गर्दिश में सितारे: पाकिस्तान को सिखाया सबक, सादगी से गुजारी जिंदगी और फिर पत्नी के बाद खुद भी इस बीमारी से जिंदगी हार गए थे 'स्कूटर वाले CM'
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गर्दिश में सितारे: पाकिस्तान को सिखाया सबक, सादगी से गुजारी जिंदगी और फिर पत्नी के बाद खुद भी इस बीमारी से जिंदगी हार गए थे 'स्कूटर वाले CM'

गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस खतरनाक बीमारी के बावजूद निधन से एक महीना पहले राज्य बजट पेश किया था.

manohar parrikar pancreatic cancer : सांकेतिक तस्वीर

Gardish Mein Sitare/सुरेंद्र अग्रवाल: साल 2013 में जब आम आदमी पार्टी ने देश की राजधानी की बागडोर संभाली, तो पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम 'वीआईपी कल्चर' वाली सरकार नहीं है, बल्कि हम आम आदमी की सरकार हैं. लेकिन उनसे करीब 13 साल पहले ही एक छोटे से राज्य का मुख्यमंत्री इस कल्चर को तहसनहस कर चुका था और अपने ऑफिस तक एक आम से स्कूटर पर जाता था. बाद में यही स्कूटर उनकी पहचान बन गया और जनता उन्हें 'स्कूटर वाला CM' कहकर पुकारने लगी. ये शख्स और कोई नहीं, बल्कि 17 मार्च 2019 को अंतिम सांस लेने वाले गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (former Goa CM Manohar Parrikar) थे. लंबे समय तक लड़ाई लड़ने के बाद 'स्कूटर वाले सीएम' ने उसी बीमारी के कारण इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, जिस बीमारी ने उनसे उनकी पत्नी को छीन लिया था. आइए जानते हैं कि आखिर क्या थी वो बीमारी और ये कितनी खतरनाक होती है.

सादगी तो हमारी जरा देखिए...
शहंशाह-ए-कव्वाली नुसरत फतेह अली खान की एक बहुत प्यारी ग़ज़ल है- 'सादगी तो हमारी जरा देखिए...'. इस ग़ज़ल की ये लाइन गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के जीवन पर बखूबी जंचती है. उनकी सादगी और काम का ही असर था कि नेताओं और जनता की मांग पर बीजेपी को 2017 में मनोहर पर्रिकर को देश के रक्षामंत्री की जगह गोवा के चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर बैठना पड़ा. मगर जनता का ये प्यार 'स्कूटर वाले सीएम' को कैंसर के शिकंजे से रिहा नहीं करवा पाया. जी हां.. मनोहर पर्रिकर काफी लंबे समय से पैंक्रिएटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) से जूझ रहे थे. कहते हैं कि कैंसर शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है. मायोक्लिनिक के मुताबिक, पैंक्रिएटिक कैंसर पैंक्रियाज के एक छोटे-से टिश्यू से शुरू होता है और धीरे-धीरे अन्य अंगों तक पहुंचकर उनकी कार्यक्षमता कम कर देता है और मरीज को मौत के मुंह तक पहुंचा सकता है.

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जब नाक में ट्यूब लगाकर पेश किया था गोवा का बजट
लेकिन मनोहर पर्रिकर ने अपनी आखिरी सांस तक कैंसर को एक कदम भी आगे नहीं निकलने दिया. ये एक आम आदमी की जिद ही थी कि मृत्यु से करीब 1 महीने पहले तक जनवरी 2019 में उन्होंने नाक में मेडिकल ट्यूब के साथ गोवा का राज्य बजट पेश किया. ऐसा सिर्फ एक 'आम आदमी' ही कर सकता है, कोई मुख्यमंत्री नहीं. आपको बता दें कि यह समय उनके जीवन का आखिरी समय तक जब कैंसर उनके शरीर के कई अंगों तक पहुंच चुका था. Cancer.net के मुताबिक, पैंक्रिएटिक कैंसर की मुख्यतः 5 स्टेज (Pancreatic Cancer Stages) होती हैं.

  1. पहली स्टेज में कैंसर पैंक्रिएटिक डक्ट सेल्स की ऊपरी सतह पर विकसित होता है.
  2. दूसरी स्टेज में कैंसरीकृत सेल्स बढ़ जाती हैं, लेकिन फिर भी पैंक्रियाज तक ही सीमित रहती हैं.
  3. तीसरी स्टेज में पैंक्रिएटिक कैंसर आसपास की लिंफ नोड्स तक फैल जाता है.
  4. पैंक्रिएटिक कैंसर की चौथी स्टेज में ट्यूमर दूरी पर स्थित लिंफ नोड्स को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है.
  5. वहीं, आखिरी स्टेज में ट्यूमर दूसरे अंगों लिवर, फेफड़ों और हड्डियों तक भी पहुंच जाता है.

बीमारी के दौरान झेली इतनी तकलीफें, मगर पाकिस्तान को सिखाया सबक
मायोक्लिनिक कहता है कि पैंक्रिएटिक कैंसर (Pancreatic Cancer Symptoms) के कारण कमर के पीछे तक जाने वाला पेट दर्द, भूख खत्म हो जाना या अचानक वेट लॉस होना, त्वचा में पीलापन आना, त्वचा पर खुजली, थकान आदि समस्याएं होती हैं. गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने आखिरी समय में इतनी सारी तकलीफों का अकेले सामना किया और इसी कारण वे काफी पतले नजर आते थे. मगर, इतनी तकलीफों और कमजोर शरीर के बाद भी कैंसर मनोहर पर्रिकर के हौंसलों को धराशायी नहीं कर पाया. ऐसे मजबूत हौंसले वाला रक्षामंत्री ही पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' करवा सकता था.

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मनोहर पर्रिकर ने जिंदगी भर निभाया पत्नी से किया ये वादा
राजनीति में बढ़ते कद और जिम्मेदारियों के कारण मनोहर पर्रिकर ने अपनी फैक्टरी और फैमिली बिजनेस पर ध्यान देना कम कर दिया था. जिस कारण बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ा और ये नुकसान उनकी पत्नी मेधा से नहीं देखा गया. उनकी पत्नी ने मनोहर पर्रिकर से बिजनेस में ध्यान देने की बात कही. जिस पर उन्होंने कहा, 'सिर्फ 10 साल राजनीति करूंगा और फिर बिजनेस में ध्यान दूंगा.' लेकिन, अक्सर वो होता कहा हैं, जो हम चाहते हैं. कुछ समय बाद मनोहर पर्रिकर को ब्लड कैंसर के कारण अपनी पत्नी को खोना पड़ा. वहीं, राजनीति ने उन्हें दामन छुड़ाकर जाने भी नहीं दिया. लेकिन, वादे के पक्के मनोहर पर्रिकर ने कभी राजनीति के कारण फैक्टरी पर ध्यान देना बंद नहीं किया और अंतिम समय तक फैक्टरी बिजनेस में पूर्ण रूप से सक्रिय रहे.

इस किस्से का जिक्र उन्होंने खुद के द्वारा ऋतुरंग मैगजीन में लिखे आर्टिकल में किया. दोनों पति-पत्नी एक ही बीमारी के दो अलग-अलग प्रकारों (Cancer Types) से जिंदगी को अलविदा कह गए. Cancer.gov के मुताबिक, कैंसर के मुख्य प्रकार कुछ इस तरह हैं.

  • कार्सिनोमा
  • सारकोमा
  • ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर)
  • लिंफोमा
  • मेलानोमा
  • लंग कैंसर
  • पैंक्रिएटिक कैंसर, आदि

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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