दिल की बीमारी और स्ट्रोक के लिए अकेलापन और सोशल लाइफ भी जिम्मेदार है. खराब सोशल रिलेशनशिप से दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरे 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है.
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जर्नल हार्ट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दिल की बीमारी और स्ट्रोक के लिए अकेलापन और सोशल लाइफ भी जिम्मेदार है. शोध में पता चलता हैं कि स्ट्रोक और दिल की सेहत पर सोशल रिलेशनशिप का एक स्पष्ट प्रभाव है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि कम सोशल रहने वाले लोगों में समय से पहले की मौत का खतरा बढ़ जाता है. अध्ययन में बताया गया कि मृत्यु दर पर सोशल रिलेशनशिप का प्रभाव अच्छी तरह से लिंक है, जिसमें शारीरिक गतिविधि और मोटापा भी शामिल हैं.
दिल की बीमारी और स्ट्रोक का 25% से अधिक खतरा
रिव्यू स्टडी में पाया गया कि खराब सोशल रिलेशनशिप, दिल की बीमारी और स्ट्रोक के खतरे को 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ा सकता है. शोधकर्ताओं ने खराब सोशल रिलेशनशिप, चिंता और नौकरी के तनाव जैसे अन्य मनोसामाजिक खतरे के बीच लिंक पाया. उन्होंने कि दिल की बीमारी के खतरे को कम करने के लिए अकेलापन और सामाजिक दूरियों को कम करने का सुझाव दिया है.
बढ़ती उम्र के साथ सामाजिक दूरियों का खतरा बढ़ जाता है
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, 'सामाजिक दूरियां और अकेलापन दिल के दौरे या स्ट्रोक से होने वाली मौत के खतरे को 30 प्रतिशत तक बढ़ा देता है'. विधवा और रिटायरमेंट जैसे लाइफ फैक्टर के कारण उम्र के साथ सामाजिक दूरियां का खतरा बढ़ जाता है. 65 और उससे अधिक उम्र के लगभग एक चौथाई लोग सामाजिक रूप से अलग रहते हैं और अकेलेपन महसूस करते हैं. अकेलेपन का सबसे बड़ा कारण कोरोना भी रहा है, जिसमें लोग लॉकडाउन में फंसकर अकेले रह रहे थे.
अकेलापन को कैसे कम करें
हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षण
हार्ट अटैक के कुछ सामान्य लक्षण सीने में दर्द या बेचैनी, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, दोनों हाथों या कंधों में दर्द, सांस की तकलीफ हैं. वहीं, स्ट्रोक के लक्षण चेहरे, हाथ और पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी होती है. ये लक्षण शरीर के एक तरफ नजर आते हैं. स्ट्रोक के सबसे विभिन्न लक्षणों में से एक व्यक्ति को एक या दोनों आंखों से देखने में परेशानी हो सकती है.
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