कोविड ट्रीटमेंट में स्टेरॉयड असरदार, तो फिर बच्चों के लिए क्यों मना कर रही है भारत सरकार? जानें यहां
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कोविड ट्रीटमेंट में स्टेरॉयड असरदार, तो फिर बच्चों के लिए क्यों मना कर रही है भारत सरकार? जानें यहां

भारत सरकार ने कोरोना इलाज के लिए बच्चों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी है. हमने डॉक्टर से इसके कारणों के बारे में बात की.

सांकेतिक तस्वीर

केंद्रीय सरकार ने बच्चों के लिए कोरोना की तीसरी लहर खतरनाक होने की चर्चा के बीच कुछ गाइडलाइन्स जारी की हैं. सरकार ने कहा कि, बच्चों में कोरोना का इलाज करते हुए इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा. इन गाइडलाइन्स में बच्चों में एंटी-वायरल ड्रग रेमडेसिवर के इस्तेमाल को मना किया गया है. इसके अलावा, बच्चों का सीटी स्कैन बेतरतीब तरीके से ना करवाने की सलाह दी गई है. साथ ही डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने बच्चों में कोरोना के हल्के से मध्यम मामलों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने की कड़ी सलाह दी है. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब कोविड-19 ट्रीटमेंट में स्टेरॉयड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, तो बच्चों में इसके इस्तेमाल से बचने की सरकार क्यों सलाह दे रही है. इसके बारे में हमने एक्सपर्ट डॉक्टर से बात की.

  1. बच्चों के लिए 6 मिनट वॉक और ऑक्सीजन थेरेपी है जरूरी
  2. स्टेरॉयड क्या है?
  3. कोरोना ट्रीटमेंट में कौन-से स्टेरॉयड इस्तेमाल हो रहे हैं?
  4. बच्चों के लिए स्टेरॉयड से बचने के लिए क्यों कहा जा रहा है?
  5. बच्चों में स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

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बच्चों के लिए नई कोरोना गाइडलाइन: 6 मिनट वॉक टेस्ट और ऑक्सीजन थेरेपी की सलाह
पहले आपको बता दें कि केंद्रीय सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन में बच्चों के फेफड़ों की क्षमता जांचने के लिए 6 मिनट वॉक टेस्ट लेने की सलाह दी गई है. यह टेस्ट 12 साल से बड़ी उम्र के बच्चे ले सकते हैं, लेकिन अस्थमा से पीड़ित बच्चों को इसे करने की सलाह नहीं दी जाती. 6 मिनट वॉक टेस्ट में बच्चे की उंगली में पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर उसे 6 मिनट सामान्य रफ्तार से चलने के लिए कहा जाता है. अगर 6 मिनट के बाद उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 94 से नीचे आता है, तो उसके फेफड़ों की क्षमता कोरोना वायरस के कारण कम हो सकती है. उसे जल्दी ही डॉक्टरी मदद देनी चाहिए.

इसके साथ गाइडलाइन में कहा गया है कि कोविड-19 के मध्यम मामलों और सांस की तकलीफ से जूझ रहे बच्चों को तुरंत ऑक्सीजन थेरेपी दी जाए. वहीं, कोविड के हल्के संक्रमण के कारण बुखार, गले में परेशानी आदि लक्षणों के लिए हर 4 से 6 घंटे में बच्चों को उनके शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम 10 से 15 एमजी पैरासिटामोल लेने के लिए कहा गया है. इसका मतलब है कि अगर आपके बच्चे का वजन 50 किलो है, तो उसे पैरासिटामोल की 500 एमजी की एक डोज दी जा सकती है.

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नई कोरोना गाइडलाइन: बच्चों में कोविड ट्रीटमेंट के लिए स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने के लिए क्यों कहा गया?
केंद्रीय सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के अनुसार बच्चों में कोरोना ट्रीटमेंट के लिए स्टेरॉयड से बचने की सलाद दी गई है. गाइडलाइन्स कहती हैं कि बच्चों में कोविड के ज्यादा गंभीर मामलों में स्टेरॉयड देने के बारे में सोचा जा सकता है. जी न्यूज ने इसके पीछे की वजह जानने के लिए ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर व एनेस्थीसिया विभाग की प्रमुख डॉ. आरती निरंजन से बात की.

