अगर आपके पैरों में भी काले निशान या धब्बे दिखते हैं, तो इसके पीछे दिल की कमजोरी कारण हो सकती है. आइए जानते हैं कि इसका इलाज कैसे किया जा सकता है.
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हमारे दिल के दो काम होते हैं, पहला खून को पूरे शरीर में पहुंचाना और दूसरा उस खून को फिर से इकट्ठा करना. कोई भी अंग तभी तक स्वस्थ रहेगा जब तक कि हृदय समय पर खून उस अंग तक पहुंचाए तथा उस अंग के उस रक्त के प्रयोग करने के बाद तुरन्त उसे वापस लेकर आ जाए. यदि इसमें देरी होगी तो सम्बन्धित अंग रोगी हो जाएगा. यही नियम पैरों के साथ लागू होता है. जब दिल कमजोर हो जाता है, तो आपको पैरों में स्किन डिजीज हो सकती है. "इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर अबरार मुल्तानी (Dr. Abrar Multani, Ayurvedic Expert) से बातचीत की."
पैरों में स्किन डिजीज का कारण कैसे बनती है दिल की कमजोरी
पैरों में खून को लेकर जाना आसान है, क्योंकि उसमें हमारे हृदय को खून नीचे की तरफ लेकर जाना होता है. जिसमें ग्रेविटी उसकी मदद करती है. लेकिन खून को वापस लेकर आना मुश्किल काम है, क्योंकि यहां पर मददगार ग्रेविटी अवरोध बन जाती है. ग्रेविटी उस खून को नीचे खींचती है और हृदय तथा काफ मसल्स उसे ऊपर भेजना चाहते हैं.
यदि हृदय कमजोर होगा तो उस रक्त को समय पर ले जाना मुश्किल होगा और खून पैरों की नसों में रुकेगा. कुछ समय के लिए या ज्यादा समय के लिए नसें अपनी शक्ति के अनुरूप उस खून को अपने में समाहित करके रखेगी. लेकिन जब यह मुसीबत लम्बे समय तक रहेगी तो फिर उनकी दीवारों से रक्त का स्राव बाहर त्वचा एवं मसल्स में होने लगेगा. यह रुका हुआ खून वहां उपस्थित ऊतकों (टिश्यू) को दूषित करने लगेगा और इसके परिणामस्वरूप हमें चर्म रोग (स्किन डिजीज) हो जाएंगे.
क्या है इस बीमारी का इलाज
डॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं, 'अनुभव किया होगा कि चर्मरोग अधिकांशतः पैरों में ही होते हैं, इसकी वजह यही ग्रेविटी और हृदय की कशमकश या रस्साकसी है. जिन रोगियों के पैरों में एक्जिमा या अन्य कोई चर्मरोग जैसे कि पैरों में काले रंग के धब्बे अल्सर आदि हैं तो उन्हें हॉर्ट टॉनिक की सलाह दी जाती है. यदि आपको पैरों का चर्म रोग परेशान कर रहा है तो आप अपने आयुर्वेद चिकित्सक को इस बारे में बताएं और उनसे कोई अच्छा-सा हॉर्ट टॉनिक लिखवाएं और जितनी त्वचा और रक्त इसके कारण दूषित हुए हैं, उसका उपचार भी करवा लें.'
दिल की कमजोरी के अलावा भी हो सकते हैं कारण
डॉ. मुल्तानी के मुताबिक बताते हैं कि पैरों के सारे चर्म रोग केवल हृदय की कमजोरी से नहीं होते. यदि पैरों के रक्त में रुकावट किसी अन्य कारण से हुई है तो भी चर्मरोग हो सकते है, जैसे- वेरीकोज़ वेन, घुटने की सूजन, पैरों की नसों में थक्के बनना (डीवीटी), गर्भाशय में सूजन (महिलाओं में), प्रोस्टेट का बढ़ना (महिलाओं में). आपके पैरों के खून की सप्लाई की बाधा को आपका डॉक्टर पहचान लेगा और वह आपको स्वस्थ होने में मदद करेगा.
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