आज की आधुनिक मेडिकल प्रैक्टिस में इमेजिंग तकनीकों का उपयोग महत्वपूर्ण हो गया है. एक्स-रे, सीटी स्कैन और अन्य इमेजिंग प्रक्रियाएं डॉक्टरों को बीमारी की सटीक जानकारी देने और इलाज में मदद करती हैं.
Trending Photos
आज की आधुनिक मेडिकल प्रैक्टिस में इमेजिंग तकनीकों का उपयोग महत्वपूर्ण हो गया है. एक्स-रे, सीटी स्कैन और अन्य इमेजिंग प्रक्रियाएं डॉक्टरों को बीमारी की सटीक जानकारी देने और इलाज में मदद करती हैं. हालांकि, इन तकनीकों के लगातार उपयोग के कारण स्वास्थ्यकर्मियों, विशेष रूप से सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट, को रेडिएशन से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा प्रभावित शरीर का हिस्सा होता है हाथ, जो अक्सर इमेजिंग प्रक्रिया के दौरान रेडिएशन के संपर्क में आते हैं. रेडिएशन सुरक्षा दस्ताने इस जोखिम को कम करने का एक आवश्यक उपाय साबित हो सकते हैं.
न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स में रेडियोलॉजी के प्रमुख डॉ. भवरन राज लिंगम ने बताया कि एक्स-रे जैसी इमेजिंग तकनीकें जितनी उपयोगी होती हैं, उनके साथ रेडिएशन का खतरा भी जुड़ा होता है. रेडिएशन का लंबे समय तक संपर्क त्वचा और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है. सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट, जो नियमित रूप से एक्स-रे उपकरणों के संपर्क में आते हैं, उन्हें क्रोनिक एक्सपोजर के कारण रेडिएशन डर्मेटाइटिस, त्वचा के जलने, लाली और अल्सर जैसे गंभीर त्वचीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, समय के साथ त्वचा में रंग परिवर्तन और सोरायसिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
हाथों में रेडिएशन के कारण नाखूनों की संरचना भी प्रभावित होती है. लंबे समय तक हाई लेवल के रेडिएशन के संपर्क में रहने से नाखूनों में भंगुरता, विकृति और रंग बदलने की समस्या पैदा हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में यह रेडिएशन त्वचा के कैंसर, खासकर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का कारण बन सकता है, जो लंबे समय तक एक्स-रे रेडिएशन के संपर्क में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में अधिक पाया गया है.
रेडिएशन सुरक्षा दस्ताने: एक आवश्यक सुरक्षा कवच
ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सत्यकी बनर्जी के अनुसार, रेडिएशन के खतरे से बचने के लिए मेडिकल इमेजिंग में सुरक्षा उपायों का पालन करना अनिवार्य है और रेडिएशन सुरक्षा दस्ताने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये दस्ताने हाई एनर्जी वाले रेडिएशन जैसे एक्स-रे से स्वास्थ्यकर्मियों के हाथों को बचाते हैं. यह दस्ताने मुख्य रूप से लीड या लीड-फ्री कंपोजिट सामग्री से बने होते हैं, जो हाई परमाणु संख्या वाली सामग्री होती हैं. ये सामग्री रेडिएशन को प्रभावी ढंग से ऑब्जर्ब करती हैं और रेडिएशन को त्वचा तक पहुंचने से पहले ही बिखेर देती हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि सही तरीके से डिज़ाइन किए गए रेडिएशन सुरक्षा दस्ताने हाथों में रेडिएशन के जोखिम को 95% तक कम कर सकते हैं, जिससे लंबे समय तक होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलती है.
मेडिकल जगत में रेडिएशन सुरक्षा दस्तानों का महत्व
जैसे-जैसे मेडिकल इमेजिंग और मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं की मांग बढ़ रही है, वैसे-वैसे स्वास्थ्यकर्मियों पर रेडिएशन के संपर्क का खतरा भी बढ़ रहा है. यदि सही समय पर सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए जाते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. रेडिएशन सुरक्षा दस्ताने न केवल त्वचा को सीधे नुकसान से बचाते हैं, बल्कि रेडिएशन डर्मेटाइटिस और नाखून के डिजाइन जैसे लॉन्ग टर्म समस्याओं से भी रक्षा करते हैं. यह दस्ताने सर्जनों और रेडियोलॉजिस्ट को उनकी दिनचर्या के दौरान बेहतर दक्षता और सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता और त्वचा की सेंसिटिविटी बनी रहती है.