भारत समेत दुनिया भर के ज्यादातर देशों में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों तेजी से बढ़ रहे हैं. सबसे ज्यादा वर्कर्स और मजदूरों के बीच तम्बाकू के सेवन से यह समस्या विकराल है.
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भारत समेत दुनिया भर के ज्यादातर देशों में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों तेजी से बढ़ रहे हैं. सबसे ज्यादा वर्कर्स और मजदूरों के बीच तंबाकू के सेवन से यह समस्या विकराल है. इसके लिए राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं रिसर्च केंद्र (आरजीसीआईआरसी) द्वारा हैड एंड नेक कैंसर: ब्रिजिंग द गैप फ्रॉम क्योर टू सर्वाइवरशिप विषय पर आयोजित 'आरजीकॉन' के 22वें संस्करण में बीमारी के जल्दी पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.
आरजीसीआईआरसी के चेयरमैन श्री राकेश चोपड़ा ने कहा कि भारत में सभी तरह के कैंसर में से सिर और गर्दन के कैंसर के मामले 30% हैं और अनुमान के मुताबिक वर्ष 2040 तक इनमें 50% की वृद्धि संभव है. उन्होंने आगे कहा, "चूंकि मजदूरों में 60% लोग तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं, इसलिए समाज में सबसे बड़ा खतरा इसी वर्ग पर है. इस कारण रोकथाम के उपाय बेहद जरूरी हैं और इसमें बीमारी का शीघ्र पता चलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरुआती चरण में पता चलने पर कैंसर के 80% मामले ठीक हो सकते हैं."
AI से बीमारी का जल्द चलेगा पता
बीमारी डाइग्नोस में तकनीक की भूमिका को रेखांकित करते हुए आरजीसीआईआरसी के सीईओ डी. एस. नेगी ने एआई के जबरदस्त प्रभाव पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एआई एल्गोरिदम बहुत जल्द कैंसर के पैटर्न की पहचान कर लेती हैं, जिससे बीमारी का पता चलने की सटीकता बढ़ती है और समय भी कम लगता है. इससे बीमारी के जल्दी पता चलने और मरीज के स्वस्थ होने की संभावना में काफी विकास देखने को मिल रही है.
शोध और इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा
कैंसर के इलाज की दिशा में हुए तकनीकी उन्नति पर विचार-विमर्श करने के लिए आरजीकॉन-2024 में दुनियाभर से 250 फैकल्टी और 1000 डेलीगेट ने भाग लिया. आरजीसीआईआरसी में ऑन्कोलॉजी सर्विसेज के मेडिकल डायरेक्टर और जेनिटो यूरो के चीफ डॉ. सुधीर कुमार रावल ने शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने में सम्मेलन की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि बतौर एक शैक्षणिक संस्थान आरजीसीआईआरसी शोध पर काफी ज्यादा जोर देता है. वहीं आरजीकॉन कैंसर के इलाज के क्षेत्र में उभर रहे नए रुझानों का पता लगाकर उन्हें अपनाने के लिए एक मंच का काम करता है.
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और ओटोलरीन्गोलॉजी विभाग, एम्स (दिल्ली) के डायरेक्टर प्रो. अलोक ठक्कर ने कैंसर देखभाल के क्षेत्र में आरजीसीआईआरसी के योगदान की सराहना करते हुए उसे आशा की किरण बताया. उन्होंने कहा कि सामजिक कार्यकर्ताओं के समूह द्वारा स्थापित ये संस्थान ने कैंसर के इलाज के क्षेत्र में प्रशंसनीय मानक स्थापित किए हैं.
आरजीसीआईआरसी में सिर एवं गर्दन ऑन्कोलॉजी के यूनिट हैड एवं सीनियर कंसलटेंट डॉ. मुदित अग्रवाल ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ग्लोबल मेडिकल सोसाइटी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस वर्ष के सम्मेलन ने सर्जरी, रेडिएशन, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और पैथोलॉजी के एक्सपर्टों के बीच सहयोग स्थापित करने में सहायता की है, जिससे मरीज देखभाल में काफी उन्नति होने की उम्मीद है.
तंबाकू और धूम्रपान हैं असली विलेन
सिर और गर्दन के कैंसर को एशिया के लिए समस्या बताते हुए आरजीसीआईआरसी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ ए के दीवान ने कहा कि यह गरीबों की बीमारी है, जिसके मुख्य कारण धुआं रहित तंबाकू का सेवन और धूम्रपान है. भारत में कैंसर के हर साल लगभग 1.5 मिलियन नए मामले सामने आते हैं. साल 2022 में आरजीसीआईआरसी में लगभग 3000 मामले आए थे, जो कि कैंसर के सभी मामलों के 19% थे. लेकिन, इनमें से 30% से भी कम मरीजों की सर्जरी हुई, क्योंकि हमारा फोकस बहुआयामी इलाज पर होता है.
आरजीकॉन 2024 में प्रोटॉन थेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसे उपचार के उन्नत तौर-तरीके के साथ-साथ सिर और गर्दन के कैंसर की देखभाल में एआई का उपयोग जैसे कुछ प्रमुख सत्र देखने को मिले. इसके आलावा प्रभावी पुनर्निर्माण प्रणाली और चेहरे की रीफ्रेमिंग (रिएनिमेशन) तकनीकों पर विचार-विमर्श के साथ-साथ भारतीय सर्जिकल रोबोट, एसएसआई मंत्रा जैसे उल्लेखनीय इनोवेशन प्रेजेंट किए गए.