Reclining bound angle pose benefits: यह आसन गर्भवति महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है, नीचे जानिए इसे करने की आसान विधि और शानदार लाभ...
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Reclining bound angle pose benefits: आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सुप्त बद्ध कोणासन के फायदे. जी हां, यह आसन सेहत के लिए लिहाज से बेहद लाभकारी है. ये आसन घुटने, जांघों और ग्रोइन अंगों को स्ट्रेच करता है, जबकि टांगों, पीठ, कमर, पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है, लेकिन इस आसन को करने से मुख्य फायदा लोअर बैक, हिप्स और पेल्विक मसल्स को पहुंचता है. इसे 30 से 60 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है.
क्या है सुप्त बद्ध कोणासन
सुप्त बद्ध कोणासन (Supta Baddha Konasana) संस्कृत भाषा का शब्द है. ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है. सुप्त का अर्थ 'लेटा हुआ' बद्ध का अर्थ होता है 'बंधा हुआ' कोण से अर्थ है 'अंग को मोड़ने से बनी स्थिति, जबकि आसन का अर्थ, 'बैठने, खड़े होने या लेटने' से है. सुप्त बद्ध कोणासन (Reclining Bound Angle Pose) को शरीर को मजबूत बनाने वाले योगासनों (Restorative Yoga Poses) की श्रेणी में रखा जाता है. इन योगासनों को करने से योगी के शरीर में नई ऊर्जा का विकास होता है, नर्व्स सिस्टम शांत हो जाता है.
सुप्त बद्ध कोणासन के पांच फायदे (reclining bound angle pose benefits)
1. जांघ का भीतरी हिस्सा होता है स्ट्रेच
इस आसन में घुटनों को फर्श की ओर दबाया जाता है, इससे जांघों के खुलने से भीतरी हिस्से पर स्ट्रेच आता है, जो एडक्टर मांसपेशियों को फैलाता है.
2. ग्रोइन मसल्स स्ट्रेच होती हैं
जांघों के भीतरी हिस्से पर खिंचाव के साथ, यह योग मुद्रा कमर की मांसपेशियों को फैलाती है और इसे फिट रखती है.
3. फैट कम करने में लाभकारी
जैसे-जैसे कमर की मांसपेशियां खिंचती जाती हैं, निचले पेट की टोनिंग से अतिरिक्त वसा कम होती जाती है. इसके नियमित अभ्यास से आप पेट और कमर के आसपास का फैट कम कर सकते हैं.
4. पैरों को बनाता है लचीला
लंबे समय तक इसके अभ्यास से घुटनों, जांघों के भीतरी हिस्से और टखनों का लचीलापन सुधारने का मौका मिलता है.
5. नींद में लाभकारी
अगर सोने से पहले इसका अभ्यास किया जाए तो नींद अच्छी आती है. ये अनिद्रा या इंसोम्निया के मरीजों के लिए बेहतरीन योगासन है.
सुप्त बद्ध कोणासन करने की विधि (How To Do Supta Baddha Konasana Posture)
सुप्त बद्ध कोणासन के अन्य लाभ (otherbenefits of reclining bound angle pose)
सुप्त बद्ध कोणासन के दौरान रखें ये सावधानियां
इस बात का ख्याल रखना बेहद जरूरी
यह आसन दिन के किसी भी समय यहां तक की भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है, हालांकि भोजन के तुरंत बाद आसन करने की सलाह कभी नहीं दी जाती है. इस आसन में, आंतरिक अंग उठाए जाते हैं, इसलिए यह आसन उन उम्रदराज महिलाओं के लिए जिन्हें गर्भाशय के खिसकने या फिर बार-बार पिशाब आने की समस्या रहती हो किसी वरदान से कम नहीं है.
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