वैज्ञानिकों ने ऐसे पेसमेकर विकसित किये हैं जो दिल की धड़कनों की ऊर्जा से संचालित हो सकते हैं.
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बीजिंग: वैज्ञानिकों ने ऐसे पेसमेकर विकसित किये हैं जो दिल की धड़कनों की ऊर्जा से संचालित हो सकते हैं. सूअरों में इस यंत्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि जर्नल एसीएस नैनो में प्रकाशित यह अध्ययन एक स्व-संचालित कार्डियक पेसमेकर बनाने की दिशा में एक कदम है. ये पेसमेकर प्रत्यारोपित भी हो सकते है और इन्होंने आधुनिक चिकित्सा को बदल दिया है, जिससे हृदय की धड़कन को नियंत्रित करके कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि, इसमें एक भारी कमी यह है कि उनकी बैटरी केवल पांच से 12 साल तक चलती है. चीन में सेंकेंड मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी और शंघाई जिओ टोंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस समस्या पर काबू पाने पर काम किया. एक पारंपरिक पेसमेकर को हंसली (कॉलरबोन) के पास की त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है.
इसकी बैटरी और विद्युत-तंत्र विद्युत संकेत उत्पन्न करते हैं जो प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड के माध्यम से हृदय तक पहुंचाए जाते हैं.