल की है.
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आज के आधुनिक जीवन में बड़े हों या बच्चे, हर कोई बेचैनी और तनाव से जूझ रहे हैं. अभी तक बातचीत के जरिए ही समस्या को समझा जाता था. पर, इंडियाना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल में खून के जांच के जरिये बेचैनी का पता लगाने में सफलता हासिल की है. वैज्ञानिकों ने जांच में ऐसे वायोमार्कर्स की पहचान की है, जिनकी मदद से किसी में बेचैनी के लक्षण, उसकी गंभीरता और उसके लिए उपयोगी उपचार जानने में आसानी हो सकती है.
प्रोफेसर, एलेक्सजेंडर के अनुसार, अभी तक बातचीत ही एकमात्र तरीका रहा है, कुछ दवाएं राहत देते हैं, पर उनकी आदत पड़ जाती है, जो सही नहीं है. हम यह भी जानना चाहते थे कि वायोमार्कर की पहचान से सही दवा के चुनाव को समझा जा सकता है या नहीं. यह अध्ययन मोलिक्यूलर सायकेट्री में छपा है. इसके तहत वायोमार्कर्स की पहचान से बेचैनी की वर्तमान स्थिति, सही दवा और कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के तालमेल को और बेहतर समझने में मदद मिल सकती है.
एंग्जायटी को दूर करने के लिए कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ आप अपना सकते हैं.
स्वस्थ आहार और व्यायाम: स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम तनाव को कम करने और एंग्जायटी के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं.
तनाव प्रबंधन तकनीक: तनाव प्रबंधन तकनीक, जैसे कि गहरी सांस लेना और ध्यान, एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं.
अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना: अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करना एंग्जायटी से निपटने में मदद कर सकता है.
पेशेवर मदद लेना: यदि एंग्जायटी गंभीर है या आपकी दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रही है, तो पेशेवर मदद लेना महत्वपूर्ण है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.