नई मां बनना एक खूबसूरत अनुभव है, लेकिन साथ ही यह एक बड़ी जिम्मेदारी भी है. एक छोटी सी आदत आपके बच्चे की सेहत को बेहतर बना सकती है और उसकी जान भी बचा सकती है.
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क्या आप एक नई मां हैं? क्या आप अपने बच्चे की सेहत को लेकर चिंतित रहती हैं? अगर हां, तो आपके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है. एक ऐसी आदत जो न सिर्फ आपके बच्चे बल्कि लाखों बच्चों की जान बचा सकती है. क्या आप जानना चाहते हैं कि ये कौन सी आदत है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ ने ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए यह बात कही है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित कर स्तनपान दरों में सुधार लाया जाए तो हर साल 8,20,000 हजार से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है. विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर जारी एक बयान में संयुक्त राष्ट्र के दोनों शीर्ष संगठनों ने कहा कि जब माताओं को अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए आवश्यक सहायता दी जाती है तो इसका सीधा असर स्तनपान दरों पर पड़ता है.
ताजा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, स्तनपान दरों में सुधार से हर साल 8,20,000 से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है. अच्छी खबर यह है कि पिछले 12 साल में दुनिया भर में छह महीने तक केवल मां का दूध पीने वाले शिशुओं की संख्या को केवल स्तनपान करने वाले छह महीने से कम उम्र के शिशुओं की संख्या 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है. इसका मतलब है यह है कि दुनिया भर में 48 प्रतिशत शिशु जन्म के बाद पहले छह महीने तक मां का दूध पी रहे हैं जिससे जीवन में कई तरह की स्वस्थ शुरुआत का लाभ उन्हें मिल रहा है. स्तनपान से लाखों शिशुओं की जान बच रही है.
बयान में कहा गया है कि हमारा लक्ष्य 2025 तक स्तनपान को कम से कम 50 प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंचाने का है. हालांकि इस महत्वपूर्ण छलांग में कई चुनौतियां हैं जिनका समाधान आवश्यक है. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने कहा कि बच्चे की शुरुआती वृद्धि और विकास के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है. मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी शिशुओं को जीवन में होने वाली हर तरह की बीमारियों से बचाता है. यह छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित पौष्टिक और सुलभ भोजन सोर्स की गारंटी देता है. इससे बचपन में होने वाली बीमारियों और कुछ प्रकार के कैंसर तथा गैर-संचारी रोगों के खतरों से भी बचा जा सकता है.