Trending Photos
नई दिल्ली: इन दिनों शिफ्ट में काम करने का ट्रेंड काफी बढ़ गया है. दुनियाभर की बहुत सी कंपनियां 24x7 वर्क कल्चर में काम करती हैं जिसकी वजह से बड़ी संख्या में कर्मचारी भी नाइट शिफ्ट (Night Shift work) में काम करते हैं. नाइट शिफ्ट में काम करना सेहत के लिए कितना नुकसानदेह है, इस बारे में तो पहले भी कई रिसर्च हो चुकी है. लेकिन अब एक नई रिसर्च (Research) का दावा है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को सामान्य शिफ्ट में काम करने वाले लोगों की तुलना में कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है.
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी की जिसमें ये संकेत मिला है कि जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं उन्हें सामान्य डे शिफ्ट (Day Shift) में काम करने वाले लोगों की तुलना में कई अलग-अलग तरह के कैंसर होने का जोखिम (Cancer Risk) ज्यादा है. स्टडी के नतीजे बताते हैं कि नाइट शिफ्ट की वजह से शरीर का जो 24 घंटे का नेचुरल रिदम है वह कैंसर से जुड़े कुछ निश्चित जीन्स की एक्टिविटी में बाधा उत्पन्न करता है जिस कारण नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोग डीएनए डैमेज (DNA Damage) के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. साथ ही इसकी वजह से शरीर के डीएनए डैमेज को रिपेयर करने वाला तंत्र भी सही तरीके से काम नहीं कर पाता.
ये भी पढ़ें- रात की शिफ्ट में काम करना घटा सकता है आपकी उम्र
जर्नल ऑफ पाइनियल रिसर्च में इस नई स्टडी को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है. इस स्टडी में लैब एक्सपेरिमेंट्स किए गए जिसमें स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया गया और उन्हें सिमुलेटेड (simulated) नाइट शिफ्ट और डे शिफ्ट शेड्यूल में रखा गया. WSU कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड फार्मासूटिकल साइंसेज की एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी की ऑथर शोभन गड्डामीधी कहती हैं, 'इस बात के काफी अधिक सबूत मौजूद हैं कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों में कैंसर अधिक देखने को मिलता है जिसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इंटरनेशल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने नाइट शिफ्ट में काम करने को संभावित Carcinogenic यानी कैंसरकारी के रूप में वर्गीकृत किया है.'
ये भी पढ़ें- सांस की बदबू दूर करने में मदद करेंगे ये घरेलू नुस्खे, ट्राई करके देखें
शोभन गड्डामीधी और WSU के अन्य वैज्ञानिकों ने पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लैबोरेटरी (PNNL) के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर यह जानने की कोशिश की कि शरीर की जैविक घड़ी (biological clock) का इसमें क्या संभावित रोल हो सकता है. शरीर की जैविक घड़ी ही दिन और रात के 24 घंटे के चक्र को बनाए रखने में मदद करती है. इस स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने एक शिफ्ट में काम करने का एक एक्सपेरिमेंट किया जिसमें 14 प्रतिभागियों ने WSU हेल्थ साइंसेज के स्लीप लैबोरेटरी में 7 दिन बिताए. इस दौरान आधे लोग 3 दिन के नाइट शिफ्ट शेड्यूल में रहे और बाकी आधे लोग 3 दिन के डे शिफ्ट में. इस दौरान नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में डीएनए डैमेज अधिक देखने को मिला.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)