Mosquito Borne Diseases: मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में क्या है अंतर? समझ लिया तो फायदे में रहेंगे आप
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Mosquito Borne Diseases: मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में क्या है अंतर? समझ लिया तो फायदे में रहेंगे आप

Malaria vs dengue vs chikungunya: बारिश के मौसम में मच्छरों की बढ़ती संख्या के साथ अक्सर कई बीमारियां जुड़ी होती हैं. इससे होने वाली प्रमुख बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जपानी इन्सेफेलाइटिस शामिल हैं.

Mosquito Borne Diseases: मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में क्या है अंतर? समझ लिया तो फायदे में रहेंगे आप

Malaria vs dengue vs chikungunya: बारिश के मौसम में मच्छरों की बढ़ती संख्या के साथ अक्सर कई बीमारियां जुड़ी होती हैं. मच्छर इंसान के शरीर से खून चुसता है और संक्रमण (mosquito borne disease) फैलाता है. इससे होने वाली प्रमुख बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जपानी इन्सेफेलाइटिस शामिल हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जानलेवा बीमारी है, जिसपर ध्यान नहीं दिया जाए तो पीड़ित मरीज की मौत भी हो सकती है. आज हम आपको डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के बारे में जानकारी देंगे और इनमें क्या अंतर है, वो भी आपको बताएंगे. चलिए शुरू करते हैं.

मलेरिया: मलेरिया एक परजीवी जनित रोग (parasitic disease) है. मच्छर के काटने से यह परजीवी शरीर में प्रवेश करता है और खून के माध्यम से फैलता है. मलेरिया के लक्षण में ज्यादा बुखार, ठंड लगना, त्वचा की पीलापन, थकान और मुंह के आस-पास के क्षेत्र में मांसपेशियों का दर्द शामिल होता है. मलेरिया कई प्रकार की हो सकती है, जैसे प्लाज्मोडियम फैलसिपारम, प्लाज्मोडियम विवाक्स, प्लाज्मोडियम मलेरिया, और प्लाज्मोडियम ओवेले शामिल हैं.

डेंगू: डेंगू वायरस द्वारा होने वाली एक बीमारी है जो मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है. डेंगू के लक्षण में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते होना व खुजली, थकान और नॉर्मल ब्लड प्रेशर का कम होना शामिल हो सकता है.  डेंगू के दो मुख्य प्रकार हैं- डेंगू बुखार (dengue fever) और संक्रामक डेंगू हमसायिक बुखार (dengue hemorrhagic fever). इस बीमारी में मरीज के प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं.

चिकनगुनिया: चिकनगुनिया भी मच्छर के काटने से फैलती है. इस बीमारी के लक्षणों बुखार, जोड़ों में दर्द, सूजन, थकान और त्वचा की खुजली शामिल होती है. यह बीमारी आमतौर पर स्वयं सीमित समय में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में लंबे समय तक जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों की जकड़न बनी रहती है. इसके उपचार में अपशिष्ट आदान-प्रदान, निश्चित दवाएं, आयुर्वेदिक औषधियाँ और स्वस्थ आहार पर जोर दिया जाता है.

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