सवाल- स्टेरॉयड क्या है?
जवाब- स्टेरॉयड विभिन्न ड्रग्स का एक शक्तिशाली मानव निर्मित समूह होता है, जो कि इंफ्लामेशन को रोकने और मेंब्रेन स्टेबलाइज करने में मदद करता है. जब कोई भी वायरस हमारे शरीर की सेल्स पर हमला करता है, तो वह हेल्दी सेल्स यानी कोशिकाओं की मेंब्रेन से बनी बाहरी सुरक्षात्मक परत को तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करता है और प्रभावित हिस्से में इंफ्लामेशन (सूजन, दर्द, रंग बदलना, प्रभावित हिस्से का काम न करना आदि) पैदा करता है. स्टेरॉयड इंफ्लामेशन को कम करने और हेल्दी सेल्स के मैंब्रेन को टूटने से सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि वायरस उसके अंदर दाखिल ना हो पाए. हमारा शरीर भी किडनी के पास मौजूद एड्रिनल ग्लैंड (Adrenal Gland) के कोर्टेक्स और मेड्यूला (Cortex and Medulla) की मदद से प्राकृतिक स्टेरॉयड (हॉर्मोन) का उत्पादन करता है, ताकि हमारे शरीर की सेल्स की सुरक्षात्मक दीवार को तोड़कर कोई भी संक्रमण आसानी से अंदर ना दाखिल हो पाए. इन्हीं हॉर्मोन की तर्ज पर शरीर में प्राकृतिक स्टेरॉयड की कमी या कोशिकाओं को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए मानव निर्मित स्टेरॉयड का निर्माण किया गया.

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सवाल- कोरोना के इलाज में कौन-कौन से स्टेरॉयड इस्तेमाल किए जा रहे हैं?
जवाब-
कोरोना के मध्यम से गंभीर मामलों के इलाज के लिए वयस्कों में प्रेडनिसोलोन (Prednisolone), मिथाइल प्रेडनिसोलोन (Methylprednisolone), डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) आदि स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे हमें कोविड ट्रीटमेंट में अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं.

सवाल- बच्चों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने के लिए क्यों कहा जा रहा है?

जवाब- किसी के लिए भी किसी ड्रग (दवा) का इस्तेमाल करने की सलाह दो बिंदुओं पर अध्ययन करके दी जाती है. पहला कि लक्षित व्यक्ति, समूह, वर्ग या लिंग को उससे कितना फायदा हो रहा है और दूसरा उससे कितना नुकसान हो सकता है. अगर दवा के इस्तेमाल से फायदा ज्यादा हो रहा हो और संभावित नुकसान (साइड इफेक्ट्स) कम हों, तब ही उसे किसी वर्ग, समूह या लिंग के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. चूंकि, बच्चों में कोविड ट्रीटमेंट के लिए स्टेरॉयड के फायदे और नुकसान को लेकर बहुत ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है और बच्चों के किडनी, फेफड़े, लिवर, सेल्स जैसे आंतरिक अंगों के पूरी तरह मैच्योर (विकसित) नहीं होते हैं, इसलिए उनमें स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गई है.

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प्री-मैच्योर ऑर्गन होने के कारण उनका लिवर स्टेरॉयड जैसे शक्तिशाली ड्रग का मेटाबॉलिज्म करके सेल्स द्वारा उसे इस्तेमाल करने लायक बनाने में पूरी तरह सक्षम नहीं होता है. जिससे लिवर या अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए अगर कोविड-19 के कारण बच्चे की हालत बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है, तो स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी गई है. वेंटीलेटर पर होने या गंभीर संक्रमण के मामलों में डॉक्टर बच्चों के इलाज के लिए स्टेरॉयड की छोटी डोज का इस्तेमाल करने के बारे में सोच सकते हैं. कोविड-19 ट्रीटमेंट के दौरान या फिर अन्य स्थिति में बच्चों के लिए स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर अध्ययन किए जा रहे हैं, जिनके परिणाम आने के बाद स्थिति ज्यादा साफ हो पाएगी.

सवाल- बच्चों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से कौन-कौन से दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं?
जवाब-
 स्टेरॉयड का सही और पूरे तरीके से इस्तेमाल ना हो पाने के कारण बच्चों के शरीर में उसका संग्रहण (इकट्ठा) होने लगता है, जिससे किसी आंतरिक व बाहरी शारीरिक अंग में बहुत ज्यादा सूजन (Edema), आंखों की रोशनी का धुंधला हो जाना, शरीर में पानी जमना, पेट फूलना, फेफड़ों की बाहरी परत में पानी भर जाने या सूजन के कारण सांस लेने में दिक्कत आदि समस्या हो सकती है.

यहां दी गई जानकारी एक्सपर्ट की व्यक्तिगत राय है.

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