World Physiotherapy Day: गठिया-लकवा में दवाइयों की जगह फिजियोथेरेपी करें ट्राई, जल्द होगी रिकवरी
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World Physiotherapy Day: गठिया-लकवा में दवाइयों की जगह फिजियोथेरेपी करें ट्राई, जल्द होगी रिकवरी

Arthritis Treatment: खराब लाइफस्टाइल के कारण लोगों को मांसपेशियों-जोड़ों में दर्द की समस्या काफी तेजी से होने लगी है. इसके इलाज के लिए फिजोयोथेरपी की मदद से बिना दवाइयों के भी गंभीर दर्द की समस्या को आसानी से ठीक किया जा सकता है. 

 

World Physiotherapy Day: गठिया-लकवा में दवाइयों की जगह फिजियोथेरेपी करें ट्राई, जल्द होगी रिकवरी

Arthritis Treatment: आज वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे है. साल 1996 से हर साल 8 सितंबर को यह दिन मनाया जाने लगा. यह खास दिन लोगों में इस चिकित्सा पद्धति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. ऐसा दावा किया गया कि गठिया, फ्रोजन शोल्डर, कमर दर्द और यहां तक कि लकवा की समस्या को भी इस चिकित्सा के माध्यम से ठीक करने में आसानी से मदद मिल सकती है. इस साल वर्ल्ड फिजियोथेरेपी की थीम है ऑस्टियोआर्थराइटिस का रोकथाम और प्रबंधन. इस चिकित्सा को समझने के लिए कई फिजियोथेरेपिस्ट से प्राप्त जानकारी में यही सामने आया कि फिजियोथेरेपी के माध्यम से तमाम प्रकार के आर्थराइटिस की दिक्कतों को ठीक किया जा सकता है. 

आर्थराइटिस के रोगियों में मांसपेशियों की कमजोरी, लचीलेपन में कमी और कमर, पीठ, घुटने में तेज दर्द की समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में लोग अधिकतर लंबे समय तक दवाओं का सहारा लेते हैं. लेकिन फिजोयोथेरपी की मदद से बिना दवाइयों के भी गंभीर दर्द की समस्या को आसानी से ठीक किया जा सकता है. फिजियोथेरेपी में नियमित व्यायाम के माध्यम से इसके लक्षणों को ठीक किया जा सकता है. 

फिजियोथेरेपी के फायदे

1. अगर आपको कोई गंभीर चोट लगी हो या फिर सर्जरी हुई है तो उसके बाद तेजी से रिकवरी में भी फिजियोथेरेपी से लाभ मिल सकता है. लकवा और स्ट्रोक जैसी स्थितियों से उबरने में मदद करने के साथ शरीर के संतुलन में सुधार करने, गति और शारीरिक मुद्रा को बेहतर बनाने के साथ कई अन्य स्थितियों में भी इस चिकित्सा विधा से लाभ पाया जा सकता है.

2. फिजियोथेरेपी से समग्र शक्ति और शारीरिक समन्वय में सुधार किया जा सकता है. ये दवाओं पर निर्भरता को कम करने वाली चिकित्सा विधि है. फिजियोथेरेपी लकवा और स्ट्रोक जैसी स्थितियों से उबरने में मदद करता है. 

3. कार्डियोवैस्कुलर कार्यप्रणाली और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ावा देने में भी इसके लाभ देखे गए हैं. खेल से संबंधित चोट का प्रबंधन में यह सबसे कारगर विधि है. उम्र के साथ खराब होते फिटनेस को बेहतर बनाए रखने में भी इससे लाभ मिलता है.  

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